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Thursday, 25 April, 2024
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मुजफ्फरनगर रेप पीड़िता के परिवार वालों ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर लगाया थाने में बुलाकर पीटने का आरोप

पिछले साल 5 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के बढ़ीवाला गांव की एक 21 वर्षीय लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. पीड़िता ने मरने से पहले अपने हाथों पर आरोपियों का नाम लिख रखा था.

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नई दिल्ली: पिछले साल अक्टूबर महीने के शुरुआती दिनों में मुजफ्फरनगर में एक 21 वर्षीया लड़की ने रेप और उसके बाद मिली मानसिक प्रताड़ना के चलते आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में अब एक नया मोड़ आया है जब पीड़िता के परिवार वालों ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर थाने में पीटने के आरोप लगाए हैं. इतना ही नहीं परिवार का कहना है कि यूपी पुलिस ने पिछले साल दिवाली के आस-पास भी परिवार को प्रताड़ित किया था.

दिप्रिंट से बात करते हुए पीड़िता के पिता सुभाष चंद कहते हैं, ‘थाने के लोग गालियां तो हमें प्रसाद की तरह देते हैं. उन्होंने आरोपी परिवार से पैसे खा लिए हैं. इसलिए हमें गालियां देते हुए कहते हैं कि पैसे की खातिर अपनी बेटियों का बलात्कार करवाते हैं. हमारे लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं कि मैं बता भी नहीं सकता.’

परिवार ने पीड़िता की बहन के सूजे हुए गाल की तस्वीरें दिखाई हैं. सुभाष का कहना है, बीते 28 दिसंबर को पुलिस ने हमें सूचित किया था कि हमें थाने में केस के संबंध में बयान देने जाना है. मेरा बेटा अस्पताल में था क्योंकि उसका एक्सीडेंट हुआ था. मैंने फोन कर इत्तला किया था कि जैसे ही अस्पताल से घर आते हैं, हम थाने आ जाएंगे. 8 जनवरी  को मैं घर आया हूं और अगली सुबह मैंने पुलिस से फोन कर समय के बारे में पूछा. 9 तारीख को ही मेरे फोन के करीब डेढ घंटे बाद पुलिस का फोन आया कि अपनी बेटी व बीवी को भी लाना.’

वो आगे कहते हैं, उसी दिन मैं, मेरी पत्नी और मेरी बेटी डेढ बजे के आसपास थाने गए. वहां मेरी बेटी को सीओ और एक महिला पुलिसकर्मी ने पीटा. मुझे भी मारा. हमें गालियां दीं. इस बीच किसी एक्सीडेंट के चलते एसएचओ बाहर चले गए थे. उसके बाद हमें अलग अलग कमरों में 5 घंटे बाद तक थाने में बैठाए रखा.’

एसएचओ पवन कुमार शर्मा इस बात को सिरे से नकारते हैं, ‘हमने उनके साथ कोई मारपीट नहीं की है. ये परिवार पिछले एसएचओ के लिए भी बड़े अधिकारियों को इस तरह के प्रार्थना पत्र लिखकर पैसे ऐंठने की कोशिश करता था. मेरे साथ भी यही कर रहे हैं. उस दिन हम एक्सीडेंट के एक केस के चलते बाहर चले गए थे. येलोग ही पुलिस को धमका रहे थे और नखरे दिखा रहे थे. ‘

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बता दें कि पिछले साल 5 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के बढ़ीवाला गांव की एक 21 वर्षीय लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. पीड़िता ने मरने से पहले अपने हाथों पर आरोपियों के नाम लिखे हुए थे. एसएचओ पवन कुमार ने बताया कि इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है. इससे पहले ये केस एसएसआई सुरेश पाल सिंह के पास था. पवन कुमार शर्मा का तबादला हाल में ही छपार पुलिस थाने हुआ है. जिसके बाद ये केस उन्हें सौंपा गया है. शर्मा के मुताबिक वो इस मामले की शुरुआत से जांच कर रहे हैं. उन्होंने बताया, मैंने लड़की के हाथ पर लिखे मिले सुसाइड नोट को उसकी असली लिखावट से मैच करवाने के लिए आगरा दोबारा जांच शुरू करवाई है.

शर्मा दिप्रिंट को बताते हैं, ‘मुझे ये केस संदेहास्पद लग रहा था क्योंकि कोई भी अपने पति के दूसरे संबंध बर्दाशत नहीं कर सकती है. अगर ये यकीन भी करें कि लड़की के मामा ने बलात्कार किया है तो ये कैसे यकीन करें कि मामी ने दरवाजा बंद करके ये सब करवाया.’ एसएचओ के मुताबिक लड़की के परिवार का रिकॉर्ड पैसे लेकर मामले निपटाने का रहा है.

लेकिन एसएचओ की बात पर आपत्ति जताते हुए सुभाष कहते हैं कि पूरा गांव उनके ‘खिलाफ’ हो गया है. आरोपी परिवारों ने हम पर दबाव बनाकर कागजों पर साइन कराने की कोशिशें भी की हैं ताकि ये केस वापस लिया जा सके. मेरी एक बेटी शादी लायक है. उसकी भी शादी करनी है. अगर हम केस वापस लेते हैं तो ये मेरी मरी हुई बेटी के साथ अन्याय होगा. इसलिए इस मामले में पुलिस द्वारा कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं होने पर मैंने सहारनपुर के डीआईजी को पत्र लिखकर कहा था कि मैं आत्महत्या कर लूंगा.

लेकिन पुलिस के मुताबिक पीड़ित परिवार ये सब पुलिस को ब्लैकमेल करने के लिए कर रहा है क्योंकि परिवार के खिलाफ पूरा गांव है.

इससे पहले साल 2015 में भी गांव के ही तीन लड़कों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. उस दौरान पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज हुआ लेकिन आरोपी जमानत पर बाहर आ गए. लगातार मिल रहे तानों से तंग आकर उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया. पीड़िता के पिता अफसोस जताते हुए कहते हैं कि पैसे की कमी और संसाधन के बिना वो केस को आगे तक नहीं ले जा पाए. कई बार पेशी पर नहीं जा सके. इसलिए उनका केस कमजोर होता गया.

उसके बाद पीड़िता के सगे मामा ने भी इस स्थिति का फायदा उठाकर उसके साथ बलात्कार किया था. छपार पुलिस ने पीड़िता की आत्महत्या के बाद धारा 306 के तहत चार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था. तत्कालीन एसएचओ एच एन सिंह ने भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाकर परिवार के चरित्र पर शक जाहिर किया था.

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