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Wednesday, 25 December, 2024
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4 करोड़ टीकों के ग्लोबल टेंडर की नहीं मिली कोई प्रतिक्रिया, UP ने फिर आगे बढ़ाई बोली की तारीख़

उत्तर प्रदेश पहला सूबा था जिसने 5 मई को, विदेशों में निर्मित कोविड वैक्सीन्स के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था. उसके बाद कई राज्य UP का अनुकरण कर चुके हैं.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट के पता चला कि अगले छह महीनों में, चार करोड़ वैक्सीन ख़रीदने के लिए जारी ग्लोबल टेंडर पर, अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार को सोमवार को मजबूरन, तकनीकी बोलियां खोलने की अंतिम तिथि को, आगे बढ़ाकर 10 जून करना पड़ा.

वैक्सीन की क़िल्लत से जूझ रही यूपी स्टेट मेडिकल सप्लाईज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने, अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं से सीधे वैक्सीन ख़रीदने के लिए, 5 मई को ग्लोबल टेंडर्स जारी किए थे. मूल योजना ये थी कि तकनीकी बोलियां 21 मई को खोली जाएंगी, जिसे पहले 31 मई, और अब 10 जून तक बढ़ा दिया गया है.

यूपी देश का पहला राज्य था, जिसने अपना स्टॉक बढ़ाने के लिए एक ग्लोबल टेंडर जारी किया था, ताकि उसके लोगों को टीका लगाया जा सके.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना एवं एमएसएमई) नवनीत सहगल ने दिप्रिंट से पुष्ट किया, कि तकनीकी बोलियां खोलने की अंतिम तिथि, फिर से बढ़ा दी गई है. उसने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि रूस की स्पूतनिक वी जैसे वैश्विक निर्माता, नीलामी में हिस्सा लेंगे’.

12 मई को राज्य सरकार द्वारा बोली से पहले बुलाई गई बैठक में, स्पूतनिक वी, मॉडर्ना, फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, और ज़ायडस कैडिला जैसे शीर्ष वैक्सीन निर्माताओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. लेकिन सूत्रों का कहना है, कि कंपनियों से बहुत अधिक सुरक्षा राशि की मांग, और वैक्सीन्स को 2 डिग्री से 8 डिग्री तापमान के बीच रखने की अनिवार्यता जैसी कुछ शर्तों को लेकर, मॉडर्ना और फाइज़र की ओर से आशंका व्यक्त की गई थी, जिसकी वजह से सूपी सरकार ने शर्तों में ढील दे दी.

नए नियमों में न सिर्फ ज़मानत राशि को, 16 करोड़ से घटाकर 8 करोड़ कर दिया गया, बल्कि ऐसे निर्माताओं को भी बोली लगाने की अनुमति दे दी गई, जिनकी वैक्सीन्स को रखने और ले जाने के लिए, माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की ज़रूरत होती है. ये क़दम इसलिए उठाया गया, जिससे फाइज़र जैसी कंपनी भी बोली में शामिल हो सके, जिसकी वैक्सीन्स रखने के लिए, बहुत ठंडे तापमान की ज़रूरत होती है.

लेकिन ये क़दम भी कंपनियों में उत्साह नहीं जगा सके.

‘निर्माताओं ने अभी हमसे कुछ नहीं कहा है, लेकिन मैं समझता हूं कि फाइज़र और मॉडर्ना जैसी कंपनियों को कुछ समस्याएं हैं, और वो केंद्र के साथ बात कर रही हैं,’ ये कहना था सहगल का, लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि वो समस्याएं क्या हैं.

सहगल ने पहले दिप्रिंट से कहा था, कि केवल उन वैक्सीन निर्माताओं का चयन किया जाएगा, जिन्हें भारत सरकार से मंज़ूरी मिल चुकी है, या जिन्हें आने वाले दिनों में, भारत में इस्तेमाल की अनुमति मिल जाएगी.

रूस के गमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपीडेमियॉलजी एंड माइक्रोबायोलजी द्वारा विकसित स्पूतनिक वी, फिलहाल विदेशों में निर्मित अकेली वैक्सीन है, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत में, उत्पादन और इस्तेमाल की मंज़ूरी दी है.

यूपी के अलावा, आधे दर्जन से अधिक सूबों ने, जिनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश शामिल हैं, सीधे विदेशी निर्माताओं से वैक्सीन ख़रीदने के लिए, ग्लोबल टेंडर्स जारी किए हैं. लेकिन निर्माताओं की प्रतिक्रिया बिल्कुल फुस्स रही है.

25 मई को, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया, कि फाइज़र और मॉडर्ना ने उनकी सरकार से कहा था, कि वो अपनी कोविड-19 वैक्सीन्स राज्यों को नहीं बेंचेंगी, और इस बारे में सीधे केंद्र सरकार से डील करेंगी. इसी महीने पंजाब सरकार ने भी ऐसा ही दावा किया था.

मुम्बई की नागरिक इकाई बृहन्मुम्बई महानगर पालिका को भी, जिसने वैक्सीन्स के लिए 18 मई को ग्लोबल टेंडर्स जारी किए थे, ख़राब रेस्पॉन्स के चलते बोली जमा करने की अंतिम तिथि को, मजबूरन आगे बढ़ाना पड़ा.

‘30 जून तक 1 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य’

सहगल ने दिप्रिंट को बताया कि यूपी आने वाले महीनों में, अपना वैक्सीन स्टॉक बढ़ाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन फिलहाल उसके पास पर्याप्त मौजूद है.

उन्होंने कहा, ‘हम 30 जून तक टीके के 1 करोड़ डोज़ देने का लक्ष्य बना रहे हैं’.

आज से राज्य अपने सभी 75 ज़िलों में, 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए, टीकाकरण अभियान शुरू कर रहा है. पहले ये अभियान केवल 23 ज़िलों में चल रहा था.

सहगल ने कहा कि अभी तक राज्य में, 2 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली ख़ुराक मिल गई है, जबकि 35 लाख लोगों को दोनों डोज़ मिल गए हैं.

अभी तक, यूपी में कोवैक्सीन और कोविशील्ड के टीके लगाए जा रहे हैं, जिन्हें क्रमश: भारत बायोटेक तथा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने विकसित किया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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