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Friday, 26 April, 2024
होमदेशएनआईए ने सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख सदस्यों में शामिल 16 खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की

एनआईए ने सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख सदस्यों में शामिल 16 खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की

एनआईए ने कहा है कि सिख फॉर जस्टिस समूह पाकिस्तान सहित विभिन्न देशों से संचालित होने वाले ‘खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों’ का एक फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ‘खालिस्तान’ बनाने के लिए ‘रेफरेंडम 2020’ के बैनर तले एक ‘संगठित अलगाववादी अभियान’ चलाने के लिए अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन से संबद्ध 16 विदेशी नागरिकों के खिलाफ बुधवार को चार्जशीट दायर की.

एनआईए के अनुसार, सभी 16 लोग अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के सदस्य हैं. चार्जशीट में शामिल आरोपितों में एसएफजे के गुरपतवंत सिंह पन्नून, हरदीप सिंह निज्झर और परमजीत सिंह जैसे प्रमुख सदस्यों के नाम है—जिन तीनों को पहले ही गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत ‘आतंकवादी’ घोषित किया जा चुका है.

गुरपतवंत के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में भी यूएपीए के तहत कई अन्य मामले दर्ज हैं.

चार्जशीट में जिन अन्य लोगों को आरोपित किया गया है, उनमें अवतार सिंह पन्नून, गुरप्रीत सिंह बागी, हरप्रीत सिंह, सरबजीत सिंह बन्नूर, अमरदीप सिंह पुरेवाल, जे.एस. धालीवाल, कुलवंत सिंह मोथाडा, दुपिन्दरजीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरजप सिंह, सरबजीत सिंह, जतिंदर सिंह ग्रेवाल और हिम्मत सिंह शामिल हैं.

एनआईए के अनुसार, यूएपीए के तहत एसएफजे को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है. समूह के खिलाफ 2019 में अन्य धाराओं के अलावा यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.

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‘मानवाधिकार समूह की आड़ में अलगाववादी संगठन’

एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार, मामले की जांच से पता चला है कि मानवाधिकारों की वकालत करने वाले समूह के नाम पर शुरू किया गया एसएफजे पाकिस्तान सहित विदेशी धरती से संचालित होने वाले ‘खालिस्तानी आतंकवादी समूहों’ का फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है.

अधिकारी ने कहा, ‘यह अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों में ‘मानवाधिकार सुरक्षा समूह’ की आड़ में अपने कार्यालय चलाने वाला एक अलगाववादी संगठन था. यह भारत की धरती से बाहर सक्रिय खालिस्तानी आतंकी समूहों का एक फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है.’

अधिकारी ने यह भी कहा कि ‘रेफरेंडम 2020’ अभियान के तहत फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, यूट्यूब चैनल और कई अन्य वेबसाइट पर कई सोशल मीडिया अकाउंट लॉन्च किए गए थे, जिनका इस्तेमाल धर्म के आधार पर लोगों के बीच विद्रोह और दुश्मनी की भावना फैलाने के लिए किया जा रहा था.

अधिकारी ने कहा, ‘इन अकाउंट और वेबसाइटों का उपयोग युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, शांति और सद्भाव को बिगाड़ने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए किया जा रहा था.’

‘सिख सैनिकों को उकसाया,कश्मीर की आजादी का समर्थन’

अधिकारी ने आगे कहा कि एसएफजे भारतीय सेना में शामिल सिख सैन्य कर्मियों को देश के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाकर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश करता रहा है.

अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने सिर्फ भारतीय सेना में शामिल सिख कर्मियों को भड़काकर अपने हित साधने की ही कोशिश नहीं की बल्कि कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने की भी कोशिश करते रहे हैं और खुले तौर पर कश्मीर को भारत से अलग किए जाने का समर्थन करते हैं.’

अपनी जांच के दौरान, एनआईए ने अमृतसर में गुरपतवंत और जालंधर में निज्झर की अचल संपत्तियों की पहचान भी की है जिसे अब जब्त किया जाएगा.

अधिकारी ने बताया कि यूएपीए की धारा 51-ए के तहत गृह मंत्रालय ने इन संपत्तियों की कुर्की का आदेश जारी किया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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