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Tuesday, 5 November, 2024
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UN ग्रुप ने ‘फर्जी नेट जीरो संकल्प’ के बारे में चेताया, लक्ष्य हासिल करने के तरीके सुझाए

मिस्र में चल रहे COP27 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में उच्च-स्तरीय एक्सपर्ट ग्रुप ने गैर-सरकारी संस्थानों के नेट जीरो उत्सर्जन संकल्प को लेकर 'इंटीग्रिटी मैटर' नामक गाइडलाइन जारी की है.

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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह ने कुछ सिफारिशें जारी की हैं जो संस्थानों के लिए बिना कोई कदम उठाए नेट जीरो उत्सर्जन के संकल्प लेने और ग्रीनवाशिंग के लिए कमजोर वादे करने को मुश्किल बना देंगी.

गैर-सरकारी संस्थाओं की नेट जीरो उत्सर्जन संकल्पों पर एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समूह ने मिस्र के शर्म अल-शेख में चल रहे COP27 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में मंगलवार को इन सिफारिशें को लांच किया है. ‘इंटीग्रिटी मैटर्स’ शीर्षक से जारी इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य बिजनेस, शहरों, वित्तीय संस्थानों और क्षेत्रों द्वारा किए ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए किए गए नेट जीरो संकल्पों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना पैदा करना है.

फोसिल फ्यूल पर आधारित कंपनियों द्वारा कोई सार्थक कदम उठाए बिना नेट जीरो संकल्प करने की चिंताजनक प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए, गुटेरेस ने रिपोर्ट लॉन्च करते हुए कहा, ‘ बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन के विस्तार को कम करने के लिए फर्जी ‘नेट जीरो’ संकल्प लेना निंदनीय है. यह संस्थानों की तरफ से दिया जाने वाला एक बड़ा धोखा है. यह जहरीला आवरण हमारी दुनिया को तापमान वृद्धि की ओर धकेल सकता है. दिखावा खत्म होना चाहिए.’

नेट जीरो का अर्थ है वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का जितना उत्सर्जन किया जा रहा है, उतना उसे सोखना या हटाना है. एक्सपर्ट ग्रुप ने कहा ‘लेकिन जो कंपनियां अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए सस्ते क्रेडिट खरीदती हैं या नए जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति में निवेश करना जारी रखती हैं, वे नेट जीरो का दावा नहीं कर सकती हैं.’

भारत स्थित ऊर्जा, पर्यावरण और जल काउंसिल के विशेषज्ञ सदस्यों और सीईओ में से एक अरुणाभा घोष ने कहा, ‘ ग्रुप ने सिफारिश की है कि गैर-सरकारी संस्थान अपने स्पष्ट लक्ष्य और रास्ते तो निर्धारित करे, लेकिन साथ ही अपने स्वयं के प्रयासों से पूर्ण उत्सर्जन में कमी भी लेकर आए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके साथ ही, विकासशील देशों में नेट जीरो की दिशा में कार्रवाइयों का परिणाम सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रकचर और उन समुदायों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में नजर आने चाहिए, जो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है.’

कनाडा के पूर्व पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री और समूह के अध्यक्ष कैथरीन मैककेना ने लॉन्च पर कहा कि 17 सदस्यीय एक्सपर्ट ग्रुप ने अपने फॉर्मूले पर पहुंचने के लिए सैकड़ों व्यक्तियों और संगठनों के साथ परामर्श किया था.

उन्होंने अपने एक बयान में कहा, ‘यह उत्सर्जन में कटौती के बारे में है, किसी अन्य परिस्थिति के बारे में नहीं है. हमारा रोडमैप स्पष्ट मानक और मानदंड प्रदान करता है. नेट जीरो संकल्प के लक्ष्यों को पाने के दौरान इनका पालन किया जाना चाहिए. अब हमारा यह ग्रह और ज्यादा देरी, बहाने या अधिक ग्रीनवाशिंग बर्दाश्त नहीं कर सकता है.’


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‘सस्ते कार्बन क्रेडिट पर निर्भर न रहें’

ग्रीनवाशिंग को खत्म करने के लिए ग्रुप ने 10 सिफारिशों का एक सेट बनाया है.

संस्थाओं को उत्सर्जन में कमी लाने वाले संकल्प सार्वजनिक रूप से करने होंगे और अपने संकल्पों में ‘हर पांच साल के लिए कुछ लक्ष्य’ भी निर्धारित किए जाने होंगे. इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन पर इंटर गवर्मेंटल पैनल की सिफारिशों के अनुरूप नेट जीरो तक पहुंचने के ठोस तरीके निर्धारित किए जाने होंगे.

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट की नई सीरीज में कहा गया है कि दुनिया को 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करना होगा ताकि ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री से ऊपर न जा सके और जलवायु आपदा से बचने के लिए इसके स्तर को सीमित किया जा सके. यह दर्शाता है कि उत्सर्जन में गहरी कटौती के साथ इस लक्ष्य को कैसे जीवित रखा जा सकता है.

विशेषज्ञ समूह के अनुसार, गैर-सरकारी संस्थाओं को उत्सर्जन में कमी लाने के लिए नेट जीरो का संकल्प करने वाले सस्ते कार्बन क्रेडिट ‘इंटीग्रेिटी के अभाव’ पर भरोसा नहीं करना चाहिए. इसके अलावा ‘सकारात्मक जलवायु की तरफ काम करना होगा न कि उसके खिलाफ’

ग्लोबल लीड, एक्शन एड इंटरनेशनल, क्लाइमेट जस्टिस में टेरेसा एंडरसन ने कहा कि वह दिशानिर्देशों द्वारा निर्धारित उच्च मानदंडों से काफी ‘आश्चर्यचकित’ थीं.

एंडरसन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने इतने सारे तेजी से बढ़ते अलग-अलग नेट जीरो मानकों को देखा है. ऑफसेटिंग ने जलवायु को दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले लोगों यो देशों को नेट जीरो का दावा करने की अनुमति दी है, लेकिन ये सिफारिशें ऐसे संगठन या संस्थानों को फर्जी संकल्प लेने से रोक रही हैं.’

नेट ज़ीरो ट्रैकर ने पाया कि, जून 2022 तक 65 फीसदी न्यूनतम प्रक्रियात्मक रिपोर्टिंग मानकों को पूरा नहीं किया गया है, जबकि दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों में से एक तिहाई से अधिक का नेट जीरो लक्ष्य था.

नेट ज़ीरो ट्रैकर एक कोलैबोरेशन है जिसका उद्देश्य नेट जीरो लक्ष्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है.

एक्सपर्ट ग्रुप सिफारिश करता है कि गैर-सरकारी संस्थाओं को नेट जीरो लक्ष्यों पर अपनी प्रगति रिपोर्ट को सार्वजनिक करना होगा. इससे उनके द्वारा निर्धारित बेसलाइन के साथ तुलना की जा सकती है. यह कदम स्वतंत्र रूप से परिणामों को सत्यापित करने और उन्हें यूएनएफसीसीसी ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन पोर्टल में जोड़ने के अलावा उठाया जाएगा.

एंडरसन ने कहा, ‘फोसिल फ्यूल कंपनियों के पास इस बदलाव को लाने के लिए धन और संसाधन दोनो हैं. लेकिन उन्होंने इस रास्ते को नहीं चुना. इन दिशानिर्देशों से पता चलता है कि वे अब सिर्फ दो शब्दों को एक साथ नहीं रख सकते हैं और फिर दावा नहीं कर सकते हैं कि वे इस मामले में अग्रणी बने हुए हैं. आपको बहुत कुछ करना होगा, अपने सबूत दिखाने होंगे, अपनी योजनाओं को रेखांकित करना होगा, बहुत अधिक मानक तय करने होंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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