नई दिल्ली: ऑनलाइन लेक्चर्स, स्क्वॉड्रन के भीतर फ़िज़िकल ट्रेनिंग और बहुत से अहम आयोजनों को कम करना- ये कुछ वो उपाय हैं जो भारतीय सेना ने कैडेट्स और ऑफिसर्स की ट्रेनिंग पर, कोविड-19 के असर को कम करने के लिए किए हैं.
ट्रेनिंग, ऑफिसर्स के करिअर की तरक़्क़ी का एक ज़रूरी हिस्सा है और उनके युद्ध कला में बदलते ट्रेंड्स के साथ, बने रहने के लिए भी ज़रूरी है.
कैडेट्स की ट्रेनिंग पुणे की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), और बाद में सर्विस अकादमीज़ में होती है, और ऑफिसर्स की साझा ट्रेनिंग, उनके करिअर की अलग-अलग स्टेज में, कई संस्थानों पर होती है.
टॉप डिफेंस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कोविड-19 ने एक बड़ी चुनौती पेश की है, जिसमें पूरे ट्रेनिंग पाठ्यक्रम में बदलाव की ज़रूरत होगी.
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तीनों रक्षाओं सेवाओं में कमीशन किए जाने से पहले की ट्रेनिंग में, फिज़िकल ट्रेनिंग पर फोकस किया जाता है, और फिर जैसे-जैसे ऑफिसर्स सेवा में ऊपर उठते जाते हैं, तो काफी हद तक ज्ञान के क्षेत्र पर ज़ोर दिया जाने लगता है.
मेजर, लेफ्टिनेंट कर्नल और दूसरी सेवाओं के समकक्ष अधिकारियों की ट्रेनिंग, डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ़ कॉलेज, वेलिंगटन में होती है, लेकिन कर्नल और उनके समकक्ष रैंक के अधिकारियों की ट्रेनिंग, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीसी) सिकंदराबाद, और समानांतर सेवा संस्थानों में होती है.
एक ही स्तर के तीनों सेवाओं के दूसरे अधिकारियों की ट्रेनिंग, पुणे के सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईएलआईटी) में होती है, जो तकनीकी कोर्सेज़ भी चलाता है.
ब्रिगेडियर और दूसरी सेवाओं के उनके समतुल्य स्तर पर, अधिकारियों का एक और ट्रेनिंग कोर्स, दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) में होता है.
दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी कि थल सेना ने एक नया प्लान बनाया है, जिसमें वो अपने तमाम ट्रेनिंग कोर्सेज़ फिर से संगठित करेगी, जिनमें से कई कोविड-19 प्रकोप के चलते रद्द कर दिए गए हैं.
एनडीए में कैडेट्स की स्क्वॉड्रन के भीतर ही ट्रेनिंग
एक टॉप डिफेंस अधिकारी ने दप्रिंट को बताया कि एनडीए अपने अधिकतर शैक्षणिक पाठ्यक्रम, इंट्रानेट कनेक्शंस के ज़रिए ऑनलाइन चला रही है.
अधिकारी ने बताया कि फिलहाल लेक्चर्स, और यहां तक कि एग्ज़ाम्स भी, कैम्पस इंट्रानेट के ज़रिए हो रहे हैं.
लेकिन फिज़िकल ट्रेनिंग के लिए, सेंट्रल पीटी ग्राउंड्स और ड्रिल स्क्वेयर की जगह, संबंधित स्क्वॉड्रन के परेड ग्राउंड्स, और बटालियन एरिया इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
अधिकारी ने बताया, ‘ट्रेनिंग शेड्यूल में बदलाव किया गया है, और कुछ खेल और ड्रिल प्रतियोगिताएं रोक दी गईं हैं. साथ ही अगली टर्म में बिना सम्पर्क के खेल गतिविधियां, जैसे कि घुड़सवारी, वॉलीबॉल, और हॉकी शुरू की जाएंगी.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘हथियार चलाने, और फायरिंग के लिए रेंज में जाने जैसी दूसरी ट्रेनिंग एक अंतराल से कराई जा रही हैं.’
दरअसल, यही वजह है कि पासिंग आउट समारोह, जो कैडेट की ज़िंदगी में एक ऐतिहासिक घटना होती है, वो 30 मई को बहुत शांति के साथ, बिना पारंपरिक परेड और मेहमानों के आयोजित हुई.
कैडेट्स को उनके टर्म ब्रेक भी नहीं दिए जा रहे हैं, और उन्हें सीधे अगली टर्म में भेज दिया जाएगा. एनडीए में एक समय में 2,000 कैडेट्स की क्षमता है, जिनमें 20-25 विदेशी कैडेट्स होते हैं. हर 6 महीने में संस्थान से, क़रीब 300-350 कैडेट्स ग्रेजुएट होकर निकलते हैं.
सूत्रों ने बताया कि एनडीए परिसर के अंदर, सोशल डिस्टेंसिंग के दूसरों नियमों का भी, सख़्ती से पालन हो रहा है, और बाहरी लोगों का आना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
नए ऑफिसर्स का ट्रेनिंग मॉड्यूल
कोविड-19 के दौरान अधिकारियों की ट्रेनिंग जारी रखने के लिए, अलग-अलग ट्रेनिंग संस्थान, अलग-अलग तरीक़े अपना रहे हैं. जैसे कि, वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज में, ऑफिसर्स की ट्रेनिंग के पाठ्यक्रम का अधिकतर हिस्सा, ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है.
सभी सेवाओं के करिअर के बीच वाले अधिकारी, जिनकी 10-12 साल की सर्विस होती है, उनकी ट्रेनिंग वेलिंगटन के डीएसएससी में होती है. आमतौर पर ऐसे 480 ऑफिसर्स, हर साल ये कोर्स करते हैं. यहां पर क़रीब 40 सीटें विदेशी कैडेट्स के लिए होती हैं.
दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘यहां भी ऑफिसर्स को कैम्पस एरिया नेटवर्क मुहैया कराया गया है, जिस पर ट्रेनिंग सामग्री शेयर की जाती है, जिसे वो अकेले में पढ़ सकते हैं. इंट्रानेट इसलिए इस्तेमाल किया जा रहा है, कि ये एक सुरक्षित नेटवर्क है, और इसमें साझा की गई ट्रेनिंग सामग्री गोपनीय होती है.’
अधिकारियों ने कहा कि निजी मेल-मिलाप बिल्कुल कम कर दिए गए हैं, और तमाम गेस्ट लेक्चर्स वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होते हैं.
अधिकारी ने कहा कि कुछ इंटर-सर्विसेज़ ट्रिप्स, जो 10 महीने के लम्बे कोर्स का हिस्सा हैं, एक ऐसी चुनौती हैं जिस पर काम किया जाना है.
अधिकारी का कहना है, ‘हम ग़ौर कर रहे हैं कि इन तारीख़ों को आगे बढ़ाकर, साल के अंत की तरफ कर दिया जाए, लेकिन अगर तब तक भी स्थिति में सुधार नहीं होता, तो फिर छोटे बैचों में चुनिंदा ट्रिप्स ही कराए जाएंगे.’ उन्होंने आगे कहा, ‘फोकस क्रॉस-सर्वेसेज़ ट्रेनिंग पर ही रहेगा, जिसमें सेना के अधिकारी वायु सेना, और नौसेना के प्रतिष्ठानों में जाएंगे, और उनके अधिकारी सेना में आएंगे.’
कोर्स के शुरू में ऑफिसर्स की रिपोर्टिंग भी, अंतराल के साथ 40-50 के समूहों में की जाएगी. अधिकारी ने बताया, ‘अपने आवंटित आवास में उन्हें 10 दिन का सेल्फ-क्वारेंटाइन भी कराया जाएगा, जिस दौरान वो संस्थान द्वारा दिए गए, ट्रेनिंग मटेरियल के ऑनलाइन पैकेज को पढ़ेंगे.’
सूत्रों के मुताबिक कैंटोनमेंट खुला होने की वजह से, ट्रेनिंग कर रहे ऑफिसर्स और उनके परिवारों को, कोविड-19 से सुरक्षित रखने में प्रशासनिक चुनौतियां सामने आती हैं.
सीडीएम सिकंदराबाद में भी यही समस्या आती है, जहां ऑफिसर्स का आवास एक चुनौती बना हुआ है, क्योंकि आमतौर पर होता ये था, कि कम से कम 40 प्रतिशत ऑफिसर्स, स्थानीय शहरी आबादी में किराए पर घर ले लेते थे.
ऑफिसर के अनुसार, ‘सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू होने के कारण, ये एक चुनौती बनने वाला है. इसकी वजह से इंट्रानेट एक समस्या बन जाएगी.’ उन्होंने ये भी कहा कि वो लोग 15-20 के छोटे बैचों में आएंगे, और डीएसएससी में उन्हीं प्रोटोकोल्स का पालन करेंगे.
ऑफिसर ने कहा, ‘ट्रेनिंग के लिए सारा हाउसिंग आवंटन, पहले के वरिष्ठता सिस्टम की जगह, सिडिकेट के हिसाब से किया जाएगा, ताकि अगर कोई घटना हो तो उसे फैलने से रोका जा सके.’ ऑफिसर ने बताया कि दूसरे संस्थान भी अपनी विचित्रताओं के हिसाब से, इसी तरह के प्रोटोकोल्स का पालन करेंगे.
‘ट्रेनिंग में विदेशी ऑफिसर्स की संख्या बढ़ाने की योजना’
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र कहते हैं कि कोविड-19 के बावजूद, दूसरे देशों के रक्षा अधिकारियों के बीच, भारतीय सैनिक संस्थानों में ट्रेनिंग कोर्सेज़ करने के प्रति, दिलचस्पी बढ़ी है.
ऊपर हवाला दिए गए पहले अधिकारी ने बताया, ‘दरअसल, विदेशी ऑफिसर्स के कोर्सेज़ में शामिल होने की समय सीमा को, एक महीने के लिए इसलिए बढ़ाया गया है, क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर पाबंदी के चलते उन्हें आने में देरी हो सकती है.’
ऑफिसर ने ये भी कहा, ‘कुछ समय से रक्षा अकादमियों ने अपनी एक जगह बनाई है, और उनकी तुलना दुनिया की कुछ सबसे अच्छी अकादमियों से की जा सकती है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे कुछ कोर्स विदेशी ऑफिसर्स में एक वैल्यू एडिशन करते हैं, और उन्हें हमारे काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस से रूबरू कराते हैं. इसलिए विदेशी कोर्सेज़ के बीच, हमारे इन कोर्सेज़ की मांग लगातार बनी हुई है.’
कुछ कोर्सेज़ की फंडिंग विदेश मंत्रालय करता है, जबकि दूसरे सेल्फ-फाइनेंस होते हैं.
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टॉप सूत्रों के मुताबिक़, सभी संस्थानों में विदेशी ऑफिसर्स के लिए, उपलब्ध वैकेंसेजी की संख्या बढ़ाने का भी प्रस्ताव है.
एक तीसरे अधिकारी ने कहा, ‘एनडीसी में विदेशी ऑफिसर्स के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या, 25 से बढ़ाकर 40 करने की योजना है. सीडीएम में सीटों की संख्या 12 से बढ़ाकर 18, और डीएसएससी में 40 से बढ़ाकर 50 करने की भी योजना है, ताकि विदेशों से बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके.’
सूत्र ने कहा, ‘लेकिन उसके लिए पहले संस्थानों के अंदर पर्याप्त इन्फ्रास्ट्क्चर बनाना होगा.’ सूत्र ने ये भी कहा कि जल्द ही, सारी 40 वेकेंसीज़ भर जाने की उम्मीद है.
इसी तरह, भारतीय ऑफिसर्स की विदेश ट्रेनिंग को, सितम्बर तक रोके जाने की पहली गाइडलाइन्स को भी आगे बढ़ा दिया जाएगा.
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