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मंगलवार, 6 मई, 2025
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नायडू सरकार ने मैटरनिटी लीव में दो बच्चों की सीमा हटा कर बड़े परिवारों को बढ़ावा देने का कदम उठाया

नायडू जनसंख्या वृद्धि के मुखर समर्थक रहे हैं. पिछले साल उनकी सरकार ने 3 दशक पुराने उस नियम को खत्म कर दिया था जिसके तहत 2 से ज़्यादा बच्चे वाले लोगों को पंचायत और नगरपालिका चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश सरकार की महिला कर्मचारी अब दो से अधिक बार भी छह महीने की वेतन के साथ मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) ले सकेंगी, जिसे कर्मचारियों के संघों ने सराहा है.

यह फैसला तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की राज्य में जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) लाभ बनाए रखने के लिए बड़े परिवारों को बढ़ावा देने की पहल के बाद लिया गया है.

सोमवार को वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया, “महिला कर्मचारियों को पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखने और राज्य में जनसांख्यिकीय प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए, सक्षम प्राधिकारी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि मैटरनिटी लीव लेने के लिए जीवित बच्चों की दो की सीमा को शिथिल किया जाना चाहिए.”

आदेश में कहा गया है कि अब मैटरनिटी लीव लेने के लिए दो से कम बच्चों की शर्त को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. यह आदेश 2010 के उन आदेशों को संशोधित करता है, जो उस समय के संयुक्त आंध्र प्रदेश प्रशासन के तहत जारी किए गए थे.

2010 के आदेश के तहत विवाहित महिला कर्मचारियों के लिए मैटरनिटी लीव को 120 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया था, बशर्ते कि वह केवल उन महिलाओं को दिया जाएगा जिनके दो से कम बच्चे हों.

वित्त विभाग के प्रधान सचिव पीयूष कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “अब महिला कर्मचारी वेतन लाभ के साथ मैटरनिटी लीव का लाभ जितनी बार चाहें उठा सकती हैं.”

जून में मुख्यमंत्री का पद फिर से संभालने के बाद से, नायडू आंध्र प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के पक्ष में मुखर रहे हैं और नियमित रूप से परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं ताकि राज्य की औद्योगिक उत्पादन और अन्य विकास संकेतकों (डेवलपमेंट इंडेक्स) में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनी रहे.

टीडीपी प्रमुख की बड़े परिवारों के लिए की गई यह पहल कुछ लोगों द्वारा राज्य की लोकसभा सीटों की हिस्सेदारी की रक्षा के प्रयास के रूप में भी देखी जा रही है, जो अगली परिसीमन प्रक्रिया के दौरान घटती जनसंख्या के कारण प्रभावित हो सकती है.

इस प्रयास के तहत, नायडू के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा प्रभुत्व प्राप्त आंध्र प्रदेश विधानसभा ने नवंबर में ऐसे विधेयक पारित किए, जो तीन दशक पुराने उस नियम को खत्म करते हैं जो दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग लेने से रोकता था.

जनवरी में, नायडू ने लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने की अपनी कोशिशों को और आगे बढ़ाया है. तिरुपति के पास अपने पैतृक गांव नरवरिपल्ली में संक्रांति उत्सव के दौरान, नायडू ने कहा कि वह ऐसी नीतियों पर काम कर रहे हैं, जिनके तहत केवल वे लोग सरपंच, नगरसेवक या महापौर बन सकेंगे जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे.

“पहले, कई बच्चों वाले लोगों को पंचायत और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेने से रोक दिया जाता था. अब मैं कह रहा हूं कि कम बच्चों वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकेंगे,” नायडू ने कहा और इस कदम को “प्रोत्साहन का एक रूप” बताया.

मिलेनियल जोड़ों को फटकारते हुए, नायडू ने कहा कि उच्च शिक्षित और अधिक कमाई वाले कपल अब ‘डबल इनकम, नो किड्स (DINK)’ नीति अपना रहे हैं. “आपके माता-पिता ने चार-पांच बच्चे पैदा किए; आपने इसे घटाकर एक या दो कर दिया. अब कुछ चालाक लोग कह रहे हैं, ‘डबल इनकम, नो किड्स, चलो मजे करें.’ अगर उनके माता-पिता ने भी ऐसा ही सोचा होता, तो वे इस दुनिया में नहीं आते,” उन्होंने कहा.

नायडू ने यह भी कहा कि दुनिया के कई देशों ने धन और आय तो बढ़ाई, लेकिन “गिरती जनसंख्या के खतरे को नहीं पहचाना.”

नायडू ने पत्रकारों से कहा, “आज दक्षिण कोरिया की विकास दर 0.7 प्रतिशत है. जापान और पूरे यूरोप में भी यही स्थिति है. इस स्थिति की पहले से भविष्यवाणी नहीं की गई थी. अब उन्हें लोगों की जरूरत है, हमें उन्हें भेजना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति आ गई है. तो हमें सही समय पर सही निर्णय लेना होगा.”

2021 तक, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) घटकर प्रति महिला 1.91 हो गई थी, जो प्रति महिला 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है. इसकी तुलना में, आंध्र प्रदेश की प्रजनन दर केवल 1.5 है, राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण अधिकारियों के अनुसार.

यही गिरावट नायडू के जनसांख्यिकीय प्रबंधन पर जोर देने का कारण है, जो जुलाई में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भी चर्चा का विषय रहा था, जिसमें नायडू ने भाग लिया था.

बाद में अमरावती सचिवालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए नायडू ने स्वस्थ जनसंख्या वृद्धि दर सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि “कम से कम दो बच्चे” की शर्त को स्थानीय निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया जाएगा.

आंध्र प्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) और अन्य विकास संकेतकों के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “कभी एक बड़ी जनसंख्या को बोझ माना जाता था. अब यह संपत्ति और संसाधन है. अगर जनसंख्या लगातार घटती रही, तो हमारे पास भव्य हवाई अड्डे और सुपर हाईवे तो होंगे, लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने के लिए लोग नहीं होंगे.”

नायडू ने यह अनुमान भी लगाया कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो 2051 तक आंध्र प्रदेश की प्रजनन दर घटकर 1.07 रह जाएगी, जो वर्तमान में 1.51 है. “राज्य की जनसंख्या केवल थोड़ा ही बढ़ेगी, 5.38 करोड़ से 5.41 करोड़ तक 2051 तक,” उन्होंने तब पत्रकारों को बताया था.

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