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Thursday, 26 September, 2024
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रघुराम राजन पर बरसीं सीतारमण, कहा- मनमोहन सिंह के समय बैंको की हालत सबसे खराब थी

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले हफ्ते अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि सरकार के पास आर्थिक विजन की कमी है.

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न्यू यॉर्क: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय पब्लिक सेक्टर बैंक की स्थिति पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल के दौरान सबसे खराब रही थी.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय विभाग में मंगलवार को अपने लेक्चर के दौरान कहा कि सभी सार्वजनिक बैंकों को सही स्थिति में लाना उनकी पहली प्राथमिकता है.

दीपक और नीरा राज सेंटर द्वारा आयोजित कराए गए इस लेक्चर में सीतारमण ने कहा मैं रघुराम राजन का ‘सम्मान’ करती हूं. ‘राजन एक बेहतरीन स्कॉलर हैं जिन्होंने भारतीय सेंट्रल बैंक को उस वक्त संभाला जब उसकी स्थिति ठीक नहीं थी.

राजन द्वारा दिए गए भाषण जब वित्त मंत्री से पूछा गया. राजन ने पिछले हफ्ते एक लेक्चर के दौरान कहा था कि नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं रही थी. इसका कारण सरकार का केंद्रीयकरण और आर्थिक दृष्टी की कमी है. इसपर वित्त मंत्री ने कहा कि उनके समय में भी बैंकों की स्थिति को लेकर बड़ा सवाल बना हुआ था.

वित्त मंत्री ने कहा कि ‘वो राजन का ही समय था जब फोन कॉल के जरिए लोन बांट दिए जाते थे. अभी तक सरकार इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.’

डॉ मनमोहन सिंह उस समय देश के प्रधानमंत्री थे. इसलिए राजन समझते थे कि उनके पास आर्थिक विजन है.

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं यहां किसी का मजाक नहीं बना रही हूं. मैं आप लोगों को बताना चाहती हूं कि राजन और मनमोहन सिंह के कार्यकाल के समय बैंको की स्थिति खराब होनी शुरू हुई थी. उस समय किसी को इसके बारे में पता नहीं था.


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सीतारमण ने कहा कि राजन अच्छे जानकार हैं लेकिन लोगों को जानना चाहिए कि बैंकों का या हाल किस वजह से हुआ है.

इस कार्यक्रम में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, प्रोफेसर और अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और संदीप चक्रवर्ती भी मौजूद थे.

सीतारमण ने कहा, जब अर्थशास्त्री मौजूदा स्थिति की बात कर रहे हो तब मैं राजन के आरबीआई गवर्नर के कार्यकाल की याद दिलाना चाहती हूं.

सीतारमण से जब पूछा गया कि क्या सरकार में केंद्रीकृत नेतृत्व है. इसपर वित्त मंत्री ने कहा पूरी तरह लोकतांत्रिक नेतृत्व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है.

वित्त मंत्री ने कहा भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए एक असरदार नेतृत्व की जरूरत है. एक लोकतांत्रिक नेतृत्व भले ही उदारवादी लोगों को पसंद आए. लेकिन वो अपने पीछे व्यवस्था को इतना खराब कर गए हैं कि हमें आज तक उसे ठीक करना पड़ रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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