नई दिल्ली: पिछले साल दिसंबर में मोन जिले के ओटिंग इलाके में असफल सैन्य अभियान में मारे गए 13 नागरिकों के मामले में नागालैंड पुलिस ने एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
नागालैंड के पुलिस प्रमुख टी जॉन लोंगकुमेर ने मीडिया को बताया कि एक मेजर समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 (बी), 302, 307, 326, 201, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
आरोप पत्र 30 मई को सहायक लोक अभियोजक के जरिए डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट, मोन जिला में प्रस्तुत किए गए थे.
घटना के बाद तिजित पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया और राज्य अपराध पुलिस स्टेशन द्वारा अज्ञात सैन्य कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक अलग मामला दर्ज किया गया. जांच एसआईटी को सौंपी गई थी.
लोंगकुमर ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी की मांग वाली सीआईडी रिपोर्ट अप्रैल, 2022 के पहले हफ्ते में सैन्य मामलों के विभाग को भेज दी गई थी और बाकी पिछले महीने भेजी गई थी.
आरोपपत्र से पहले की जांच में पाया गया कि स्पेशल फोर्स की अभियान टीम ने मानक संचालन प्रक्रिया और अभियान के दौरान नियमों का पालन नहीं किया और अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे छह नागरिकों की तत्काल मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए.
लोंगकुमर ने कहा कि इस मामले में ‘एसआईटी ने पेशेवर और गहन जांच की’, जिसमें विभिन्न अधिकारियों और स्रोतों से प्राप्त प्रासंगिक महत्वपूर्ण दस्तावेज, केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) गुवाहाटी, हैदराबाद और चंडीगढ़ से वैज्ञानिक राय और तकनीकी सहित विभिन्न सबूत शामिल हैं. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान से साक्ष्य एकत्र किए गए.
डीजीपी ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी की मांग वाली अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की रिपोर्ट इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में सैन्य मामलों के विभाग को भेजी गई थी और मई में फिर से पत्र भेजा गया था. उन्होंने कहा कि अभियोजन की मंजूरी का अभी इंतजार है.
चार दिसंबर, 2021 को अपराह्न लगभग 4:20 बजे अपर तिरु और ओटिंग विलेज के बीच लोंगखाओ में घात लगाकर वहां मौजूद 21 पैरा स्पेशल फोर्स की ऑपरेशन टीम ने सफेद बोलेरो पिकअप वाहन पर गोलियां चला दीं, जिसमें ओटिंग गांव के आठ आम आदमी सवार थे.
उन्होंने कहा कि जिनमें से ज्यादातर तिरु में कोयला खदानों में मजदूर के रूप में काम करते थे. उन्होंने इन लोगों की न तो सही पहचान सुनिश्चित की थी और न ही हमले से पहले उन्हें कोई चुनौती दी थी.
डीजीपी ने कहा कि जांच से पता चला है कि ओटिंग और तिरु के ग्रामीण जब लापता ग्रामीणों की तलाश में घटनास्थल पर पहुंचे और रात करीब आठ बजे बोलेरो पिकअप वाहन मिला तो वे शव मिलने पर हिंसक हो गए और और 21 पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों तथा ग्रामीणों के बीच हाथापाई शुरू हो गई.
उन्होंने कहा कि एक पैराट्रूपर की मौत हो गई और 21 पैरा स्पेशल फोर्स टीम के 14 कर्मियों को हाथापाई के परिणामस्वरूप चोटें आईं.
इसके चलते मेजर ने रात करीब 10 बजे गोली चलाने का आदेश दिया. दूसरी घटना में सात ग्रामीणों को विशेष बल ने मार गिराया.
इस घटना के कारण अगले दिन मोन शहर में कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी जिसमें गुस्साई भीड़ ने सार्वजनिक स्थानों पर तोड़फोड़ की और असम राइफल्स चौकी पर भी हमला किया, जिसमें जवाबी गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
इसके चलते दिसंबर में राज्य भर में कई विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक संस्थाओं ने नागालैंड से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) हटाने की मांग की.
भाषा के इनपुट से
यह भी पढ़े: पंजाबी गानों को बंदूकों से जोड़कर मत देखिए, इनमें प्यार का संदेश कहीं ज्यादा है