नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सिख विरोधी दंगों के एक सह-अपराधी, महेंद्र सिंह यादव को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया जिसने इस आधार पर राहत की मांग की थी कि वो कोविड-19 से पीड़ित है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए यादव की याचिका सुनने वाली न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और बीआर गवई की अवकाश खंडपीठ ने कहा कि आवेदक इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती था और उसे दिए जा रहे इलाज को लेकर कोई विशेष शिकायत नहीं थी.
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील आर बसंत के इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया कि यादव के परिवार के सदस्यों को उससे मिलने की इजाज़त दी जाए.
बेंच ने सीनियर वकील से कहा, ‘सिर्फ इस आधार पर कि वो हिरासत में है, उसके साथ अलग बर्ताव नहीं किया जा सकता. कोविड मरीज़ों को आमतौर पर अस्पताल में नहीं आने दिया जा रहा है’.
बेंच ने कहा कि यादव को जो इलाज़ मिल रहा है, उसे लेकर कोई सटीक आरोप या शिकायत नहीं हैं इसलिए इस याचिका पर विचार करना संभव नहीं है. परिवार ने ये भी सुझाव नहीं दिया कि वो यादव को कहां ले जाना चाहते थे.
अपनी ज़मानत याचिका में यादव ने ये भी दावा किया कि वो एक साल जेल में बिता चुका है और अदालत उसके साथ नरमी बरते.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसम्बर 2018 को विधायक रह चुके 70 वर्षीय यादव को 1984 के सिख विरोधी दंगों में उसकी भूमिका का दोषी मानते हुए 10 साल की सज़ा सुनाई थी. फैसले के खिलाफ दायर की गई उसकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसने सीबीआई को नोटिस जारी किया हुआ है.
‘दोषी के लिए कोई भेद नहीं’
इससे पहले यादव की पैरोल के लिए दायर याचिका भी शीर्ष अदालत ने ये देखते हुए खारिज कर दी थी कि वो किसी बीमारी से पीड़ित नहीं है.
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कोविड-19 पॉज़िटिव पाए जाने के बाद, यादव ने 26 जून को एक ताज़ा ज़मानत याचिका दायर की थी. उसने बताया था जिस कैदी के साथ वो अपनी बैरक साझा करता था, उसकी 15 जून को नोवेल कोरोनावायरस से मौत हो गई थी.
बुधवार को यादव ने, ये कहते हुए फिर से पैरोल के लिए आवेदन दिया कि जेल के अंदर उसका व्यवहार आमतौर से अच्छा रहा है. उसकी याचिका के मुताबिक, फिलहाल वो लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में भर्ती है. आवेदन में ये भी कहा गया कि वो दूसरी बीमारियों से भी ग्रसित है, जिनमें पेशाब का अनियमित होना, गंभीर डायबिटीज़ और गुर्दों की समस्याएं शामिल हैं.
लेकिन सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के नटराजन ने यादव की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ज़मानत देने से एक मिसाल कायम होगी और दूसरों को भी इसी तरह की याचिकाएं डालने का कारण मिल जाएगा.
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अपने आदेश में बेंच ने नोट किया कि यादव के इलाज की हर संभव कोशिश की जा रही है.
कोर्ट ने नटराजन का ये बयान भी नोट किया कि सभी मरीज़ों का बराबर इलाज किया जा रहा है और यादव के लिए ‘कोई भेद नहीं किया जा सकता’.
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