नई दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया कि 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) सूची से 5.18 करोड़ श्रमिकों के नाम हटा दिए गए, जबकि पिछले साल 2021-22 में 1.49 करोड़ श्रमिकों के नाम हटाए गए थे.
ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस सांसद वी.के. श्रीकंदन और गौरव गोगोई के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इसका कारण श्रमिकों की मौत से लेकर “फर्जी जॉब कार्ड” तक है.
किसी एमजीएनआरईजीएस वर्कर को सूची से हटाने का मूल रूप से मतलब यह है कि वह व्यक्ति काम करने के लिए अयोग्य है क्योंकि वह अब ग्रामीण नौकरी कार्यक्रम के तहत पंजीकृत नहीं है. योजना के तहत, प्रत्येक पात्र परिवार को एक जॉब कार्ड दिया जाता है, जो उसके इच्छुक वयस्क सदस्यों को वर्ष में 100 दिन के काम का अधिकार देता है.
सिंह ने कहा कि इसके लिए मॉनीटरिंग में प्रयोग की जाने वाली टेक्नॉलजी के कारण होने वाली “सिस्टम त्रुटि” को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
जनवरी में, मोदी सरकार ने एमजीएनआरईजीएस श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम के माध्यम से ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य कर दी थी. श्रमिकों और एक्टिविस्ट्स के व्यापक विरोध के बावजूद, यह आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) पर भी जोर देता है ताकि “मजदूरी का समय पर भुगतान” को सुनिश्चित किया जा सके. एबीपीएस कार्यान्वयन की समय सीमा 31 अगस्त 2023 तक बढ़ा दी गई है.
मनरेगा एक्टिविस्ट्स का मानना है कि, कई मामलों में, ग्रामीणों के नाम हटा दिए गए होंगे क्योंकि उनका जॉब कार्ड एबीपीएस से जुड़ा नहीं रहा होगा.
हालांकि, सिंह ने अपने लिखित उत्तर में कहा: “जैसे कि ‘सिस्टम एरर’ जॉब कार्ड्स को हटाने का एक मूल कारण नहीं है… जॉब कार्ड्स को हटाने के कई कारण नीचे दिए गए हैं: i. जाली जॉब कार्ड (गलत जॉब कार्ड) ii. डुप्लीकेट जॉब कार्ड iii. जो लोग अब काम करने को तैयार नहीं iv. ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित परिवार v. जॉब कार्ड में एक मात्र व्यक्ति का नाम और व्यक्ति की मृत्यु इत्यादि.”
मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में पश्चिम बंगाल (83.36 लाख) में सबसे अधिक नाम हटाए गए, इसके बाद आंध्र प्रदेश (78.05 लाख), ओडिशा (77.78 लाख), बिहार (76.68 लाख) और उत्तर प्रदेश (62.98 लाख) हैं.
पश्चिम बंगाल में – जहां योजना के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन पर दिसंबर 2021 में एमजीएनआरईजीएस के लिए धन रोकने के फैसले के बाद राज्य सरकार और केंद्र आमने-सामने हैं – 2021-22 में पंजीकृत एमजीएनआरईजीएस श्रमिकों की सूची से 1.57 लाख नाम हटा दिए गए थे.
केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को मनरेगा मजदूरी के भुगतान पर एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा: “21.07.2023 तक महात्मा गांधी एनआरईजीएस के तहत पश्चिम बंगाल राज्य के संबंध में मजदूरी के लिए 2,765.55 करोड़ रुपये की राशि लंबित है.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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