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Friday, 22 November, 2024
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जेएनयू में सावरकर मार्ग पर पेंट किया गया आंबेडकर का नाम, सड़क के नाम पर हो रहा है बवाल

जेएनयू की प्रेसिडेंट एलेक्ट आइषी घोष ने लिखा है कि सड़क के नामकरण जैसा सम्मान उन्हें दिया जाना चाहिए जिन्होंने देश को संविधान दिया.

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एक सड़क का नाम सावरकर पर रखे जाने के बाद से विवाद शुरू हो गया है. सावरकर मार्ग वाले बोर्ड पर बीआर आंबेडकर का नाम लिख दिया गया है. अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि आंबेडकर का नाम बोर्ड पर किसने लिखा है.

विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने प्रशासन के इस फैसले पर आपत्ति जताई है. जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने ट्वीट कर लिखा, ‘सड़क के नामकरण जैसा सम्मान उन्हें दिया जाना चाहिए जिन्होंने देश को संविधान दिया.’

उन्होंने लिखा, ‘हम एक माफ़ी मांगने वाले और अंग्रेज़ों के ऐसे चमचे को नहीं स्वीकार कर सकते जिसने हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया. हमें उनका सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें संविधान दिया.’

संविधान सभा के अध्यक्ष भीमराव आंबेडकर को संविधान निर्माण का सूत्रधारा मानता है. वहीं, वामपंथी धड़ा सावरकर को अंग्रेज़ों का समर्थक और उनसे माफ़ी मांगने वाला बताता आया है.

महानदी हॉस्टल से भारतीय जनसंचार संस्थान की तरफ जाने वाले रास्ते पर लगे सावरकर मार्ग की ये तस्वीरें रविवार से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

अभी ये साफ़ नहीं है कि बोर्ड पर सवारकर के नाम के ऊपर अंबेडकर का नाम किसने लिखा है. हालांकि, जेएनयूएसयू के जेनरल सेकेरेट्री इलेक्ट सतीष चंद्र यादव का कहना है, ‘मैं कैंपस में नहीं हूं और मुझे नहीं पता कि ये किसने किया है, लेकिन जो हुआ है वो सही नहीं हुआ.’

उन्होंने कहा कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने ‘टू नेशन थ्योरी’ का समर्थन किया, हिंदू राष्ट्र की मांग की, अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी और ना जाने ऐसे कितने काम किए, उसके नाम पर कैंपस में कोई मार्ग कैसे हो सकता है? ज़्वाइंट सेकेरेट्री इलेक्ट मोहम्मद दानिश ने कहा कि कैंपस में सावरकर का बोर्ड लगाना सही नहीं है.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि बोर्ड सवरकर मार्ग के ऊपर अंबेडकर मार्ग लिखने का काम जेएनयू छात्र संघ या इससे जुड़े लोगों ने नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने ऐसा नहीं किया है. हमें ऐसा करना होता तो हम आधिकारिक रूप से ज्ञापन देकर जाकर बोर्ड का नाम बदलते. लेकिन हमने ऐसा नहीं किया.’


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जेएनयू छात्र संघ इस मामले में जेएनयू प्रशासन को आधिकारिक रूप से एक ज्ञापन सौंपने वाला है जिसमें इस बोर्ड को हटाने की मांग की जाएगी. इस मामले में अभी तक प्रशासन का पक्ष सामने नहीं आया है.

कांग्रेस के छात्र संघ एनएसयूआई ने सावरकर मार्ग का नाम बदलकर ‘सॉरी मार्ग’ करने की ठानी है और इसके लिए मंगलवार को जेएनयू के ब्रह्मपुत्र बस स्टैंड पर अपने समर्थकों को जुटने का अह्वान किया है. वहीं, जेएनयू एबीवीपी के प्रेसिडेंट शिवम चौरसिया ने कहा कि उनका संगठन बोर्ड की सफ़ाई करके इस पर फूल और माला चढ़ाने जा रहा है.

जेएनयू का विवादों से पुराना नाता

जेनएयू का विवादों से पुराना नाता रहा है. हालांकि, इस साल जनवरी में कैंपस को वैसी हिंसा देखनी पड़ी जैसी इसके इतिहास में कभी नहीं हुई थी. फ़ीस बढ़ोतरी वापस लिए जाने को लेकर जो मुहिम चल रही थी वो पांच जनवरी को हिंसक हो गई.

वामपंथी छात्र संगठनों पर आरोप है कि फीस बढ़ोतरी वापस लिए जाने की अपनी मांग को मनवाने के लिए वो अन्य बच्चों को नए सत्र में रजिस्ट्रेशन से रोक रहे थे. ऐसे में तीन और चार जनवरी को छिटपुट झड़प पांच को भयानक हिंसा में तब्दील हो गई. ऐसे आरोप हैं कि इसी दिन कैंपस में बाहरी हमलावर घुसे और छात्रों पर जानलेवा हमला किया.

हिंसा से जुड़े इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो मामले की जांच कर रही है. वहीं, 2016 में हुए कथित देशद्रोह के मामले में इसी कैंपस के कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे छात्र शामिल हैं जिनके ख़िलाफ़ दिल्ली सरकार ने हाल ही में देशद्रोह का मामला चलाने का आदेश दे दिया है.

सावरकर से जुड़े ताज़ा मामले में जेएनयू प्रशासन का पक्ष जानने के लिए किए गए कॉल्स का कोई जवाब नहीं मिला. हाल ही में भयानक हिंसा के दौर से गुजरे इस कैंपस में सवरकर मार्ग के बोर्ड को लेकर हो रही उठा-पटक के बीच कैंपस का माहौल एक बार फिर तनावपूर्ण बना हुआ है.

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