scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमदेशनीति आयोग ने रेलवे से मुंबई लोकल और अन्य उपनगरीय ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने को कहा

नीति आयोग ने रेलवे से मुंबई लोकल और अन्य उपनगरीय ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाने को कहा

नीति आयोग ने रेलवे से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि भीड़भाड़ के कारण होने वाली मौतों को रोकने के प्रयास के तहत सभी उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाए जाएं.

Text Size:

नई दिल्ली : दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, नीति आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक शून्य मौतों के अपने दावे के लिए रेलवे की खिंचाई करने के कुछ दिनों बाद रेलवे से मुंबई में भीड़ के लिए कुख्यात लोकल ट्रेनों सहित सभी उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाने के लिए कहा है.

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में 18 अगस्त को हुई एक बैठक में सरकार के थिंक-टैंक ने रेलवे से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी उपनगरीय ट्रेनों में भीड़ के कारण होने वाली मौतों पर काबू पाने के प्रयास के तहत स्वचालित दरवाजे दरवाजे लगाए जाएं, क्योंकि सामान्य दरवाजे आमतौर पर खुले रहते हैं.

दिप्रिंट को मिले बैठक के मिनट्स के मुताबिक, नीति आयोग ने रेलवे से कहा, ‘सभी उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाए जाने चाहिए. ज्यादा भीड़भाड़ वाले उपनगरीय रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाने पर भी विचार किया जा सकता है.’

पीएसडी यात्री सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए कांच के स्क्रीन होते हैं, जो रेलवे प्लेटफॉर्म में एकदम किनारे लगे होते हैं. वे तभी खुलते है जब कोई ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है, बाकी समय बंद रहते हैं.

भारत में उपनगरीय ट्रेनें मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और दिल्ली में चलती हैं.

दिप्रिंट ने यह जानने के लिए यह प्रस्ताव कितना व्यावहारिक है, एक टेक्स्ट मैसेज के जरिये रेल मंत्रालय के प्रवक्ता से कुछ सवाल पूछे थे लेकिन फिलहाल उन पर कोई उत्तर नहीं मिला है.


यह भी पढ़ें: रेल सेवा विलय की प्रक्रिया तेज करना चाहता है मंत्रालय, पीएमओ कल लेगा इसका जायजा


नीति आयोग ने रेलवे के ‘शून्य मौतों’ के दावे पर सवाल उठाया

यह सुझाव रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को एक पत्र भेजे जाने के कुछ हफ्ते बाद हुई बैठक में दिया गया, जिसमें कांत ने शून्य मौतों के रेलवे के दावे पर सवाल उठाया था.

कांत ने 24 जुलाई को लिखे अपने पत्र में कहा था कि मुंबई उपनगरीय नेटवर्क में हर साल लगभग 2,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं, और यह आंकड़ा मौतों के संबंध में तैयार होने वाली रिपोर्ट में शामिल होना चाहिए.

रेलवे के एक प्रेजेंटेशन का जिक्र करते हुए, कांत ने कहा, ‘इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि 2019-20 में कुल पांच मौतें हुईं और चालू वित्त वर्ष में एक भी मौत नहीं हुई. क्या यह वास्तविक रिकॉर्ड है?’

उन्होंने कहा, ‘मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क में ही हर साल 2,000 से अधिक लोग अपना जीवन खो देते हैं. यह बताया गया है कि ये मौतें जबरन घुसने के कारण होती हैं और इसलिए इनकी गिनती नहीं की जाती है. मैं इस तथ्य पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि इनमें से कई मौतें लोगों के पटरियों या प्लेटफॉर्म पर गिरने से हुई हैं.’

रेलवे अधिकारियों ने सुझाव के साथ चिंता जताई

इस बीच, रेलवे अधिकारियों ने नीति आयोग के प्रस्ताव का स्वागत तो किया है लेकिन साथ ही कहा कि इसे लागू करने में कम से कम तीन समस्याएं हैं.

सबसे पहले तो मैनुअल दरवाजों के कारण खुले होने की वजह से भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में वेंटिलेशन की समस्या नहीं आती है. यही नहीं, 2018 में स्वचालित दरवाजे लगाने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) का जवाब देते हुए भी दक्षिणी रेलवे ने अदालत को बताया था कि वेंटिलेशन की समस्या के कारण यह प्रस्ताव संभव नहीं है.

एक डिप्टी चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (ऑपरेशन्स एं मल्टीपल यूनिट) ने कहा, ‘भारत में सभी उपनगरीय सेक्शन वातावरण के लिहाज से गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पड़ते हैं. ईएमयू/उपनगरीय ट्रेनों में किसी भी कोच के अंदर लोगों की बड़ी संख्या (निर्धारित क्षमता से अधिक) के कारण यात्रियों के लिए आरामदायक यात्रा का स्तर पहले से ही खराब स्थिति में है. यह बंद कोच के अंदर वेंटिलेशन न होने और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने की वजह बनता है.’

दूसरे, स्वचालित दरवाजे होने से इन ट्रेनों की क्षमता काफी कम हो जाएगी. रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि कम से कम 10-15 प्रतिशत यात्री ट्रेन में यात्रा नहीं कर पाएंगे. वे कैसे यात्रा करेंगे? क्या आपके पास उन सभी को यात्रा सुविधा देने के लिए चलने वाली ट्रेनों को बढ़ाने की क्षमता है?’

तीसरा मुद्दा दूसरे से ही जुड़ा है, जैसा कि एक अन्य अधिकारी ने कहा कि स्वचालित दरवाजे लगने से इसके बंद होने में लगने वाला समय कम से कम 30 सेकंड बढ़ जाएगा. इससे मुंबई में दो ट्रेनों के चलने के बीच के समय में अंतर कम से कम पांच-छह मिनट तक बढ़ जाएगा. अधिकारी ने कहा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों की संख्या पहले से ही बहुत ज्यादा है– एक दिन में लगभग 3,000 ट्रेन सेवाएं हैं—समय में अंतर बढ़ना रेलवे के लिए एक बड़ी बाधा बन जाएगा.’


यह भी पढ़ें: रेलवे ने कहा निजी ट्रेन संचालक तय कर सकते हैं अपने किराए, लेकिन इसमें है पेंच


(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments