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Wednesday, 25 December, 2024
होमखेल'भारतीय टीम से मेडल की उम्मीद नहीं', एशियाड गेम्स में प्रवेश को लेकर बृज भूषण का फोगाट और पुनिया पर निशाना

‘भारतीय टीम से मेडल की उम्मीद नहीं’, एशियाड गेम्स में प्रवेश को लेकर बृज भूषण का फोगाट और पुनिया पर निशाना

सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को एशियाड में सीधे प्रवेश देने के समिति के फैसले पर सवाल उठाए.

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गुरुग्राम: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि चीन के हांगझू में 19वें एशियाई खेलों के लिए गई भारतीय कुश्ती टीम के पिछले बार की तरह प्रदर्शन करने की संभावना कम है. उन्होंने इसका कारण उनके खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को बताया.

सिंह ने बुधवार को हरियाणा के रोहतक में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “चीन में 19वें एशियाई खेलों में भाग लेने गई कुश्ती टीम से मुझे पदक की उम्मीद नहीं है… दिल्ली में कुछ पहलवानों के आंदोलन के कारण, न तो कोई शिविर आयोजित किया गया और न ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रतियोगिता हुई.”

सिंह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रहे हैं और जमानत पर बाहर हैं. उन्हें भारत के शीर्ष पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक के नेतृत्व में एक महीने तक विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा, जिसे उनके खिलाफ शुरू की गई पुलिस जांच के मद्देनजर जून में रोक दिया गया था.

फोगाट और पुनिया को जुलाई में एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश मिला है.

दिल्ली पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र पर पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने कहा कि अदालत ने अब तक उनके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया है और वह आरोपपत्र को चुनौती देंगे.

उन्होंने स्पष्ट रूप से पहलवान बजरंग पुनिया, उनकी पत्नी संगीता फोगाट, साली विनेश फोगाट और साक्षी का जिक्र करते हुए  कहा, “चार्जशीट में उल्लिखित 108 गवाहों में से केवल चार – बजरंग पुनिया, उनकी पत्नी संगीता फोगाट, साली विनेश फोगाट और साक्षी मलिक मेरे खिलाफ हैं.”

यह दावा करते हुए कि डब्ल्यूएफआई की तदर्थ समिति, जिसने एशियाई खेलों के लिए देश की कुश्ती टीम में पुनिया और विनेश फोगाट को सीधे प्रवेश दिया था, वो नियमों और प्रथाओं के बारे में अनभिज्ञ थे. सिंह ने कहा, “यदि कुछ खिलाड़ी मानते हैं कि वे वरिष्ठ हैं, तो उन्हें ट्रायल में भाग लेना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने से पहले उन्हें भी पता चल जाए कि वे कहां खड़े हैं.”

उन्होंने यौन उत्पीड़न विवाद के लिए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और उनके पिता, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इन दोनों ने “कुश्ती पर नियंत्रण चाहने वाले कुछ उद्योगपतियों” के साथ मिलकर उनके खिलाफ साजिश रची.

उन्होंने कहा, “ये लोग इस बात से नाराज थे कि मैं महासंघ में बना हुआ हूं क्योंकि वे मामलों को अपने हितों के अनुसार चलाना चाहते थे.”

दिप्रिंट द्वारा गुरुवार को संपर्क किए जाने पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के बाद उन्हें कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है कि सिंह ने हर संभव मौके पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, “जहां तक बीजेपी के आरोपों की बात है, हमने पहलवानों के आंदोलन के दौरान उनका समर्थन किया, मुझे गर्व है कि हमने अपनी बेटियों का समर्थन किया और हमेशा करते रहेंगे.”

‘नुकसान पहले ही हो चुका है’

पुनिया को सीधे एशियाड में भेजने के विवाद पर, जिसमें विशाल कालीरमन को उस समय स्टैंडबाय बनाया गया जब वह अंतिम ट्रायल में प्रतिस्पर्धा करने वाले थे, सिंह ने कहा, “अब, वह (पुनिया) कहते हैं कि वह कालीरमन के समर्थकों द्वारा दी गई चुनौती को स्वीकार करेंगे. खेल ख़त्म होने के बाद उन्हें पैसे कौन देगा? अगर उन्हें अपनी ताकत पर भरोसा था तो उन्हें हांगझू जाने से पहले चुनौती स्वीकार करनी चाहिए थी.”

भाजपा सांसद ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह इस मामले में बेदाग निकलेंगे, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा को जो नुकसान हुआ है, वह अपूरणीय है. उन्होंने पूछा, “जब मैं इन सभी आरोपों से बरी हो जाऊंगा तो वे (प्रदर्शनकारी) मेरे परिवार और समर्थकों को क्या कहेंगे?”

सिंह ने कहा, “मैं एक बात दावे के साथ कह सकता हूं. मेरे पहले भी आपके पास WFI प्रमुख थे और मेरे बाद भी कई होंगे. लेकिन मैंने खेल के लिए जो किया उसके लिए मेरा नाम भारत में कुश्ती के इतिहास में दर्ज किया जाएगा.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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