नई दिल्ली: मोदी सरकार जब घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए एक लाख टन प्याज का आयात कर रही है उस समय नाफेड जो कि सहकारी विंग है उसमें प्याज के रखरखाव की सही व्यवस्था न होने के कारण आधे से ज्यादा बफर स्टॉक खराब हो रहा है.
नाफेड अपने बफर में प्याज का पुराने पारंपरिक तरीके से भंडारण करती है. जिससे प्याज की बर्बादी होती है.
मूल्य स्थिरिकरण फंड के अंतर्गत नाफेड ने महाराष्ट्र और गुजरात से 57,372 मिलियन टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया है जिसमें से उसने सिर्फ राज्यों और एजेंसियों को 26,700 मिलियन टन ही मुहैया कराया है. अगस्त के दौरान खुदरा बाज़ार में प्याज के दाम 40 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गए थे.
बाकी या तो स्थानीय बाजार में उप-मानक गुणवत्ता के कारण निपटाए गए थे या नमी और बारिश के कारण खराब हो गए थे.
उपभोक्ता मंत्रालय के अधिकारी जो इस विषय की जानकारी रखते हैं उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘नाफेड द्वारा जो 53 फासदी प्याज खरीदा गया वो किसी काम में नहीं आया. प्याज की कमी और महंगाई के समय में उपयोग में लाए जाने के लिए नाफेड इसका भंडारण करता है.’
मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘इस साल के लिए नाफेड ने 60 हज़ार मिलियन टन बफर स्टॉक तैयार करने के बारे में सोचा था लेकिन ये केवल 57,372 मिलियन टन का ही हो पाया. जिसमें से 48,183 मिलियन टन और गुजरात से 9,189 मिलियन टन आया था.
नाफेड ने मौसम को कारण बताया
नाफेड में सरकार के नॉमिनी अशोक ठाकुर ने प्याज की बर्बादी का कारण मौसम को बताया.
उन्होंने कहा, ‘हम सामान्य मौसम में दो महीने के लिए प्याज का भंडारण करते हैं. एक महीने में 10 फीसदी प्याज खराब होने लगता है जो कि 2-3 महीने में बढ़कर 25 फीसदी तक पहुंच जाता है. बारिश होने के कारण हमें प्याज का रखरखाव नवंबर तक करना पड़ता है. जो कि सामान्य तौर पर सितंबर-अक्टूबर तक पहले होता था.’
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उन्होंने कहा कि इस बार प्याज को कोल्ड स्टोरेड में नहीं रखा गया है. हम पारंपरिक तरीके से इसे फॉर्म स्टोरेज में रख रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में इस साल काफी बारिश हुई थी.
प्याज के दामों में लगातार बढ़ोतरी मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब है. इस साल प्याज के उत्पादन में 30-40 प्रतिशत की गिरावट के कारण खुदरा बाज़ार में दामों में वृद्धि हुई है. नवंबर में तो कई जगह प्याज के दाम 100 रुपए प्रतिकिलो तक भी पहुंच गए हैं.
इस संकट से निपटने के लिए सरकार ने एक लाख टन प्याज का आयात करने का फैसला किया है.
सरकार ने आईबी, रॉ, ईडी और आईटी विभाग को कृषि और उपभोक्ता मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने को कहा है और यह सुनिश्चित करने को कहा कि इसके दामों में वृद्धि न हो.
घाटे पर प्याज का सौदा
नाफेड की चिंताएं और परेशानी केवल भंडारण तक ही सीमित नहीं है.
यह एजेंसी महाराष्ट्र और गुजरात से अनुमानन 12.5 रुपए प्रतिकिलो की दर पर प्याज खरीदती है और राज्यों को 15.5 रुपए प्रतिकिलो की दर पर बेचती है. मोदी सरकार ने राज्यों और अन्य एजेंसियों को 24 रुपए प्रतिकिलो पर प्याज बेचने को कहा है.
नाफेड के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘नाफेड को दो कारणों से घाटा हो रहा है. एक तो भंडारण और दूसरा कम दामों में प्याज के बेचने से. इस कारण इसके राजकोष को काफी नुकसान होता है.’
अधिकारी ने बताया, ‘मंडी में सामान्य तौर पर 10 रुपए प्रतिकिलो की दर पर प्याज बिकता है. वहीं नाफेड 12 रुपए प्रतिकिलो की दर पर प्याज खरीदती है. ट्रांसपोर्टेशन में 5-8 रुपए प्रतिकिलो लगता है. जबकि राज्यों को नाफेड 15 रुपए प्रतिकिलो की दर पर प्याज बेचता है.’ उन्होंने कहा कि नाफेड के पास 60-80 मिलियन टन प्याज अभी बचा हुआ है जिसका उपभोग किया जा सकता है.
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