नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रस्तावों को देखते हुए भारत के विश्वविद्यालयों की फिर से कल्पना करने के लिए यह सबसे अच्छा समय है. उन्होंने कहा, ‘खासकर तब जब भारत अपने विशाल मानव संसाधनों का इस्तेमाल करने की ओर बढ़ रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘भविष्य की असंख्य चुनौतियों का जवाब देने के लिए विश्वविद्यालयों को भविष्य के लिए तैयार संस्थान बनाया जाएगा.’
सोमवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) द्वारा आयोजित एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के सभी कुलपतियों के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए निशंक ने ये बातें कहीं.
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‘राष्ट्र निर्माण में उच्च शिक्षा की अहम भूमिका’
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उच्च शिक्षा अहम भूमिका निभाती है. प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला और वल्लभपुरी जैसे विश्वविद्यालयों का अस्तित्व इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि भारत में शिक्षा की पुरानी परंपरा रही है जिसने भारत को विश्वगुरू के रूप में स्थापित किया है.’
नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘नई शिक्षा नीति का विज़न भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करना और उन्हें साकार करना होगा. यह नीति न्यू इंडिया बनाने की दिशा में उच्च शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों को उनकी भूमिका फिर से परिभाषित करने की स्वतंत्रता देगी.’
उच्च शिक्षा में हासिल किए गए कीर्तिमानों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले 5 सालों में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 29 स्थानों की वृद्धि की है. 2014 में भारत की रैंक 81वीं थी जबकि 2019 में भारत 52वें स्थान पर है. उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2014-15 से 2018-19 तक 24.3 से बढ़कर 26.3 हो गया है.
2014-15 से 2019-20 तक विश्वविद्यालयों की संख्या 711 से बढ़कर 1028 हो गई है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में महिला छात्रों की संख्या 2015-16 में 1871 थी और 2019-20 में यह 3411 थी.
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान शिक्षक प्रशिक्षण पर पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन से जुड़े संस्थानों और शिक्षकों की संख्या बढ़ी है जो एक सकारात्मक संकेत है. इस मिशन के तहत 2015-16 में 5,410 की तुलना में 2019-20 में 1,75,301 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है.
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत के संस्थानों को विश्व के शीर्ष पर स्थापित करने एवं भारत को फिर से विश्व गुरू बनाने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयास जैसे, इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस, जिसमे कुल 20 (10 सरकारी एवं 10 निजी) संस्थानों को एक निहित योजना के तहत विश्वस्तरीय बनाया जाएगा.’
शिक्षा मंत्री पोखरियाल ने याद दिलाया कि प्रत्येक सरकारी संस्थान, जो इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस के तहत आते हैं, उनको अगले 5 वर्षों के दौरान 1000 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए जाएंगे.
हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (हेफा) की स्थापना 2017 में संयुक्त उद्यम भागीदारी के तहत केनरा बैंक के साथ की गई थी. जो उच्च शिक्षण संस्थानों में बुनियादी ढांचे के लिए फंडिंग करता है. 2022 तक 10,000 करोड़ रुपये तक की वित्तीय परियोजनाओं को पोषित किया जाएगा.
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