रायपुर: बस्तर के नारायणपुर जिले में नक्सलियों द्वारा एक ग्रामीण फूल सिंह दारो की हत्या को पुलिस और प्रशासन ने वामपंथियों में बढ़ रही हताशा का परिणाम बताया है. पुलिस के अनुसार छोटे गोंदर थाने के अंतर्गत विगत 6-7 माह में यह तीसरी हत्या है जिसे नक्सलियों ने पुलिस मुखबिर बताकर अंजाम दिया है.
ग्रामीण को बताया मुखबिर, पुलिस ने किया इनकार
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नारायणपुर जिले के ब्रहबेड़ा गांव में 45 वर्षीय आदिवासी किसान फूल सिंह दारो की हत्या नक्सलियों ने क्षेत्रवासियों के अंदर अपने कमजोर पड़ रहे आतंक को कायम रखने के उद्देश्य से किया है. पुलिस ने साफ लफ़्ज़ों में कहा है कि मृतक उनका मुखबिर नहीं था बल्कि ग्रामीणों में नक्सलियों के विरुद्ध जागरूकता का काम करता था. नारायणपुर पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग का कहना है कि विगत कुछ वर्षों से अबूझमाड़ क्षेत्र के गांवों में माओवादियों की लोकप्रियता बढ़ रही है जिससे उनमें निराशा बढ़ रही है जिसके कारण वे अब ग्रामीणों को दहशत के साये में रखकर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं.
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दिप्रिंट से बात करते हुए मोहित गर्ग ने बताया, ‘मुखबिरी के आरोप में नक्सलियों द्वारा की जा रही हत्याओं में यह तीसरी हत्या है. वे कहते हैं इससे पहले अप्रैल-मई माह में दो और अन्य ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर मारा गया था जिसमें एक 12वीं पास युवा भी शामिल था. सुखलाल गावड़े, 53 वर्ष, को 19 सितंबर को मारा गया. तीनों में से कोई भी मृतक पुलिस का मुखबिर नही था. हालांकि ये तीनों माओवादियों के गतिविधियों का पुरजोर विरोध करते थे और ग्रामीणों में जागरूकता का कार्य कर रहे थे.’
गांव के विकास में जुटे थे
प्रशासन के अनुसार माओवादी हिंसा की बलि चढ़े ये तीनों ग्रामवासी ग्रामीणों को नक्सलियों से निडर रहने और क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली जैसी नागरिक सुविधाओं के अभियान में लगे रहते थे.
नारायणपुर जिलाधिलारी पदुम सिंह अल्मा का कहना है कि इस क्षेत्र में नक्सली हिंसा में पिछले कुछ वर्षों में बहुत गिरावट आई है. दिप्रिंट को उन्होंने बताया ‘नारायणपुर जिला के ओरछा ब्लॉक जहां पहले सभी 37 ग्राम पंचायतें माओवादियों के कब्जे में रहा करती थीं अब यह सिमटकर आधी रह गयी हैं.’
नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ का यह क्षेत्र नक्सलियों का बेस कैम्प माना जाता रहा है जहां से उनकी सत्ता चलती है.
फूल सिंह की हत्या शुक्रवार की रात 3-4 वर्दीधारी नक्सलियों द्वारा की गयी. बतौर पुलिस अधीक्षक माओवादियों ने मृतक को पहले घर से बाहर निकल साथ चलने को कहा. मृतक की पत्नी रिसाय दारो और दो बेटे फुलेश्वर एवं खेयम दारो ने जब साथ चलने के लिए कहा तो नक्सलियों में उन्हें मना कर दिया. इसके बाद घर से करीब 150 मीटर की दूरी पर ले जाकर पहले उसकी बड़ी बेरहमी से पिटाई की और फिर रस्सी से गला घोट कर हत्या कर दिया. इसके बाद बेखौफ नक्सलियों ने मृतक के परिवार को तीन पत्र देकर उसके पुत्र और ग्रामीणों को इन पत्रों को पुलिस थाने में देने का निर्देश देकर चले गए. पुलिस ने बताया कि शनिवार की मृतक के परिजनों और ग्रामीणों द्वारा ये तीनों पत्र आईटीबीपी के कडेनार कैम्प में दिया गया जहां से अधिकारियों ने उन्हें छोटे डोंगर थाना जाकर एफआईआऱ दर्ज कराने को कहा गया. एफआईआर दर्ज कराने के बाद रविवार को मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
दिप्रिंट ने पुलिस से नक्सलियों द्वारा दिए गए पत्रों के विषय में जब जानकारी चाही गयी तो नारायणपुर पुलिस अधीक्षक का कहना था कि ‘इन पत्रों में माओवादियों ने मृतक के ऊपर मुखबिर होने का आरोप लगाया और कहा कि बार-बार चेतवानी देने के बावजूद भी फूल सिंह ने अपना तरीका नही बदला. इसीलिए उसकी हत्या कर दी गयी है.’ पुलिस का यह भी कहना है कि आपसी रंजिश के चलते कुछ ग्रामीणों ने भी मृतक के खिलाफ नक्सलियों से शिकायत किया था.