नई दिल्ली: दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के प्रकोप को ज्यादातर लोग भुला नहीं पाएंगे. आने वाली पीढ़ियों को इस दौर की कहानियां सुनाई जाएंगी. लेकिन, नवजात जिनका नामकरण कोरोना वायरस के नाम पर हो गया है, वो इसको लेकर कैसा महसूस करेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता. सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरों पर कई प्रतिक्रियाएं हैं. कई लोग इसे ह्यूमर के तौर देख रहे हैं तो कई लोगों ने चाइल्ड क्रुएलिटी की बहस भी छेड़ दी है.
गौरतलब है कि 6 अप्रैल की एक खबर के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य के एक दंपति ने अपने नवजात बच्चों के नाम कोरोना और कोविड रखा है. 27 मार्च को एक सरकारी अस्पताल में पैदा हुए इन जुड़वा बच्चों के नाम रखने के पीछे माता-पिता के अपने तर्क हैं. एक तरफ बच्चों के पिता का कहना है कि बहुत मुश्किलों और परेशानियों के बाद डिलीवरी हो सकी है. दूसरी ओर मां का कहना है कि मैं और मेरे पति इस दिन को यादगार बनाना चाहते हैं. पिता का मानना है कि कोरोना और कोविड, दोनों ही नाम अपने आप में खूबसूरत हैं. कोरोना एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है क्राउन.
सबसे जरूरी बात पिता ने कही कि वो इन नामों के साथ जुड़ गए डर को खत्म करना चाहते हैं. इसलिए बच्चों के नाम फिलहाल कोरोना और कोविड रख लिए हैं. हो सकता है आगे चलकर नाम बदल लिए जाएं.
8 अप्रैल की एक अन्य खबर के मुताबिक, आंध्रप्रदेश के दो नवजात शिशुओं के नाम भी कोरोनावायरस के नाम पर रख लिए गए हैं. बता दें कि शशिकला और रमादेवी, कड़ापा जिले के एक प्राइवेट अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती हुई थीं. शशिकला को 29 मार्च को भर्ती कराया गया था तो रमादेवी को 5 अप्रैल को. दोनों के परिवारों ने डॉक्टरों की सलाह मानकर अपने बच्चों के नाम कोरोनावायरस पर रख लिए हैं. अस्पताल के डॉक्टर एसएफ बशा ने बताया कि शशिकला और उनके पति ने बच्ची का नाम कोरोना कुमारी रखा है. रमादेवी और उनके पति ने अपने बेटे का नाम कोरोना कुमार रखा है.
भूज के भूकंप के दौरान भी ऐसे ही अजीबों गरीब नाम रखे गए थे. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राज्य के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के दौरे पर थे. उन्हें पता चला कि एक दंपत्ति ने अपने नवजात का नाम भूंकप रख लिया है. वाजपेयी ने पूछा था कि भूंकप क्यों? गणतंत्र क्यों नहीं? हालांकि ये पहला बच्चा नहीं था जिसका नाम भूकंप रखा गया था. इससे पहले राजधानी अहमदाबाद में पैदा हुए एक बच्चे का नाम भी भूंकप ही रखा गया था. एक ऐसा ही अलग केस, जहां नवजात का नाम स्पंदन (कंपन) रखा था. आर्मी डॉक्टरों की मदद से डिलीवर हुए बच्चे का नाम फौजी रखा गया था.