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Monday, 6 May, 2024
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बिजनौर कोर्ट के बाहर लिखा था हथियार लाना मना है, भीतर चलीं 20 राउंड गोलियां जिसमें मारा गया हत्या का आरोपी

बिजनौर के सीजेएम कोर्ट में मंगलवार को हत्या के दो आरोपियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद भी कोर्ट में सुरक्षा की हालत खस्ता है.

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बिजनौर: बिजनौर के जिस ज़िला न्यायालय के चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर दीवार पर लिखा है: ‘न्यायालय परिसर में सरकारी अधिकारी/कर्मचारी या ड्यूटी पर कार्यरत पुलिस कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों द्वारा हथियार लाना वर्जित है.’ उसके भीतर मंगलवार को 20 राउंड से ज़्यादा गोलियां चलीं और हत्या के एक आरोपी की हत्या कर दी गई.

जिस सीजेएम कोर्ट में तीन पिस्टलों से 20 राउंड से ज़्यादा गोलियां बरसाकर एक हत्या को अंजाम दिया गया, ज़िला न्यायालय के मेन गेट से उसकी दूरी लगभग आधा किलोमीटर है. गेट पर तैनात पुलिस वालों के पास मेटल डिटेक्टटर लेकर लगेज स्कैनर तक सब हैं फिर भी बिना किसी जांच के कोई भी कोर्ट के अंदर घुस सकता है.

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मंगलवार को भरी कचहरी में हुए गोलीकांड की चर्चा पूरे शहर में है. कोर्ट में दो लोगों की हत्या करवाने के आरोपी शहनवाज़ की पेशी के दौरान ताबडतोड़ फायरिंग की गई. जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक शहनवाज़ के शरीर में 11 गोलियां उतारी जा चुकी थीं.

शहनवाज़ पर बिजनौर स्थित नजीबाबाद के प्रॉपर्टी डीलर हाजी एहसान और उनके भांजे शादाब की हत्या करवाने का आरोप है. इस मामले में सुनवाई के लिए उसे और उसके साथी जब्बार को दिल्ली के तिहाड़ जेल से दिल्ली पुलिस यहां लेकर आई थी.

इस दौरान हाजी की दूसरी पत्नी का बेटा साहिल अपने दो साथियों के साथ यहां मौजूद था. आरोप है कि सीजेएम कोर्ट में शहनवाज़ जब किसी कागज़ पर दस्तख़त कर रहा था तो तीनों ने गोलियों से भूनकर शहनवाज़ की जान ले ली. इस दौरान जब्बार तो भाग निकला पर दो अन्य घायल हो गए.

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जब दिप्रिंट की टीम मंगलवार को बीजनौर समेत पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले इस गोली कांड का जायज़ा लेने यहां के ज़िला न्यायालय पहुंची, तो पाया कि मेन गेट पर चार-पांच पुलिस वाले तैनात हैं. चार पहिया वाहनों और मोटरसाइकिल को धडल्ले से कोर्ट में एंट्री मिल रही है. तलाशी के नाम पर पैदल लोगों के साथ खानापूर्ती ज़रूर हो रही थी.

इस सिलसिले में जब दिप्रिंट की टीम ने कोर्ट में तैनात कुछ वकीलों और पुलिस वालों से बात की तो सुरक्षा में तैनात पुलिस वालों की इसकी भनक लग गई और थोड़ी देर बाद मेटल डिटेकटर से तलाशी तेज़ कर दी गई और महिला पुलिस भी नज़र आने लगी. हालांकि, स्कैनर का इस्तेमाल फिर भी नहीं हो रहा था.

इस बीच मंगलवार की घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे एक पुलिस वाले ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘यहां सुरक्षा का यही हाल रहता है. हालांकि, 10 साल के मेरे करियर में मेरे सामने किसी सीजेएम कोर्ट में गोली चलने का यह पहला मामला है.’

टिप्रिंट की टीम जब यहां पहुंची तो सीजेएम योगेश कुमार छुट्टी पर थे. हालांकि, ज़िला न्यायालय के वकीलों के बीच काफ़ी डर का माहौल है जिसकी वजह से बार असोसिएशन के सेक्रेटरी नवदीप सिंह ने ये पहल की है कि वो वकीलों को पास बाटेंगे. उन्होंने कहा, ‘जिनके के पास पास नहीं होंगे उन्हें अंदर नहीं आने दिया जाएगा. सभी वकीलों से अपील की गई है कि वो सुरक्षा जांच में पुलिस का सहयोग करें.’

बिजनौर की इस घटना के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस सुनीत कुमार की स्पेशल बेंच ने की. कोर्ट ने तल्ख़ तेवर अपनाते हुए ये तक कहा कि राज्य के पास कोर्ट की सुरक्षा से जुड़ी योजना ना हो तो केंद्र सरकार से इस बारे में संपर्क किया जाएगा. गोलीकांड से जुड़ी कार्रवाई में 18 पुलिस वालों को स्सपेंड किया गया है.

कोर्ट की असुरक्षा की हालत पर बिजनौर बार के पूर्व अध्यक्ष सत्य प्रकाश चौहान ने कहा, ‘आप देख ही रहे हैं कि यहां क्या हाल है. हाई कोर्ट के नीचे के देश भर के तमाम कोर्ट में सुरक्षा का यही हाल रहता है. अगर पिस्टल से गोली चला रहे तीनों लड़के बाहर आ जाते तो सोचिए कि इतनी भीड़-भड़ाके वाली जगह कैसा मंज़र देखने को मिलता.’

18 साल से यहां वकालत कर रहे मीम अहमद एडवोकेट ने कहा, ‘इस घटना के दौरान ऐसा लगा जैसे किसी दूसरे देश ने हमला कर दिया है. जो वादी हैं वो भी आने से घबरा रहे हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि वादी कह रहे हैं कि जब सीजेएम कोर्ट में गोली चल सकती है तो वो कितने सुरक्षित होंगे और ऐसा कहते हुए उन्होंने कोर्ट में सुरक्षा की मांग की.

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने कहा कि पिछले एक दशक से ज़िला अदालतों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं. इसी रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि हाल के वर्षों में ऐसी ही घटनाएं मुज़फ्फरनगर और आगरा की अदालतों में हुई है.

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