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गुरूवार, 24 अप्रैल, 2025
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राम मंदिर की दीवारों पर खुदेंगे दानकर्ताओं के नाम, रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने राम भक्तों से कहा-तांबे की पत्तियां दान करें

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में कम से कम तीन वर्ष का समय लगेगा और इस उद्देश्य के लिये निर्माण कंपनी लार्सन एंड टू्ब्रो, केंद्रीय, सीबीआरआई और आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर काम कर रही है.

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नई दिल्ली: राम मंदिर शिलान्यास के बाद गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक दिल्ली में हुई. मंदिर निर्माण के लिए भारतीय प्राचीन और पारंपरिक पद्धति का उपयोग किया जा रहा है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने बताया है कि मंदिर की दीवारों पर तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपना और अपने परिवार, क्षेत्र और मंदिर का नाम तक गुदवा सकेंगे.

तीर्थ क्षेत्र का य़ह भी कहना है, ‘तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मकता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी. बल्कि निर्माण में संपूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाणपत्र भी होंगी.’

तीर्थ क्षेत्र ने यह भी बताया कि मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा. इसके निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लंबी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएम चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी.

अब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम भक्तों का आह्वान करता है कि तांबें की पत्तियां दान करें.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में कम से कम तीन वर्ष का समय लगेगा और इस उद्देश्य के लिये निर्माण कंपनी लार्सन एंड टू्ब्रो, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर काम कर रही है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने यह जानकारी दी .


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1000 वर्ष खड़ा रहेगा मंदिर

चंपत राय ने बताया, ‘मंदिर का निर्माण 1000 वर्ष का विचार करके किया जा रहा है और इसमें मिट्टी, पानी एवं अन्य प्रभावों का आकलन किया जा रहा है. ’ श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों(1000 वर्षों) तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकंप और पाकृतिक आपदाओं सहित अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो. मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा.

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने बताया कि मंदिर के निर्माण कार्य शुरू हो गया है. इसमें सीबीआरआई रुड़की और आईआईटी मद्रास के मिलकर निर्माणकर्ता कंपनी एल एंड टी के इंजीनियर को अपने साथ जोड़ा है. मिट्टी की ताकत को मापने के लिये आईआईटी मद्रास की सलाह ली गई है. मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है.

मिट्टी के नमूने जांच के लिए भेजे गए

उन्होंने बताया कि दो स्थानों से 60 मीटर तथा पांच स्थानों से 40 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं . कुछ जगहों पर 20 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं .

ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) तथा आईआईटी मद्रास के प्रोफेसरों ने मिलकर भूकंप संबंधी विषयों एवं प्रभावों को मापा है.

करीब 3 एकड़ जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा और लगभग 1200 खम्भे होंगे.

राय ने कहा, ‘अब जितने काम हैं, वे सभी विशेषज्ञों से जुड़े हैं . इन कार्यो में जन्दबाजी नहीं हो सकती है. हम सोच विचार कर आगे बढ़ रहे हैं . ’


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यह पूछे जाने पर कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने में कितना समय लगेगा, चंपत राय ने कहा, ‘इसमें कम से कम तीन वर्ष लगेंगे. तीन वर्ष अर्थात 36 महीने. 36 महीने से 40 महीने लग सकते हैं लेकिन इससे कम नहीं . इतना धैर्य रखना पड़ेगा.’

मंदिर निर्माण के लिये धन संग्रह के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आनलाइन माध्यम से योगदान देने की व्यवस्था है, ऐसे में कोई भी योगदान कर सकता है . पैसे पर किसी धर्म का नाम नहीं लिखा होता है.

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2 टिप्पणी

  1. मन्दिर निर्माण में लगने वाली तांबे की 21 पत्तियाँ हम किसे दे और कौन इसे प्राप्त करेगा या कैसे अयोध्या पहुंचाया जा सकता है जानकारी देवे

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