नई दिल्ली: नासा ने चंद्रयान 2 की लैंडिंग की कुछ हाई रेजॉलूशन तस्वीरें जारी की हैं. नासा का कहना है कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम छह सितंबर को अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चांद की धरती पर पहुंचा था और उसकी हार्ड लैंडिग हुई थी.
यह भारत द्वारा चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिग कराए जाने का पहला मौका था. चंद्रयान-2 से जुड़ी कई जानकारियों के बीच नासा के हाई रेजॉलूशन इमेज़ जिसे लूनर ऑर्बिटर कैमरा ने खींचा है. लूनर रिकॉनसिंआंस ऑरबिटर कैमरा(एलआरओसी) द्वारा लिए गए चित्रों से पता चलता है कि लैंडर विक्रम अपनी पूर्व निर्धारित स्थान पर पहुंचा और उसने लैंड भी किया लेकिन सफल नहीं हो सका.
National Aeronautics and Space Administration (NASA): Our
Lunar Reconnaissance Orbiter mission imaged the targeted landing site of India’s #Chandrayaan2 lander, Vikram. The images were taken at dusk & the team was not able to locate the lander. pic.twitter.com/FBej8ZBjQX— ANI (@ANI) September 27, 2019
साथ ही नासा ने कुछ तस्वीर जारी करते हुए यह भी लिखा है कि एलआरओसी टीम लैंडर की फोटो लेने में सफल नहीं हो सकी है. क्योंकि लैंडिंग क्षेत्र की जब तस्वीर लेने की कोशिश की गई तो उस समय धुंधला मौसम था. लेकिन फिर भी बड़े क्षेत्र की तस्वीर खींचने की कोशिश की गई. तस्वीरें केंद्र से 150 किलोमीटर दूरी से ली गई हैं. लोकेशन को लेकर अभी तक संशय बरकरार है.
नासा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एलआरओसी एक बार फिर लैंडिंग साइट के पास पहुंचने का प्रयास करेगा.
इसरो चीफ के सिवन ने कहा- 98 फीसदी सफल रहा चंद्रयान-2
इसरो प्रमुख के सिवन ने गुरुवार 26 सितंबर को ही कहा था कि हमारा चंद्रयान-2 मिशन 98 फीसदी सफल रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि अभी चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अच्छे से काम कर रहा है. सभी पेलोड संचालन शुरू हो गए हैं. हार्ड लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया लेकिन ऑर्बिटर बहुत अच्छा काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय स्तर की समिति इस बात का विश्लेषण कर रही है कि वास्तव में विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ.
इसरो चीफ सिवन ने यह भी बताया कि ऑर्बिटर के लिए शुरू में एक वर्ष की योजना बनाई गई थी. लेकिन अब संभावना है कि यह साढ़े सात वर्षों तक काम करेगा. उन्होंने कहा ऑर्बिटर में आठ वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं और सभी ठीक से काम कर रहे हैं.