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Thursday, 25 April, 2024
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हिंद महासागर और अफ्रीकी क्षेत्रों में रक्षा उत्पादों के निर्यात की तरफ बढ़ रही है मोदी सरकार

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से संभावित निर्यात के लिए वस्तुओं की एक समेकित सूची बनाई जा रही है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार हिंद महासागर क्षेत्र और अफ्रीका में स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के निर्यात पर जोर दे रही है.

रक्षा मंत्रालय पहले से ही भारत से संभावित सैन्य निर्यात के लिए देश-वार प्रोफाइल पर काम कर रहा है और रक्षा प्रशिक्षक उन देशों में स्वदेशी उत्पादों के निर्यात की सुविधा प्रदान करेंगे. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से संभावित निर्यात के लिए वस्तुओं की एक समेकित सूची बनाई जा रही है.

इसके साथ ही, एक देश-वार प्रोफाइल को यह समझने के लिए तैयार किया जा रहा है कि प्रत्येक देश को क्या चाहिए और भारतीय उत्पादों को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है.

सूत्रों ने यह भी कहा कि डिफेंस अटैचमेंट्स और इंडस्ट्री के बीच नियमित रूप से बातचीत की भी योजना बनाई जा रही है ताकि दोनों आवश्यकताओं और संभावित बिक्री से अवगत हों.

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ये उन कदमों में से एक हैं जो सरकार के लक्ष्य को अगले पांच वर्षों में एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात तक पहुंचाने के लिए उठाए जा रहे हैं.

यह 2025 तक रक्षा विनिर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये के टर्नओवर का हिस्सा है जिसे सरकार हासिल करने का लक्ष्य बना रही है.

‘हमने पहले ही एक नकारात्मक आयात सूची पेश की है, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ाएगा. समय के साथ इस सूची का विस्तार किया जाएगा और अधिक उत्पादों को जोड़ा जाएगा. रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि यह निर्यात सुनिश्चित करने के लिए अन्य कदम उठाए जा रहे हैं.’

एक अन्य सूत्र ने कहा कि ऐसे कई देश हैं जिन्हें विभिन्न सैन्य प्रणालियों की जरूरत है और उनमें से सभी में पश्चिमी देशों से खरीद करने की क्षमता नहीं है, जो वैश्विक रक्षा निर्यातक हैं.

सूत्र ने कहा, ‘पहली प्राथमिकता भारत के मित्र देशों और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों पर होगा. अफ्रीका का बाज़ार भी काफी बड़ा है.’ सूत्र ने कहा कि इसी साल लखनऊ में हुए डिफेंस एक्सपो के दौरान पहली बार भारत-अफ्रीकी मंत्रियों के बीच सम्मेलन का आयोजन हुआ.

सूत्र ने रेखांकित किया कि रक्षा निर्यात विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं द्वारा किए जा रहे सोर्सिंग को भी आकर्षित करेगा लेकिन ध्यान भारतीय फर्मों द्वारा निर्मित उत्पादों के निर्यात पर है.


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‘बाज़ार की मांग को भारत पूरा कर सकता है’

उद्योग के सूत्रों ने रक्षा उत्पादन और निर्यात पर सरकार द्वारा इस क्षेत्र में जोर देने का स्वागत किया.

‘बाजार की मांग को भारत पूरा कर सकता है. कुछ बहुत अच्छे उत्पाद हैं, जिन्हें निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किया गया है. एक उद्योग के सूत्र ने कहा, ये उत्पाद हमारे खुद के अलावा कई देशों की मांगों को अच्छी तरह से पूरा कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि यह आसान हो जाता है जब सरकार उनकी बोलियों का समर्थन कर रही है.

सरकार पहले ही रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति 2020 का मसौदा तैयार कर चुकी है. रक्षा मंत्रालय के उत्पादन को ‘केंद्रित, रुपरेखा और महत्वपूर्ण’ जोर देने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में इसकी परिकल्पना की गई है ताकि निर्यात को बल मिले.

आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, आयुध निर्माण बोर्डों और निजी रक्षा उद्योग (जारी किए गए प्राधिकरणों के आधार पर) के निर्यात का मूल्य 4,682 करोड़ रुपये था.

निजी क्षेत्र की लगभग 50 भारतीय कंपनियों ने रक्षा निर्यात में योगदान दिया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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