scorecardresearch
Sunday, 17 November, 2024
होमदेश‘कोई पत्नी, नौकरी नहीं’ — हरियाणा के सिंगल पुरुषों ने खाई कसम, पहले सरकार कराए जनगणना फिर मिलेंगे वोट

‘कोई पत्नी, नौकरी नहीं’ — हरियाणा के सिंगल पुरुषों ने खाई कसम, पहले सरकार कराए जनगणना फिर मिलेंगे वोट

हरियाणा में कुंवारे और विधुर समूहों ने तब तक चुनाव के बहिष्कार की धमकी दी है जब तक कि पेंशन योजना ठीक से लागू नहीं हो जाती. कुंवारे लोगों की जनगणना की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती. राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होगा.

Text Size:

हिसार: अविवाहित पुरुषों का एक बड़ा समूह चारों पेड़ों से घिरी खाटों पर आराम से बैठा है और शिकायत कर रहा है कि उनकी ज़िंदगी कैसे दुख में बीत रही है — कोई नौकरी नहीं, पत्नी नहीं और कोई बच्चे नहीं. 45-वर्षीय वीरेंद्र सागवान ने कहा, “यह अपमान की ज़िंदगी है. हम हंसी के पात्र हैं. इसके अलावा, हम सभी को यहां रांडा कहा जाता है.”

सांगवान ने हरियाणा में लगभग सात लाख सिंगल पुरुषों के मसलों को उठाने के लिए 2012 में समस्त अविवाहित पुरुष समाज (40 वर्ष से अधिक उम्र के कुंवारों का संघ) और 2022 में एकीकृत रांडा संघ (विधुरों का संघ) का गठन किया था — उनमें से अधिकांश लोग जाट समुदाय से हैं. उन्होंने हरियाणा के हिसार के माजरा प्याऊ गांव में उन लोगों की देखरेख के लिए यह आश्रय स्थल बनाया, जिनके पास कोई नहीं था।

सांगवान और अन्य सदस्यों का कहना है कि इस बार संघों ने लोकसभा चुनाव में तब तक मतदान नहीं करने का फैसला किया है, जब तक कि कोई राजनीतिक दल यह लिखित आश्वासन नहीं देता कि वह अविवाहित लोगों और विधुरों के लिए पेंशन योजनाओं को ठीक से लागू करेगा.

इसी तरह की मांग 2014 के चुनावी मौसम के दौरान जींद में भी उठी थी, जहां कुंवारे लोगों ने लोकसभा उम्मीदवारों से वोट के बदले दुल्हन लाने को कहा था.

हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होगा.

सांगवान ने कहा, “हम इस बार वोट नहीं देंगे. वोट देने का क्या मतलब है जब वो हमें सिर्फ खोखले वादे ही देते हैं? जनगणना नहीं हुई है. हमने सिंगल लोगों की गणना की मांग की थी, ताकी जनगणना होने पर हरियाणा में लिंगानुपात की सही हकीकत सामने आ जाए. भाजपा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कहकर सत्ता में आई, लेकिन कुछ नहीं बदला.”

ऐसा लगता है कि यह दिक्कत हरियाणा में विषम लिंगानुपात के कारण उत्पन्न हुई है. इसके अलावा, राज्य की बेरोज़गारी की समस्या, जो युवाओं को दूसरे राज्यों और देशों में पलायन करने के लिए मजबूर करती है, इन अविवाहित पुरुषों के लिए कलंक को और बढ़ा देती है, जिनका कहना है कि पत्नियों और बच्चों की कमी के कारण उन्हें अक्सर नौकरी के मौकों और किराए के घरों से वंचित कर दिया जाता है.

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार, दिसंबर 2022 तक हरियाणा में बेरोज़गारी दर 11.3 प्रतिशत थी, जो उस समय देश में सबसे अधिक थी. हालांकि, दिसंबर 2023 के आंकड़ों में दर में 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. मार्च 2024 तक, हरियाणा की बेरोज़गारी दर 4.1 प्रतिशत थी.

पिछले साल जुलाई में हरियाणा में एक पेंशन योजना शुरू की गई थी जिसमें 45-60 आयु वर्ग के सभी अविवाहित पुरुषों और महिलाओं को 2,750 रुपये देने का वादा किया गया था. 1.8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोग पेंशन के लिए पात्र हैं, इसके अलावा विधवा/विधुर जो प्रति वर्ष 3 लाख रुपये से कम कमाते हैं. सांगवान के मुताबिक, उनके द्वारा स्थापित दोनों एसोसिएशन के करीब सवा लाख सदस्य हैं.

इस योजना की घोषणा 2014-2019 में नारनौंद निर्वाचन क्षेत्र से विधायक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कैप्टन अभिमन्यु की भतीजी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के बाद की गई थी. हालांकि, दो एकल पुरुष संघों के सदस्यों की शिकायत है कि एक या दो व्यक्तियों को छोड़कर, लाभ के पात्र लोगों में से अधिकांश को अपने दस्तावेज़ पूरे होने के बावजूद, कोई भी नहीं मिला है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र दो संघों द्वारा भेजा गया था जिसमें सिंगल पुरुषों की गणना, पेंशन और विधुरों के लिए एक अलग शब्द के उपयोग की मांग की गई थी.


यह भी पढ़ें: ‘कुछ भी नया नहीं’, बेटी बचाओ का नारा हरियाणा में हो रहा है नाकामयाब, फिर गिरा राज्य का Sex ratio


‘हर कोई दुल्हन खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकता’

सतही स्तर पर हरियाणा की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम एक अच्छी तरह से काम करने वाली प्रणाली दिखाई देती है, जिसमें डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य अधिकारी कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं.

हालांकि, असलियत में, छापों की संख्या कम हो गई है और लिंग निर्धारण परीक्षण और गर्भधारण के अवैध अस्पताल का संचालन करने वाले सिंडिकेट ने अपने तौर-तरीके बदल दिए हैं. अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जगह मोबाइल वैन, छोटे पोर्टेबल टूल वाली मशीनों ने ले ली है और काले बाज़ार में एमटीपी किट की कीमतें 1,500 रुपये तक बढ़ गई हैं.

'Save the Girl Child', 'Female Foeticide is a Crime' and similar messages painted on the walls — a common sight in Haryana | Bismee Taskin | ThePrint
‘बेटी बचाओ’, ‘कन्या भ्रूण हत्या एक अपराध है’ और इसी तरह के संदेशों का दीवारों पर चित्र होने हरियाणा में आम दृश्य है | फोटो: बिस्मी तस्कीन/दिप्रिंट

दिप्रिंट द्वारा प्राप्त डेटा से पता चलता है कि नागरिक पंजीकरण डेटा के अनुसार, मार्च 2024 तक हरियाणा का लिंग अनुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 914 लड़कियों का है. वार्षिक लिंग अनुपात भी 2022 में 942 की तेज़ गिरावट के साथ 2023 में 921 हो गया है.

हरियाणा के 22 जिलों में सबसे खराब प्रदर्शन महेंद्रगढ़ में 871, गुरुग्राम में 871, रोहतक में 879, कैथल में 886, पानीपत में 887, जिंद में 890, फरीदाबाद में 898, रेवाड़ी में 900 और हिसार में 911 है.

2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 879 महिलाओं का था, जो कि 1,000 पुरुषों के मुकाबले 943 महिलाओं के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है.

दिप्रिंट द्वारा एक्सक्लूसिव तौर पर हासिल किए गए हरियाणा की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ टीम के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच साल में प्री-कंसेप्शन और प्री-नेटाल डायग्नोस्टिक तकनीक (पीएनडीटी) अधिनियम और गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन (एमटीपी) अधिनियम के तहत मार्च 2024 तक कुल 1,189 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इसका अनिवार्य रूप से मतलब यह है कि पिछले छह साल में अंतर-राज्यीय छापे सहित केवल उतने ही छापे मारे गए.

हिसार के पेटवार गांव के मूल निवासी 45-वर्षीय विजेंदर सिंह ने कहा, “मेरे गांव में 45-साल से अधिक उम्र के 170 अविवाहित पुरुष हैं. हम निराश हैं. कुछ लोग नशीली दवाओं और शराब का सेवन करने लगे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विफल हो गई है. अगर उन्होंने अभी इस पर ध्यान नहीं दिया तो चीज़ें और खराब हो जाएंगी. अविवाहित और बेरोज़गारों की संख्या बढ़ेगी. सरकार चुनाव से पहले लॉलीपॉप फेंकती है और फिर भूल जाती है. इस बार, हम वोट नहीं देंगे और अगर हम वोट देंगे भी, तो यह पेंशन, सिंगल लोगों की गणना की हमारी मांगों के बदले में होगा.”

72-वर्षीय ओम प्रकाश को कैंसर है और वे ज्यादातर समय बिस्तर पर ही रहते हैं. उनके परिवार में पांच भाइयों में से केवल एक की शादी हुई थी. प्रकाश ने कहा, “हमें दुल्हनें कौन देगा? खेती की कुछ ज़मीन को छोड़कर हमारे पास कोई पैसा या संपत्ति नहीं है. हर कोई दुल्हन खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकता.”

Om Prakash, 72, is an unmarried man | Bismee Taskin | ThePrint
72-वर्षीय ओम प्रकाश एक अविवाहित व्यक्ति हैं | फोटो: बिस्मी तस्कीन/दिप्रिंट

मजरा प्याऊ निवासी 45-वर्षीय करमवीर ने शादी तो कर ली, लेकिन तीन दिन बाद ही महिला ने उन्हें छोड़ दिया. उन्होंने बताया, “मैं ज़्यादा नहीं कमा सका. यहां रोज़गार के अवसर न के बराबर हैं और मैं पढ़ा-लिखा भी नहीं हूं.” उन्हें अपनी दुल्हन पंजाब में मिली थी.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 30 साल से लिंग जांच पर लगे प्रतिबंध से बचने के लिए हरियाणा की गर्भवती महिलाओं ने निकाला नया जुगाड़


 

share & View comments