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Friday, 22 November, 2024
होमदेशराशन से कफ़न तक को बेहाल एनएलयूडी के पूर्व सफाईकर्मी, दिल्ली सरकार के आदेश के बाद भी वापस नहीं मिला काम

राशन से कफ़न तक को बेहाल एनएलयूडी के पूर्व सफाईकर्मी, दिल्ली सरकार के आदेश के बाद भी वापस नहीं मिला काम

एनएलयूडी के एक पूर्व सफ़ाई कर्मचारी विक्रम राठी (32) ने कहा, 'नौकरी जाने और लॉकडाउन की दोहरी मार के दौरान हमें ना सिर्फ़ राशन बल्कि कफ़न के लिए भी छात्रों पर आश्रित होना पड़ा.'

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नई दिल्ली: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली (एनएलयूडी) के सफाई कर्मचारी 2019 के दिसंबर से अपनी नौकरी वापस पाने को लेकर संघर्षरत हैं. उनकी खुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब दिल्ली सरकार ने 17 जून को उन्हें फिर से बहाल करने का आदेश दिया लेकिन शुक्रवार को जब वो ये आदेश लागू कराने एनएलयूडी पहुंचे तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

छह साल से एनएलयूडी में सफाई कर्मचारी का काम कर रहीं नीतू सिंह यादव (31) की नौकरी जनवरी में चली गई थी. दिसंबर 2019 में राजेंद्र मैनेजमेंट ग्रुप (आरएमजी) को दिए गए नए कॉन्ट्रैक्ट की वजह से नीतू जैसे कई पुराने कर्मचारियों को काम से हाथ धोना पड़ा है. तब से ही ये कर्मचारी अपनी नौकरी वापस पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं.

इस जद्दोजहद में इन्हें एनएलयूडी के छात्रों का साथ हासिल है. एनएलयूडी के छात्रों की यूनिवर्सिटी प्रशासन और दिल्ली सरकार से कई बार बातचीत हुई.

इसी के परिणामस्वरूप दिल्ली सरकार की लेबर मिनिस्ट्री ने 17 जून को एक आदेश में कहा, ‘सभी पुराने कर्मचारियों को फिर से बाहल किया जाए. वर्तमान कॉन्ट्रैक्ट रद्द किया जाए और इसका भी मूल्यांकन किया जाए कि यूनिवर्सिटी को कितने कर्मचारियों की जरूरत है.’ हालांकि, अभी तक आदेश को लागू नहीं किया गया है.

इसे लागू नहीं किए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी पर आरोप लगाते हुए सफाई कर्मचारियों के नेतृत्व में शामिल एनएलयूडी की छात्रा एकता तोमर ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी प्रशासन आदेश को लागू करने में देरी करने की रणनीति अपना रहा है. उन्हें लगता है कि देर होने पर पहले से हताश इन कर्मचारियों की हिम्मत टूट जाएगी और विरोध समाप्त हो जाएगा.’


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प्रशासन ने कहा आदेश कर रहे लागू

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रालय के आदेश को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हमारे एनएलयूडी एक्ट के तहत इसे यूनिवर्सिटी के एक्ज़िक्यूटिव/जेनरल काउंसिल के सामने इसे पेश किया जाएगा.

प्रशासन के अनुसार हालांकि ये विवाद मुख्यतः कर्मचारियों और ठेकेदार/कंपनी के बीच है. यूनिवर्सिटी कभी कर्मचारियों को काम पर नहीं रखती, बल्कि ये सर्विस हायर करती है. कर्मचारी बदलते रहते हैं सर्विस जारी रहती है. ऐसी कॉन्ट्रैक्चुअल स्थिति में कॉन्ट्रैक्ट का समय समाप्त होने पर यूनिवर्सिटी कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए क़ानूनी तौर पर बाध्य नहीं हैं. कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने के बाद उन्हें काम पर रखने का कोई क़ानूनी आधार नहीं है.

प्रशासन का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने फिर भी पिछले समूह से आधे लोगों को काम पर रखा है और 5 किलोमीटर की दूरी में रहने वाले बाकी कर्मचारियों को काम पर रखने का लिखित आश्वासन दिया है.

इस विषय पर दिप्रिंट ने जब एनएलयूडी के वीसी रनबीर सिंह से उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया तो उन्होंने सूर्यग्रहण और रविवार होने का हवाला देते हुए बात करने से मना कर दिया.

वहीं, लेबर मिनिस्टर गोपाल राय के ओएसडी अनिल घड़ियाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘हो सकता है कि एनएलयूडी को आदेश को लागू करने में थोड़ा समय लग रहा हो. अगर वो इसे लागू नहीं करते और हमें लिखित में कारण बताते हैं तो हम आगे की कार्रवाई करेंगे.’

इस बीच 6 महीने से बिना सैलरी के गुज़ारा कर रहे इन सफाई कर्मचारियों पर काम ना होने और लॉकडाउन की दोहरी मार पड़ी है जिसकी वजह से राशन से कफ़न तक के लिए ये एनएलयूडी के छात्रों पर आश्रित हैं.

ऐसे ही एक सफाई कर्मचारी विक्रम राठी (32) यहां छह साल से काम कर रहे थे. नए टेंडर की वजह से उनका भी काम छिन गया. राठी ने  कहा, ‘नौकरी जाने और लॉकडाउन की दोहरी मार के दौरान ना सिर्फ हमें राशन बल्कि कफ़न के लिए भी छात्रों पर आश्रित होना पड़ा है. मई में जब मेरे पिता गुज़रे तो अंतिम संस्कार के लिए पैसा भी छात्रों ने दिए.’

ऐसी ही आफ़त से गुज़र रहे ये सभी कर्मचारी बस अपना काम वापस चाहते हैं लेकिन आदेश लागू करने के बाजए उन्हें पुलिस का डर दिखाया जा रहा है.


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शुक्रवार की घटना को लेकर सफाईकर्मियों का पुलिस पर महामारी कानून के तहत केस दर्ज करने की धमकी देने और बगैर महिला पुलिस के महिलाओं की हिरासत में लेने का आरोप है. ये आरोप पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई नीतू और एकता ने लगाए हैं.

इस बारे में जब दिप्रिंट ने इन्हें हिरासत में लिए जाने के दौरान वहां मौजूद सब इंस्पेक्टर अनुज यादव को फोन किया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया.

इस बीच सफाई कर्मचारियों और छात्रों का कहना है कि उन्होंने लेबर मंत्री गोपल राय को मेल भेजकर इस बात से अवगत करा दिया है कि उनके मंत्रालय का आदेश एनएलयूडी लागू नहीं कर रहा. उन्हें उम्मीद है कि मंत्रालय इसका संज्ञान लेगा और बेरोज़गारी की मार झेल रहे इन सफाईकर्मियों को जल्द राहत मिलेगी.

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