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Sunday, 5 May, 2024
होमदेशनिर्भया को इंसाफ: चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया, मां बोली- आज का दिन देश की बेटियों के नाम

निर्भया को इंसाफ: चारों दोषियों को फांसी पर लटकाया गया, मां बोली- आज का दिन देश की बेटियों के नाम

निर्भया के चारों दोषी अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश के वकील सारी रात उनकी फांसी की सजा को रुकवाने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते रहे. लेकिन सात साल के लंबे इंतजार के बाद 20 मार्च 5.30 बजे सुबह चारों दोषियों को फांसी सजा दी गई.

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नई दिल्ली: और पूरे सात साल के लंबे इंतजार और कानूनी लड़ाई के बाद आखिर निर्भया को इंसाफ मिल गया. उसके चारों दोषियों को एक साथ आज सुबह तड़के तिहाड़ जेल में फांसी लगा दी गई. चारों को फांसी दिए जाने के पहले तिहाड़ जेल में डॉक्टरी जांच की गई. हमारे संवाददाता तरुण कृष्णा के मुताबिक डीजी तिहाड़ ने संदीप गोयल चारों दोषियों को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है.

बता दें कि निर्भया के चारों दोषी अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश के वकील सारी रात उनकी फांसी की सजा को रुकवाने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते रहे. लेकिन सात साल के लंबे इंतजार के बाद 20 मार्च 5.30 बजे सुबह चारों दोषियों को फांसी सजा दी गई.

मां ने कहा- मिला इंसाफ

फांसी दिए जाने की खबर के बाद ही मां आशा देवी बहुत खुश दिखाई और उन्होंने कहा कि आज इंसाफ मिल गया है. आज का दिन देश वासियों की बच्चियों और महिलाओं के नाम करते हुए कहा कि आज हमें इंसाफ मिल गया है. इंसाफ की रात लंबी जरूर थी लेकिन आज देश को न्याय व्यवस्था ने इंसाफ दे दिया है. उन्होंने इसके साथ राष्ट्रपति सहित न्याय व्यवस्था को शुक्रिया अदा किया.

फांसी दिए जाने के बाद मां आशा देवी भावुक हो गईं और उन्होंने कहा कि आज लोगों का विश्वास न्याय व्यवस्था पर बढ़ गई है. मां ने आगे कहा जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने उन दोषियों की सारी याचिकाओं को खारिज किया वैसे ही मैंने उनकी फोटो को गले लगाया और कहा आज तुम्हें इंसाफ मिल गया है.

निर्भया की इंसाफ की रात के बैनर के साथ सैंकड़ों की संख्या में तिहाड़ जेल के बाहर लोग डटे हुए थे. जैसे ही मीडिया ने फांसी दिए जाने की घोषणा की वैसे ही लोगों ने तालियां बजाकर खुशी का इजहार किया. सैंकड़ों की संख्या में लोग ‘निर्भया को इंसाफ’ इंक्लाब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. इसी दौरान लोगों ने खुशी में मिठाई बांटी.

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उच्च न्यायालय ने फांसी पर रोक की मांग करने वाली तीन दोषियों की याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सज़ा पाए चार में से तीन दोषियों की याचिका को गुरुवार देर रात को खारिज कर दिया. इस याचिका में तीन दोषियों ने निचली अदालत द्वारा उनकी फांसी पर रोक नहीं लगाने के फैसले को चुनौती दी थी.

न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने देर रात की सुनवाई में दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई मेरिट नहीं है.

निचली अदालत ने गुरुवार दोपहर में अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा की मृत्यु वारंट पर रोक की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी.

इससे पहले देर रात सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले के चौथे दोषी की ओर से दया याचिका दायर करने में देरी दिखाती है कि कोई साजिश है और कोई व्यवस्था से खेल रहा है.

पीठ ने कहा कि दया याचिका दायर करने में काफी देरी हुई और दोषियों की ओर से पेश हुए वकील से मजबूत कानूनी बिंदु पेश करने का आग्रह किया.

वकील ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह फांसी को तीन-चार दिन के लिए टाल दें ताकि वह अपने मामले से अवगत करा सकें.

बहरहाल, पीठ ने कहा कि यह चौथा मृत्यु वारंट है और दोषियों की तरफ से पहले ही काफी देरी की जा चुकी है.

पीठ ने कहा कि आपको रोक के लिए वाजिब दलीलें देनी होंगी. अगर आप वाजिब दलीलें नहीं देंगे तो हम रोक नहीं लगा सकते हैं. आपका ढीला-ढाला रवैया है.

उन्होंने कहा कि रात को 11 बजे हम आपसे कह रहे हैं कि कृपया पॉइंट पर आइए. आप पॉइंट पर नहीं आ रहे हैं.

पीठ ने आगे कहा कि याचिका में कोई आधार नहीं है और वकील से मजबूत कानूनी बिंदु रखने को कहा.

पीठ ने दोषियों के वकील से कहा कि वक्त ज़ाया नहीं करें, क्योंकि सुबह साढ़े पांच बजे याचिका निरर्थक हो जाएगी.


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पीठ ने यह भी कहा कि चारों दोषियों को मौत की सजा की पुष्टि पर उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम है और हम उसकी समीक्षा नहीं कर सकते.

पीठ ने कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते हैं कि मृत्यु वारंट को लागू नहीं किया जाए, क्योंकि अक्षय की पत्नी की तलाक की अर्जी लंबित है.’

दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इस घटना ने देश को हिला दिया था. पीड़िता को को निर्भया नाम से जाना गया.

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