scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमएजुकेशनNCERT ने जलवायु संकट, भारतीय मानसून के चैपटर्स हटाए, TACC की फिर से विचार करने की मांग

NCERT ने जलवायु संकट, भारतीय मानसून के चैपटर्स हटाए, TACC की फिर से विचार करने की मांग

एनसीईआरटी ने कक्षा 6 से 12वीं तक के सिलेबस से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु स्थितियों, भारतीय मानसून जैसे विषयों को हटाया है. जिसका टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस ने विरोध किया है, संस्था छात्रों और शिक्षकों के बीच जलवायु संकट के विभिन्न पहलुओं पर जागरूक करता है

Text Size:

नई दिल्ली: पूरा विश्व जब पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर लगातार जूझ रहा है तब इस बीच राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपने पाठ्यक्रम से जलवायु से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को हटाने का फैसला किया है.

एनसीईआरटी ने कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के पाठ्यक्रम से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन, जलवायु स्थितियों, भारतीय मानसून जैसे विषयों को हटाया है. लेकिन टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस (टीएसीसी) जो छात्रों और शिक्षकों के बीच जलवायु संकट के विभिन्न पहलुओं को लेकर जागरूक करता है, उसने एनसीईआरटी के इस कदम का विरोध किया है.

टीएसीसी ने अपने बयान में कहा, ‘हमारी मुख्य चिंताओं में कक्षा 11वीं के भूगोल के पाठ्यक्रम से ग्रीन हाउस इफेक्ट को हटाना, कक्षा 7 से मौसम, जलवायु, मौसमी व्यवस्था और पानी को हटाना और कक्षा 9 से मानसून जैसे विषय को हटाना शामिल है.’

बता दें कि कोविड-19 महामारी के समय छात्रों पर दबाव कम करने के लिए पाठ्यक्रम में से काफी कुछ हटाया गया था. लेकिन टीएसीसी का कहना है कि इन चिंताओं के कारण जलवायु परिवर्तन, मानसून जैसे बुनियादी मुद्दों को हटाने का कोई कारण नहीं है.

टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस के संस्थापक सदस्य नागराज अडवे ने कहा, ‘युवाओं में जलवायु के मुद्दों के बारे में चिंता बढ़ रही है. वे भारत और दुनिया भर में जलवायु संकट के विभिन्न पहलुओं से जूझ रहे हैं. ये ऐसी वास्तविकता है जिसका सामना हमारी पीढ़ी को नहीं करना पड़ा.लेकिन अभी जो चल रही है और आने वाली पीढ़ी को करना पड़ेगा.’

अडवे के अनुसार, ‘जलवायु परिवर्तन हमारे पर्यावरण और समाज को कई तरह से प्रभावित कर रहा है. बदलते मौसम प्रणाली, मानसून पैटर्न और जल प्रवाह के बारे में शिक्षित करना बेहद महत्वपूर्ण है. यह अजीब बात है कि एनसीईआरटी ने स्कूलों के पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों को हटाने का फैसला किया है.’


चित्रण: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

गौरतलब है कि पूरा विश्व जलवायु संकट से कई स्तरों पर जूझ रहा है. 2015 में पेरिस समझौते में दुनियाभर के कई देशों ने ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने और धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखने के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी. हाल ही में जी-7 देशों ने अपनी बैठक में इस साल के अंत तक क्लाइमेट क्लब ग्रुप बनाने पर सहमति भी जताई है. यही नहीं पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे प्रभाव को देखते हुए ही देश से सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है.


यह भी पढ़ें: दुनिया भर में तेजी से बदल रही मौसमी स्थितियों को कैसे प्रभावित कर रहा है जलवायु परिवर्तन


‘फिर से विचार करे एनसीईआरटी’

टीएसीसी ने बयान में कहा कि हर साल हजारों पीयर-रिव्यूड पेपर्स बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन कितना हो रहा है. खासकर हाल ही में जारी हुई आईपीसीसी की रिपोर्ट यही बात कहती है.

बयान में एनसीईआरटी से मांग की गई है कि स्कूल के पाठ्यक्रम से पर्यावरण से जुड़े विषयों को हटाने पर वो फिर से विचार करे. साथ ही जलवायु संकट के अन्य पहलुओं को स्कूल के छात्रों को विभिन्न भाषाओं में पढ़ाए जाने की भी मांग की गई है.

टीएसीसी ने अपने बयान में कहा कि भारत में हम भाग्यशाली रहे हैं कि चिपको आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन जैसे आंदोलन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं.

साथ ही ये भी कहा, ‘लेकिन अब कक्षा 10वीं के छात्र जन संघर्ष और आंदोलन का पाठ नहीं पढ़ पाएंगे क्योंकि इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.’


यह भी पढ़ें: Fossil Fuel पर निर्भर भारत समेत इन 6 देशों को 2030 तक हो सकता है 278 बिलियन डॉलर का नुकसान


एनसीईआरटी ने क्या-क्या हटाया

बीते दिनों एनसीईआरटी ने जब पाठ्यक्रम में कटौती की तो हटाए गए विषयों की सूची जारी की, उसे लेकर काफी विवाद भी हुआ. इन विषयों में गुजरात दंगों, नक्सली आंदोलन का इतिहास, इमरजेंसी शामिल है.

हालांकि एनसीईआरटी ने विषयों को हटाने के पीछे तर्क दिया था कि ये विषय ओवरलैप हो रहे हैं. साथ ही कोविड महामारी ने बच्चों पर बोझ बढ़ाया है और इसे कम करना जरूरी है.

लेकिन जलवायु जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पाठ्यक्रम से हटाने ने भी विवाद पैदा कर दिया है.

दिप्रिंट ने जब कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के पाठ्यक्रम के उन हिस्सों को देखा जिसे हटाया गया है तो पाया कि कई महत्वपूर्ण विषयों को हटा दिया गया है.

कक्षा 6 के विज्ञान की किताब ‘पृथ्वी हमारा आवास’ से पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप और भारत: जलवायु, वनस्पति तथा वन्यप्राणी को हटाया गया है.

वहीं कक्षा 7 के विज्ञान के पाठ्यक्रम से मौसम, जलवायु तथा जलवायु के अनुरूप जंतुओं द्वारा अनुकूलन, मृदा, जल, पवन, तूफान और चक्रवात जैसे अध्यायों को पूरा हटा दिया गया है.

कक्षा 8 की किताब से वायु तथा जल का प्रदूषण जैसे विषयों से संबंधित पूरे अध्याय को हटाया गया है. वहीं कक्षा 9 की भूगोल की किताब से जेट धाराएं, पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोत्र, भारतीय मानसून, मानसून का आगमान एवं वापसी और प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी जैसे विषयों को हटाया गया है.

कक्षा 10 से ऊर्जा के स्रोत, प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन जैसे अध्यायों को हटाया गया है.

कक्षा 11 की भौतिकी कि किताब से ग्रीनहाउस प्रभाव विषय को हटाया गया है और भारत-भौतिक पर्यावरण से जलवायु, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, प्राकृतिक संकट तथा आपदाएं जैसे अध्यायों को हटाया गया है.

वहीं कक्षा 12 से व्यावसायिक पर्यावरण जैसे विषय को हटाया गया है.


यह भी पढ़ें: Biodiversity और Ecology को किस तरह नुकसान पहुंचा सकता है ‘जलवायु ओवरशूट’


 

share & View comments