नई दिल्ली: करीब छह महीने पहले केरल के पूर्व पुलिस महानिदेशक एन.सी. अस्थाना ने ‘पुलिसिया बर्बरता’ की निंदा करते हुए एक विचार आलेख लिखा था. मगर शनिवार को, इन्हीं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने उत्तर प्रदेश के पुलिस कर्मियों द्वारा हिरासत में लिए गए दंगा आरोपी को डंडों से पीटने का एक कथित वीडियो साझा किया और इसे ‘अतीव सुंदर दृश्य’ बताया.
यह वीडियो- जिसकी यूपी पुलिस फिलहाल जांच कर रही है- भारत के कई हिस्सों में पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा के पूर्व प्रवक्ताओं द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ किए गये विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर सामने आया था.
यह प्रयागराज और कानपुर पहुंचने वाले इन बुलडोजरों की पृष्ठभूमि में काफी वायरल हो गया था, जो वैसे तो ‘अवैध निर्माण’ को हटाने के लिए लगाए गये थे लेकिन कथित तौर पर इसका इस्तेमाल उन लोगों से जुड़ी संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए किया गया, जिनके बारे में माना जाता है कि वे इस विवादास्पद टिप्पणी के बाद 3 जून से शुरू हुई हिंसा में शामिल थे.
Let it be very clear. Peaceful protest is a fundamental right; stone pelting is NOT. There is no law, which says that police are under any obligation to deal neceesarily with water cannon, tear gas etc only. Many judgments permit the police to shoot to kill if they deem it fit.
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) June 11, 2022
इसके बाद से केरल कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने इस वीडियो में प्रदर्शित पुलिस कर्मियों की कार्रवाई और उनके द्वारा किए गये विध्वंस की प्रशंसा करते हुए दो दर्जन से अधिक ट्वीट पोस्ट किए.
दिप्रिंट ने टेक्स्ट मैसेज के द्वारा अस्थाना से संपर्क किया और इस टिप्पणी पर उनकी राय जानने की कोशिश की, मगर उनकी तरफ से हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
सेवानिवृत्त डीजीपी के एक अत्यंत करीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनके द्वारा अपना रुख बदलने के पीछे कुछ कारण हैं.’
इस सूत्र ने कहा, ‘उन्हें देश में हो रहे इस तरह के दंगों और इनके पारिस्थितिकी तंत्र (एकोसिस्टम) के बारे में कुछ बहुत ही संवेदनशील दस्तावेजों का पता चला है और वह अपनी लिखी हर पंक्ति के साथ दृढ़ता से खड़े होंगे.’
अपने एक ट्वीट में, अस्थाना ने पिछले शुक्रवार को देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों, जो कुछ जगहों पर हिंसा में बदल गया था, के पीछे ‘भारत को बदनाम करने की साजिश’ का आरोप लगाते हुए पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहराया था.
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‘एंडेमिक होती पुलिस बर्बरता ‘
दिसंबर 2021 में ‘द वायर’ के लिए ‘व्हाई पुलिस ब्रुटैलिटी एंड टॉर्चर आर एंडेमिक इन इंडिया’, शीर्षक के तहत लिखे गये एक लेख में अस्थाना ने कहा था, ‘पुलिस के काम में आंतरिक रूप से कुछ भी ऐसा नहीं है जो उन्हें क्रूर या उद्दत (हाइ हैंडेड) बनाता है’.
पिछले एक हफ्ते में इन झड़पों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के वीडियो के वायरल होने के बाद, उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस’ की कार्रवाई से उनका दिल ‘गदगद’ हो गया है. यूपी के डीजीपी डीएस चौहान को बधाई देने का प्रयास करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, ‘अतीत में की गयी टाल-मटोल ने उन्हें प्रोत्साहित किया. अब उन्हें और उनकी कानून तोड़ने की आदत को जूतों के नीचे कुचल दो.’
Kanpur violence: You have warmed my heart @Uppolice. Congrats DS Chauhan, DGP. The way it is being investigated, I am sure, will get these rioters and their backers behind bars. Pussyfooting in the past emboldened them. Now crush them and their habit of breaking law under boots.
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) June 7, 2022
एक अन्य ट्वीट में, उन्होंने राज्य पुलिस की एक तस्वीर साझा की, जिसमें प्रयागराज में एक प्रदर्शनकारी पर कथित तौर पर लाठी चार्ज करते हुए पुलिस वालों को दिखाते हुए कहा गया था, ‘मुझे उस दिन का अफसोस है जब पॉली कार्बोनेट पाइप पुलिस में शामिल किए गए थे.’ साथ ही उन्होनें कहा कि ‘पुरानी, अलसी के तेल से लथपथ’ बांस की लाठियां ही बेहतर थीं.
अपने कई सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘महाराज जी’ कहा. उन्होंने पत्रकारों के संदर्भ में ‘बेवकूफ’, ‘गधा’ जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया.
वाह, महाराज जी, वाह https://t.co/mgcpq4y3nD
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) June 11, 2022
गुंडई का एक ही इलाज है: ठुकाई. तब तक ठुकाई जब तक लोगों को उनकी औक़ात न समझ में आ जाये.
जिस विषय पर क़ानूनी प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी हो उस पर विरोध प्रदर्शन करने का न कोई अधिकार बनता है, न औचित्य. दबाव डालने की राजनीति का युग चला गया है, इसे लोग जितनी जल्दी समझ लें उतना बेहतर है.— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) June 10, 2022
दिसंबर 2019 में सेवानिवृत्त हुए अस्थाना इससे पहले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. केरल में, उन्होंने सतर्कता निदेशक और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक के रूप में भी कार्य किया था.
अपने ट्विटर बायो में, वह खुद को एक ‘परमाणु भौतिक विज्ञानी’ बताते हैं, जिसने ’76 वैज्ञानिक शोध पत्र और 49 पुस्तकें’ लिखी हैं.
यह पहली बार नहीं है जब अस्थाना की टिप्पणी पर इस तरह का विवाद हुआ हो. 2020 में, अपने साथियों और अधिकारियों को ‘डफ़र्स (महामूर्ख)’ कहने के साथ पुलिस बल पर की गई उनकी टिप्पणियों की काफी आलोचना हुई थी.
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तीखी प्रतिक्रिया
अस्थाना के ट्वीट्स की वजह से उन्हें सिविल सेवाओं में उनके साथियों की तरफ से बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है.
ओडिशा में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध शाखा) के रूप में कार्यरत एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने ट्वीट किया: ‘हिरासत में हिंसा कोई खुशी की बात नहीं है.’
Sir, with due respect, custodial violence is not something to rejoice about. Assaulting anyone detained in a police station is not some act of bravery. It's a crime. Let's not glorify an illegal practice.
Courts have the authority and duty to punish guilty, not Police. https://t.co/iIdO10658p
— Arun Bothra ?? (@arunbothra) June 12, 2022
यूपी में कथित तौर पर हिरासत में हुई हिंसा को ‘अवैध’ और ‘अपराधिक’ कृत्य बताते हुए बोथरा ने अस्थाना से ‘एक अवैध परिपाटी का महिमामंडन’ नहीं करने का भी अनुरोध किया.
एक अन्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरविंद मायाराम ने भी ट्वीट किया, ‘काश पुलिस बहुसंख्यक समुदाय के गुंडों के साथ भी ऐसा ही करती, जब वे पिछले ही महीने मस्जिदों के सामने लाठियों और तलवारों के साथ लैस हो कर गए थे.’
कुछ अन्य वरिष्ठ सेवारत और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात की, ने भी उनकी टिप्पणियों की आलोचना की.
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