नई दिल्ली: कोरोनावायरस को लेकर एक भय ये जताया जा रहा है कि ये लंबे समय तक दुनिया भर के लोगों को सताने वाला है. ऐसे में इससे जुड़ी ऐसी कई बातें भी फैली हुई हैं जो सही नहीं हैं. ऐसी ही कई बातों के कल्पनिक और सच होने के अंतर को साफ़ करने का काम यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरिलैंड के क्वालिटी और इंफेशियशी डीज़ीज़ के चीफ फहीम यूनुस ने किया है.
क्या दुकान, एटीम, पेट्रोल पंप से दूर रहना है
लोगों में एक भय ये बैठाया गया है कि उन्हें बाहर से आने वाला सामान, गैस-पेट्रोल पंप, सामान ख़रीदने की जगहों और एटीएम से दूर रहना चाहिए नहीं तो वो मर जाएंगे. इसके जवाब में यूनुस कहते हैं कि ये बात ग़लत है. वायरस के किसी चीज़/सतह के ऊपर मौजूद होना एक बात है और उससे इंफेक्शन होना दूसरी बात है.
वो सलाह देते हैं कि ऐसी किसी सेवा का इस्तेमाल करने के बाद हाथ धो लें तो कोई दिक्कत नहीं होगी.
COVID Myth-busting Thread: Too many myths floating around. Here’s part 2.
1/10: Avoid shipped packages/gas pumps/shopping carts/ATMs or you’ll die.
Wrong.
Coronavirus surface survival is one thing; that surface causing an infection is another. Wash your hands; live your life— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) March 22, 2020
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बाहर से खाना ऑर्डर करना कितना सही
एक भ्रांति ये है कि अगर आप बाहर का खाना या चाइनीज़ फूड का ऑर्डर करेंगे तो आपको कोविड- 19 हो सकता है. इसके जवाब में उन्होंने लिखा है कि ये बीमारी ड्राप्लेट से होती है ना कि खाने से. अभी तक इसके सबूत नहीं है कि ये बीमारी बाहर से खाना ऑर्डर करने या चाइनीज़ खाने से होती है.
क्या होता है ड्रॉपलेट इंफेक्शन
नोट: ड्राप्लेट इंफेक्शन का मतलब है कि अगर कोई कोरोना पीड़ित खांस या छींक देता है तो इससे निकलने वाले कण में शामिल कोरोनावायरस बाहर आकर गिरते हैं. अगर आप ऐसे किसी व्यक्ति के करीब हैं तो आपको कोविड- 19 हो सकता है.
अगर कोई करीब नहीं है तो भी ये छींकने-खांसने के दौरान निकला वायरस बाहर जिस सतह पर गिरता है वहां 6 से 24 घंटे या इससे ज़्यादा समय से पहले नष्ट नहीं होता. इसलिए बार-बार 2 बातों पर ज़ोर दिया जा रहा है कि लोग एक-दूसरे से दूरी बनाए रखें और हाथ धोते रहें.
क्या सॉना बाथ लेने से कोरोना ख़त्म हो जाता है
एक और बात ये फैलाई गई है कि 20 मिनट तक सॉना बाथ लेने से कोरोना समेत 90 प्रतिशत वायरस मर जाते हैं. सॉना बाथ लेने वाले को गर्म तापमान वाले भाप के कमरे में बैठना होता है. इस दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
यूनुस का कहना है कि उल्टे सॉना से निमोनिया जैसी बीमारी हो सकती है. कोविड- 19 ने पहले से निमोनिया ग्रस्त लोगों की काफी संख्या में जान ली है. ऐसे में इससे दूर रहें.
क्या स्वाद की क्षमता ख़त्म हो जाना कोरोना का लक्ष्ण है
ये भी फैलाया जा रहा है कि अगर आप स्वाद लेने या सूंघने की क्षमता खो चुके हैं तो आपको कोविड-19 है. यूनुस का कहना है कि किसी भी वायरल बीमारी के साथ ऐसा होता है कि व्यक्ति की ये क्षमताएं समाप्त हो जाती हैं. उन्होंने लिखा है कि ये कोरोना का कोई अहम लक्ष्ण नहीं है.
क्या हाइड्रोक्लोरोक्वीन, अजीथ्रोमाइसीन हैं कोरोना की दवाएं
अमेरिकी में कोरोना के मामले में हाइड्रोक्लोरोक्वीन और अजीथ्रोमाइसीन जैसी दवाओं की काफी चर्चा है. वहां माना जा रहा है कि इन दवाओं को पहले से ले लेने से कोविड-19 से बचा जा सकता है. इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बल दिया है.
यूनुस का कहना है कि इन दवाओं से जुड़ा प्रयोग चल रहा है. ये कुछ लोगों के मामले में ये असरदार भी साबित हुआ है. हालांकि, बिना डॉक्टर के कहे इन्हें लेने पर उल्टा असर हो सकता है.
क्या लॉकडाउन इसलिए लगाया गया है क्योंकि बहुत से लोग मरने वाले हैं
क्या लहसुन/नींबू को गर्म पानी/प्याज़ के साथ कमरे में इस्तेमाल करने से कोविड-19 से बचा जा सकता है? उन्होंने इस दावे को सिरे से ख़ारिज किया है. अमेरिका में ये भी फ़ैला है कि वहां आपातकाल की घोषणा इसलिए हुई हैं क्योंकि बहुत से लोग मरने वाले हैं.
संभव है कि भारत में भी ऐसी ही बातें तैर रही हों. यूनुस का कहना है कि आपातकाल इसलिए लगाया गया है ताकि सरकार और संसाधनों को जुटा सके और बेहतर तरीके से काम कर सके.
क्या घर लौटकर नहाना और कपड़े बदलना ज़रूरी है
क्या घर लौटने पर हर बार नहाकर कपड़े बदल लेने चाहिए नहीं तो आप अपने परिवार को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं? इसके जवाब में यूनुस का कहना है कि ऐसे पागलपन की कोई ज़रूरत नहीं है. बस इतने से काम चल सकता है कि लोग हाथ धोते रहें, एक दूसरे से छह फ़ीट की दूरी बनाए रखें और भीड़-भाड़ में न जाएं.
ये भी फ़ैला हुआ है कि ऐसे मैसेज चीन और इटली के डॉक्टर भेज रहे हैं. इसका जवाब है कि असली डॉक्टर अपना रिसर्च सोशल मीडिया पर नहीं पोस्ट करते. कोरोना पर तेज़ी से काफी रिसर्च हो रही है, ग़लत जानकारी से दूर रहें.
आईब्रूफेन या पेरासिटामोल है कोरोना की दवाई
क्या आईब्रूफेन या पेरासिटामोल जैसी दवा ली जा सकती है? जवाब वही है कि डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा लेना सही नहीं है. इसी बीमारी में कौन सी दवा ठीक से काम कर रही है इसका पता नहीं लगा है ऐसे में डॉक्टर मरीज़ की स्थिति के हिसाब से उसका इलाज कर रहे हैं.
Thread: Many of you have asked follow-up questions about COVID-19. Here is a crash course.
1/10: Is Ibuprofen bad for COVID-19. Should I use Tylenol instead?
No. This is false. There are no studies proving this reckless opinion. Read more here: https://t.co/gSD4NIYHGF
— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) March 18, 2020
क्या हवा में फैल सकता है कोरोना, क्या पालतू जानवर से है ख़तरा
एक सवाल ये भी है कि क्या भविष्य में कोरोनावायरस हवा में फ़ैल सकता है, इसका जवाब है नहीं. क्या पालतू जानवर भी इसका शिकार बन सकते हैं या क्या पालतू जानवर ये उसे पालने वाले को कोविड- 19 हो सकता है का जवाब है कि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है.
लहसुन, केले, विटामिन सी से कोविड-19 ठीक होने के प्रमाण नहीं
एक बड़ा सवाल ये है कि अगर आपके किसी जानने वाले के परिवार में किसी को कोविड- 19 है और आप अपने जानने वाले के संपर्क में आए हैं तो क्या आप भी बीमार हैं? इसका भी जवाब न में है. इसके लिए टेस्टिंग की दरकार नहीं है. क्या लहसुन, केले और विटामिन सी से कोरोना ठीक होता है का जवाब है कि इसके वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं हैं.
क्या जॉगिंग करने या दौड़ने जा सकते हैं
इसका जवाब हां में है. यूनुस का कहना है कि वायरस हवा में नहीं है ऐसे में बाहर जाने से ख़तरा नहीं है. लेकिन लोगों से जितनी दूरी बनाए रखें उतना अच्छा है.
ख़राब गला या बहती नाक हैं लक्ष्ण
अगर आपका गल ख़राब है और नाक बह रही है तो क्या आपको कोविड- 19 है और आपको हॉस्पिटल जाना चाहिए? इसके लिए जो बात अमेरिका में लागू होती है वही भारत में भी कि इन लक्ष्णों से कुछ साफ़ नहीं होता.
हो सकता है कि आपको सीज़नल फ़्लू हो. अगर आप इन लक्ष्णों के साथ हॉस्पिटल जाएंगे तो भी आपके कोविड- 19 का टेस्ट नहीं होगा. ऐसे में घर में रहना बेहतर है. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ऐसी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
वायरस मारने के लिए नाक में गर्म हवा डालना ख़तरनाक
ये भी बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस को ठंड से मज़बूती मिलती है. ऐसे में नाक को गर्म हवा देने से क्या कोरोना ख़त्म हो जाएगा? इसका जवाब है कि लोगों के नाक में आम वायरस भी होते हैं जो उनकी ज़िंदगी का हिस्सा होते हैं. गर्म हवा देने से कोरोना का कुछ नहीं होगा लेकिन इन वायरसों में भ्रामक स्थिति पैदा हो सकती है.
क्या एक बार ठीक होने पर बढ़ जाएगी कोविड-19 से लड़ने की क्षमता
एक सबसे अहम सवाल ये है कि क्या एक बार कोविड-19 से ठीक होने के बाद इम्युनिटी यानी इससे लड़ने की क्षमता आ जाती है? यूनुस के मुताबिक इसका असल जवाब तो 2021 में मिलेगा. हालांकि वो कहते हैं कि अगर कोई उनकी कनपटी पर बंदूक रख के इस सवाल का जवाब मांगे तो उनका जवाब होगा हां.
हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि ये क्षमता कितनी देर तक बनी रहेगी अभी ये कहना सही नहीं होगा.
कोरोनावायरस भेदभाव नहीं करता
लोगों में इसे लेकर भी हलचल है कि ये अमीर लोगों और सेलिब्रिटीज़ को भी क्यों हो रहा है. इसका जवाब है कि ये वायरस भेदभाव नहीं करता. इसके लिए रंग, जाति, धर्म, लिंग, गरीबी और अमीरी मायने नहीं रखती. बस एक बात मायने रखती है कि सामने वाला इंसान है.
कब वापस जाएगा ये वायरस
लॉकडाउन में रह रहे लोगों के ज़ेहन में सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस वायरस की घर वापसी कब होगी? इसके बारे में फहीम यूनुस कहते हैं कि सबको पेड़ों से ये सीखने की दरकार है कि पेड़ सर्दी के लंबे मौसम में ख़ुद को कैसे बचाए रखते हैं.
उन्होंने लिखा है, ‘इसके पहले की महामारियां 1-4 साल तक टिकी हैं. गर्मी का मौसम आने पर भी ये (कोरोना) नहीं जाने वाला.’ हालांकि, उन्होंने अमेरिकी की स्थिति बताई है लेकिन कोरोना के मामले में ज़्यादातर लोकतांत्रिक देशों की स्थिति एक जैसी रही है.
वो लिखते हैं, ‘अमेरिका में हर 2-3 दिन में मामले दोगुने होते जा रहे हैं. हमारे पास पर्याप्त डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल बेड, वेंटिलेटर, मास्क, टेस्ट किट और दवाएं नहीं हैं.’ उन्होंने लिखा है कि जाड़े के मौसम में कुछ शहरों का ज़्यादा कुछ का काम बुरा हाल होता है. यही इस वायरस के मामले में भी लागू होता है.
उन्होंने लिखा है, ‘लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा, लोगों के पैसे डूबेंगे. पैसे हम कमा सकते हैं लोग नहीं.’ लॉकडाउन को उन्होंने इसलिए ज़रूरी बताया है क्योंकि इसके नहीं होने से असंख्य जानें जाएंगी जिसकी भरपाई नहीं हो सकती.
सचेत करते हुए उन्होंने कहा है कि तमाम कोशिश के बावजूद अमेरिका में अप्रैल तक कोरोना के मामले 50,000 के पार जा सकते हैं जिससे स्वास्थ्य सुविधा, सामानों के एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने, व्यापार, अर्थव्यवस्था को और धक्का लग सकता है. तनाव बढ़ सकता है, ऐसे में सबको एक-दूसरे का साथ देने और संयम बनाए रखने की ज़रूरत होगी.
यहां से रोशनी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि मई से टेस्ट किट आने लगेंगे और टेस्टिंग आसान हो जाएगी. कोरोनावायरस पर पर्याप्त डेटा होगा, ऐसे में नीति निर्माता यानी सरकारों का फ़ैसला डेटा पर आधारित होगा. जिन लोगों को अभी इस ख़तरे पर यकीन नहीं हो रहा वो डेटा पर भरोसा करेंगे, सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनकर घूमेंगे और इसे सामान्य हालात मानकर जीना शुरू करेंगे.
उम्मीद है कि यहां से लॉकडाउन भी धीरे-धीरे खुलने लगेंगे. जिन लोगों ने इंफेक्शन पर जीत पा ली है उनका एंटी बॉडी टेस्ट आ जाएगा. कई लोग इस वायरस से ‘जीतने’ वालों में शामिल होंगे और फ़ूल फ़िर से खिलने लगेंगे. फिर भी अभी ये जितना आसान दिखाई दे रहा है उतना आसान नहीं होगा और मानवता के धैर्य की कठिन परीक्षा होगी.
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फहीम लिखते हैं कि 2021 से एक-एक करके देश ये घोषणा करना शुरू कर सकते हैं कि उनका देश कोविड-19 मुक्त हो गया है.
नोट: कोविड-19 विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी का वैज्ञानिक नाम है. ये नाम कोरोना वायरस और इसके सामने आने के साल 2019 के मिश्रण से बना है.
ऐसा नाम इसलिए दिया गया है ताकि किसी देश या पहचान से इस वायरस को जोड़ने से बचा जा सके, क्योंकि ऐसी स्थिति में उस पहचान के व्यक्ति के साथ भेदभाव और हिंसा होने की आशंका है.
Aakhir kab thik hoga ye Corona please any suggestions
Inshaallah 14 April ko
15 sept 2021……2021…..100%….