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Saturday, 2 November, 2024
होमदेशकोविड के खिलाफ लड़ाई में एमबीबीएस की डिग्री वाले आईएएस, आईपीएस और आईआरएस की मदद लेने की योजना बना रही है मोदी सरकार

कोविड के खिलाफ लड़ाई में एमबीबीएस की डिग्री वाले आईएएस, आईपीएस और आईआरएस की मदद लेने की योजना बना रही है मोदी सरकार

सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कोविड-प्रतिक्रिया कार्य के लिए बहुत से आईएएस अधिकारियों की आवश्यकता होगी और यदि वे चिकित्सकीय कामों को जानते हैं, तो यह मदददार साबित होगा.

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नई दिल्ली: भारत सरकार का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ऐसे आईएएस, आईपीएस, आईआरएस अधिकारियों की सूची बनाने की तैयारी कर रहा है जिनके पास एमबीबीएस की डिग्री हो ताकि कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में ज्यादा सक्रियता से निपटा जा सके. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

इसकी जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि पिछले हफ्ते डीओपीटी के अधिकारियों के साथ बैठक में राज्य कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने ऐसी सूची बनाने की सलाह दी थी ताकि केंद्र और राज्य दोनों ऐसे अधिकारियों की मदद ले सके, अगर जरूरत पड़ती है तो.

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘यह स्पष्ट बात है कि बड़ी संख्या में अधिकारियों के पास एमबीबीएस डिग्री है और उन्होंने स्वास्थ्य से जुड़ी ट्रेनिंग ली है…हम इसके डाटा जुटा रहे हैं ताकि ये अधिकारी केंद्र और राज्यों में कोविड से जुड़े फैसलों में इस्तेमाल किए जा सके.’

अधिकारी ने कहा, ‘सरकार का ये सोचना है कि ऐसे अधिकारियों को स्वास्थ्य से जुड़े मंत्रालयों में नियुक्त किया जाए ताकि उनका प्रशासनिक कामों में इसका उपयोग हो सके.’

उन्होंने कहा, ‘यह अधिक डोमेन विशेषज्ञता के लिए सरकार के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए है.’

डीओपीटी के प्रवक्ता शंभू चौधरी ने कहा कि ऐसी सूची तैयार करने का फैसला डेढ़ महीने पहले लिया गया था. ‘लेकिन इस पर आगे काम नहीं हुआ.’


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‘प्रशासन, और कानून व्यवस्था की देखभाल कौन करेगा?’

एक अन्य अधिकारी ने मुंबई का उदाहरण दिया जहां कोविड से संबंधित प्रयासों के प्रभावी प्रबंधन के लिए चार आईएएस अधिकारियों को शहर के प्रमुख राज्य संचालित अस्पतालों की निगरानी का प्रभार दिया गया था.

अधिकारी ने कहा, ‘महामारी के सामने, इस तरह के काम के लिए बहुत सारे आईएएस अधिकारियों की जरूरत होगी… इसलिए यदि वे चिकित्सकीय कामों से अच्छी तरह परिचित हैं, तो यह बहुत उपयोगी होगा.’

एक आईपीएस अधिकारी, जिन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की है, ने कहा कि यह कदम ‘स्वागत योग्य’ है जब तक कि अधिकारी, जिन्होंने चिकित्सा का अध्ययन किया है, फ्रंटलाइन श्रमिकों के रूप में नहीं लगे हुए हैं.

अधिकारी ने पूछा, ‘एक अर्थ में, आईएएस और आईपीएस अधिकारी पहले से ही फ्रंटलाइन कर्मचारी हैं… उनके लिए अस्पतालों में अधिक समय निकालना संभव नहीं होगा. उस मामले में प्रशासन, और कानून-व्यवस्था की देखभाल कौन करेगा?’

उन्होंने कहा, ‘यदि सरकार चिकित्सा से संबंधित पोस्टिंग के लिए अधिक अधिकारियों को नियुक्त करना चाहती है, तो यह आईएएस के लिए ठीक है, लेकिन आप आईपीएस, आईआरएस या वन सेवा के लिए ये कैसे करेंगे?’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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