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Monday, 23 December, 2024
होमदेशनिर्भया बलात्कार मामले में चारों आरोपियों को अदालत ने सुनाई फांसी की सज़ा

निर्भया बलात्कार मामले में चारों आरोपियों को अदालत ने सुनाई फांसी की सज़ा

निर्भया के आरोपियों को 22 जनवरी को फांसी की सज़ा दी जाएगी. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने ये आदेश दिया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 2012 में निर्भया के साथ हुए बलात्कार मामले में चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि आरोपियों को 22 जनवरी को सजा दी जाए. आरोपियों को सुबह 7 बजे सजा दी जाएगी. कोर्ट में ये फैसला वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनाया गया.

निर्भया के परिवार वालों की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी. याचिका में चारों आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग की गई थी.

2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा, ‘सच्चाई एक दिन जरूर जीतती है. मुझे मालूम था कि एक दिन ऐसा ही फैसला आएगा.’ उन्होंने फैसले पर संतुष्टि जाहिर की है.’

आशा देवी ने कहा, ‘मेरी बेटी को आज न्याय मिल गया है. आज जिस तरह से चारों आरोपियों को सज़ा सुनाई गई है यह देश की महिलाओं को और सशक्त बनाएगा. यह फैसला देश के लोगों की न्यायिक व्यवस्था में आस्था को और मजबूत करेगा.’

दिल्ली की कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पक्ष 14 दिनों के भीतर अपने कानून उपायों का प्रयोग कर सकता है. निर्भया के आरोपियों के वकील एपी सिंह ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देंगे.’

कानून के मुताबिक जब किसी व्यक्ति को जिसे मौत की सज़ा मिली हुई है, उसकी सभी कानूनी उपाय समाप्त हो जाते हैं तब ब्लैक वारंट या डेथ वारंट की कार्यवाही शुरू होती है.

2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले ने बलात्कार और महिला सुरक्षा से संबंधित भारत के आपराधिक कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन किए थे.

ब्लैक वारंट पर कानून क्या कहता है

कानून के अनुसार, एक कैदी द्वारा ‘सभी कानूनी उपायों समाप्त होने के बाद ही ब्लैक वारंट की कार्यवाही होती है.’

जैसा कि यह शबनम बनाम भारत संघ (मई 2015) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया, ब्लैक वारंट की कार्यवाही अभियुक्त और उसके वकील के उपस्थित होने के बिना नहीं हो सकती है.

2015 के मामले में कहा गया है कि एक दोषी को मृत्यु वारंट की कार्यवाही की पूर्व सूचना दी जानी चाहिए. वारंट में सजा की तारीख और समय निर्धारित होती है.

कानून के तहत, निष्पादन वारंट की एक प्रतिलिपि अपराधी को उपलब्ध कराई जानी चाहिए, और उसे इन कार्यवाहियों में कानूनी सहायता दी जानी चाहिए.

आतंकवादी याकूब मेमन के मामले में, 30 अप्रैल 2015 को जारी किए गए मौत का वारंट, 30 जुलाई 2015 के लिए उसके निष्पादन को निर्धारित करते हुए, अमान्य होने का तर्क दिया गया क्योंकि उपचारात्मक याचिका का विकल्प अभी तक समाप्त नहीं हुआ था. बाद में उन्होंने 22 मई 2015 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक क्यूरेटिव याचिका दायर की, जिसे 21 जुलाई 2015 को खारिज कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें फांसी दे दी गई.

ब्लैक वारंट क्या कहता है

ब्लैक वारंट जेल के प्रभारी अधिकारी को संबोधित किया जाता है जहां एक दोषी, जिसे मौत की सजा सुनाई गई है, उसे जेल हुई होती है. वारंट दोषी को पहचानता है, जिस मामले में दोषी ठहराया गया था, जिस दिन उसे मृत्युदंड और उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड की पुष्टि की थी.

ब्लैक वारंट दोषी के निष्पादन के प्रमाण पत्र के साथ संबंधित जेल अधिकारी से जवाब देने से पहले निष्पादन का समय और स्थान प्रदान करता है. वारंट पर ट्रायल कोर्ट के एक जज का हस्ताक्षर होता है जिसने मौत की सजा दी थी और कोर्ट की मुहर भी लगाई थी.

निर्भया मामला

16 दिसंबर 2012 को, राष्ट्रीय राजधानी में अपने दोस्त के साथ यात्रा कर रही एक महिला को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ने से पहले एक निजी बस में पीटा गया, सामूहिक बलात्कार किया गया और क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया. महिला को शुरू में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सरकार पर जनता के दबाव के बाद, उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां उसने दो सप्ताह बाद अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया.

आरोपी

इस गैंगरेप और मर्डर केस में 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसमें मुकेश (30), पवन गुप्ता (23), विनय शर्मा (24), राम सिंह (22), अक्षय कुमार सिंह (27) और एक नाबालिग शामिल थे.

राम सिंह ने मार्च 2013 में पुलिस कस्टडी में आत्महत्या कर ली थी. वहीं नाबालिग को तीन साल के लिए सुधार गृह भेज दिया गया था. बाकी चार लोगों पर फार्स्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चल रहा था.

10 सितंबर 2013 को चारों लोगों को मर्डर और बलात्कार का आरोपी माना गया. मार्च 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई. जब आरोपियों ने मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी और कहा कि काफी विभत्स घटना को अंजाम दिया गया था. कोर्ट ने भी चारों लोगों की मौत की सजा को बरकरार रखा.

(देबायन रॉय के इनपुट के साथ)

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