नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद स्कूली शिक्षा की परीक्षाओं में भी काफी बदलाव आएंगे. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे जारी करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि बोर्ड परीक्षा की अहमियत को कम किया जाएगा.
अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड परीक्षा छात्रों के लिए बेहद दबाव से भरी होती हैं. इसी दबाव को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पर चर्चा नाम का सालाना कार्यक्रम करते आए हैं.
नई शिक्षा नीति के तहत साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने का प्रस्ताव है जिससे बच्चों पर एक साल की पढ़ाई के बाद सीधे एक परीक्षा में जाने का भार कम हो सके. नई शिक्षा नीति के दस्तावेज के मुताबिक सभी छात्र ग्रेड 3, 5 और 8 में भी स्कूल परीक्षा देंगे. ग्रेड 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी.
दस्तावेज के मुताबिक बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा. इनमें महीनों भर की पढ़ाई/यादाश्त की परीक्षा लेने के बजाए मूल क्षमताओं/दक्षताओं की परीक्षा ली जाएगी. बोर्ड द्वारा समय-समय पर बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल विकसित किए जा सकते हैं जैसे वार्षिक/सेमेस्टर/मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं.
सभी विषयों के लिए दो स्तरों पर दो भागों में या ऑब्जेक्टिव और डिस्क्रिप्टिव परीक्षाओं का प्रावधान होगा. इन सबके लिए एससीईआरटी, बोर्ड ऑफ असेसमेंट (बीओएस) और परख आदि के साथ परामर्श से एनसीईआरटी द्वारा दिशानिर्देश तैयार किये जाएंगे. परख एक नया राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र होगा.
स्कूल आधारित मूल्यांकन के लिए सभी छात्रों के रिपोर्ट कार्ड को नया रूप दिया जाएगा.
स्कूली शिक्षा सचिव अनिता करवाल ने बुधवार को कहा, ‘रिपोर्ट कार्ड में अब बच्चा खुद का मूल्यांकन करेगा. इसके अलावा उसका साथी और शिक्षक उसका मूल्यांकन करेंगे. इसमें लाइफ स्किल पर चर्चा भी शामिल होगी.’
दस्तावेज में लिखा है, ‘2022-23 शैक्षणिक सत्र तक मूल्यांकन प्रणाली में परिवर्तन के अनुरूप चलने के लिए शिक्षकों को तैयार किया जाना चाहिए.’ इसके लिए सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के लिए छात्र क्षमता निर्धारण और मूल्यांकन के लिए स्टैंडर्ड क्राइटेरिया और दिशानिर्देश बनाने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र परख की स्थापना करनी होगी.
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