scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेश‘छापेमारी की लाइव-स्ट्रीमिंग नहीं’ — कलकत्ता HC ने मीडिया और ED के लिए जारी किए दिशानिर्देश

‘छापेमारी की लाइव-स्ट्रीमिंग नहीं’ — कलकत्ता HC ने मीडिया और ED के लिए जारी किए दिशानिर्देश

कथित ‘नकदी के बदले नौकरी’ घोटाले में ED द्वारा पूछताछ के बाद TMC सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी की ओर से दायर याचिका पर कलकत्ता HC ने दिशानिर्देश जारी किए.

Text Size:

कोलकाता: हाई कोर्ट ने मंगलवार को मीडिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी और संपत्ति या सामान जब्त करने की लाइव कवरेज़ से रोक दिया और पत्रकारों के साथ-साथ ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों के लिए इस संबंध में कड़े दिशानिर्देश जारी किए.

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, “मीडिया किसी भी समय तलाशी और जब्ती, छापेमारी या पूछताछ की प्रक्रिया के लाइव वीडियो, ऑडियो/प्रिंट फुटेज को प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा.” आदेश की एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है.

38 पन्नों के आदेश में कहा गया है, “मीडिया, जांच के दौरान और आरोपपत्र दाखिल करने से पहले, उक्त जांच या इसके किसी भी पहलू के बारे में रिपोर्टिंग करने वाले समाचारों में जांच से जुड़े किसी भी व्यक्ति की तस्वीरें प्रकाशित नहीं करेगा.”

हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि ये केवल दिशानिर्देश हैं जिनका सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है, न कि कोई रोक-टोक वाला आदेश क्योंकि यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ होगा.

अन्य मामलों पर भी लागू, कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में संचालित सरकारी स्कूलों में कथित नौकरी के बदले नकद घोटाले के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

10 अक्टूबर को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी, जो एक थाई नागरिक हैं, जिनके पास ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड है, ने (अभिषेक बनर्जी मामले में बतौर आरोपी) पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद “मीडिया ट्रायल” से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था.

जिस दिन उन्होंने याचिका दायर की, उस दिन ईडी उनसे लीप्स एंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के रूप में पूछताछ कर रही थी, जो घोटाले से संबंधित कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी के लेंस के तहत एक कंपनी थी. पूरी जांच फिलहाल अदालत की निगरानी में है.


यह भी पढ़ें: बंगाल में BJP भटक रही है और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने ही मंत्री को घर में बंद करना इसका संकेत है


कोर्ट ने क्या कहा

अपने दिशानिर्देशों में न्यायाधीश ने कहा कि जानकारी का “सटीक स्रोत” समाचारों में दिखाया जा सकता है या नहीं भी, लेकिन संपादकों/संपादकों के बोर्ड/विशेष मीडिया इकाई के प्रबंधन को ठोस सामग्री द्वारा इसकी पुष्टि करने में सक्षम होना चाहिए, अगर किसी भी अदालत या जांच एजेंसी या कानून में ऐसा करने के लिए अधिकृत अन्य निकाय, जिसमें मीडिया के संबंध में स्व-विनियमन प्राधिकरण भी शामिल हैं, द्वारा इसकी आवश्यकता होती है.

इसमें यह भी कहा गया है कि “चार्जशीट दाखिल करने से पहले, जांच एजेंसियां (वर्तमान मामले में, ईडी) जनता या मीडिया के सामने किसी विशेष व्यक्ति की पूछताछ, छापेमारी और तलाशी की परिस्थितियों, कारणों और/या जानकारी का खुलासा नहीं करेंगी. व्यक्ति, चाहे अभियुक्त हो या गवाह, या संदिग्ध हो”.

अदालत ने कहा कि आमतौर पर जांच एजेंसियां और विशेष रूप से ईडी – किसी भी छापे/पूछताछ, तलाशी और जब्ती प्रक्रिया के दौरान किसी भी समय मीडियाकर्मियों को शामिल नहीं करेगी या उनके साथ नहीं होगी क्योंकि वो कार्रवाई से पहले ही सबकुछ दिखा देते हैं.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बोलने की आज़ादी का अधिकार निजता के अधिकार से आगे नहीं बढ़ सकता.

कोर्ट में बहस के दौरान केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे डिप्टी सॉलिसिटर जनरल बिलवाडल भट्टाचार्य ने कहा कि याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए क्योंकि रुजिरा एक विदेशी नागरिक हैं.

उन्होंने कहा, “एक विदेशी आपके आधिपत्य के समक्ष गुहार लगा रही हैं कि उनके अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है और वह प्रेस और भारत के अन्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने की प्रार्थना कर रही हैं. मीडिया की खबरें अटकलें हैं, लेकिन क्या कोई विदेशी भारतीय नागरिकों की आवाज़ दबा सकता है?”

रुजिरा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील किशोर दत्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल और उनके परिवार को “घोटाले का दोषी” ठहराया जा रहा है और यह जानने का अनुरोध किया कि एक जांच एजेंसी किस हद तक मीडिया को खबरें दे सकती है.

उन्होंने कहा कि उनकी मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं बल्कि गवाह थी और “पूर्वाग्रहपूर्ण प्रचार” का उस पर असर पड़ रहा था.

हाई कोर्ट ने मीडिया और जांच एजेंसियों को सुनवाई की अगली तारीख 15 जनवरी 2024 तक दिशानिर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है और याचिकाकर्ता को मानहानि का मामला आगे बढ़ाने की अनुमति दी है.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, BJP ने 86 नाम किए घोषित


 

share & View comments