उन्नाव : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 60 किलोमीटर दूर उन्नाव के बबुराहा गांव में दो दलित किशोरियों की लाशें मिलने के बाद एक बार फिर उन्नाव चर्चा में आ गया है. बच्चियों के शव उनके परिवार को खेत में बुधवार शाम को मिले थे.
पता चला है कि दोनों दो लड़कियां चचेरी बहने हैं वहीं एक तीसरी लड़की भी गंभीर हालत में पाई गई उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है वह भी उसी परिवार की ही है और उनकी चचेरी बहन है.
तीनों बहनें गांव में आसपास ही रहती थीं. शुरू में ऐसी बातें सामने आई थीं कि लड़कियों को बांधकर लटका दिया गया था लेकिन बाद में पुलिस ने इससे इनकार किया.
उन्नाव के पुलिस अधीक्षक सुरेश कुलकर्णी ने बताया, ‘घटनास्थल पर जहां लड़कियां संदिग्ध अवस्था में मिली थी वहां काफी मात्रा में झाग पाया गया है. वे बंधी हुईं नहीं थीं.’
एसपी ने यह भी कहा कि परिवार का कहना है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. कुलकर्णी के मुताबिक, ‘पोस्टमार्टम और अटॉप्सी रिपोर्ट आने के बाद बहुत से सवालों के जवाब मिल जाएंगे.’
परिवार का दावा है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. बबुराहा गांव में पांच दलित परिवार हैं, लेकिन निवासियों का कहना है कि विभिन्न जातियों के लोग यहां एक साथ रहते हैं.
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मामले की जांच के लिए छह टीमें गठित
पीड़िताओं में से एक की मां बिटौला ने दिप्रिंट को बताया, ‘16, 13 और 17 वर्ष उम्र की हमारी बेटियां बुधवार शाम को पशुओं का चारा लाने के लिए घर से निकली थीं. वे शाम 6 बजे तक नहीं लौटीं तो हम ढूंढ़ने पहुंचे, काफी देर तक हमने उन्हें तलाशा, आवाजें लगाईं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’
मां ने आगे बताया, ‘बाद में जब हम खेतों की तरफ गए तो हमने उन्हें अपने खेतों में पड़ा पाया. हम किसी पर भी आरोप नहीं लगा सकते क्योंकि हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.’
हालांकि, एक पीड़िता के पिता सूरजपाल ने दावा किया है कि उनकी बेटी जब खेत में अपनी दो अन्य चचेरी बहनों के साथ मिली तो उसके हाथ बंधे हुए थे. सूरज ने पुलिस पर यह आरोप भी लगाया कि उसने उनके बेटे के साथ ‘दुर्व्यवहार’ किया लेकिन पुलिस ने इससे इनकार किया है.
इन लड़कियों में से एक के भाई ने बताया, ‘जब वे कई घंटों तक घर नहीं लौटीं तो हमने उनकी तलाश शुरू की और उन्हें खेत में बेहोशी की हालत में पाया.’
हालांकि इसी भाई ने पहले दावा किया था कि लड़कियों को किसी ‘कपड़े से बांध कर’ रखा गया था लेकिन बाद में कहा कि किसी और ने उसे ऐसा बताया था.
‘लड़कियों के बंधे पाए जाने का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है.’
एक अन्य रिश्तेदार चंद्रशेखर ने कहा, ‘यह अफवाह फैलाई गई थी कि तीनों बंधी पाई गई थीं. मुझे नहीं पता कि पुलिस इनकार क्यों कर रही है लेकिन यह तय है कि यह हत्या का मामला है.’
तीनों अच्छी दोस्त थीं
पड़ोस में रहने वाली शांति देवी, जो उनकी रिश्तेदार भी हैं, ने दिप्रिंट को बताया, ‘तीनों लड़कियां केवल चचेरी बहनें ही नहीं थीं बल्कि अच्छे दोस्त भी थी.हम उन्हें हर रोज साथ में खेलते देखते थे. वे बहुत सुशील थीं.’
उनके माता-पिता खेतों में काम करने वाले गरीब किसान हैं. उन्होंने रोते हुए कहा, ‘बेचारी छोटी-छोटी बच्चियों को मार दिया गया, कुछ समझ नहीं आ रहा ये कैसे हुआ.’
बबुराहा गांव मिली-जुली आबादी वाला गांव है, हालांकि यहां दलित परिवारों के केवल 5 घर हैं लेकिन लोगों का कहना है कि यहां सब मिल जुलकर साथ रहते हैं.
क्राइम सीन को दोहराया जाएगा
हालांकि, पुलिस ने अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया है क्योंकि परिजनों की तरफ से कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है लेकिन वे पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
उन्नाव पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘अभी हम मामले को ठीक तरह से समझने के लिए क्राइम सीन को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं. छानबीन चल रही है. पुलिस ने मामले की जांच के लिए छह टीमों को तैनात किया है, ग्रामीणों से भी पूछताछ की जा रही है.’
उन्नाव की घटना ने हाथरस मामले की फिर याद दिला दी है जिसमें एक 23 वर्षीय युवती का चार लोगों ने गैंगरेप किया और फिर हत्या कर दी थी. 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद देशभर में हो-हल्ला मच गया था. उन्नाव इससे पहले कुलदीप सिंह सेंगर मामले को लेकर सुर्खियों में था. निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में उन्नाव में एक युवती के बलात्कार का दोषी ठहराया गया है.
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