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Friday, 26 April, 2024
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रविदास मंदिर मामले को लेकर तुगलकाबाद में मुसलमानों ने लगाया नारा- ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’

रविवार को हुए प्रदर्शन में वैसा हुजूम नहीं था जैसा चंद्रशेखर के नेतृत्व वाले 22 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान था. इसमें भीम आर्मी के झंडे-बैनर तो थे लेकिन उनके लोग ग़ायब थे.

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नई दिल्ली : देश की राजधानी में रविवार को एक आनोखा प्रदर्शन देखने को मिला. दिल्ली के तुगलकाबाद में इकट्ठा हुए मुस्लिम समाज के लोग ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगा रहे थे. ये प्रदर्शन तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर गिराए जाने के ख़िलाफ़ था. प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि मंदिर वहीं बनाया जाए जहां पहले था. साथ ही प्रदर्शनकारी भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर की रिहाई की भी मांग कर रहे थे.

दरअसल, दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को पिछले महीने की 10 तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिरा दिया गया था. मंदिर उसी जगह पर बनाए जाने को लेकर 22 अगस्त को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके साथ प्रदर्शन में शामिल अन्य 94 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था.


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रविवार के प्रदर्शन में शामिल मुस्लिम नेताओं ने भीम आर्मी के मुखिया आज़ाद समेत बाकियों की बिना शर्त रिहाई की मांग की. इस रैली में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज़ अरशद कासमी से लेकर लखनऊ स्थित तीली वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजलूल मनान जैसे लोग शामिल थे. फजलूल ने दिप्रिंट से कहा, ‘मंदिर के मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बरगलाया है. हम मंदिर वहीं बनाए जाने की मांग करते हैं.’

इस दौरान वहां मौजूद पुलिस ने माइक से घोषणा करते हुए कहा, ‘प्रदर्शन की इजाज़त नहीं है और किसी भी तरह का मार्च तो हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुलिस की इस घोषण के बाद वहां मौजूद लोगों ने अपने माइक से घोषणा करते हुए कहा कि वो जहां हैं वहीं शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई मार्च नहीं करेंगे. इसके बाद मंदिर फिर से बनाए जाने और चंद्रशेखर की रिहाई से जुड़े नारे लगते रहे.’

प्रदर्शन करने वालों की संख्या भले ही मुट्ठी भर भी ना रही हो, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया था.

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हालांकि, इस प्रदर्शन में वैसा हुजूम नहीं था जैसा चंद्रशेखर के नेतृत्व वाले 22 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान था. मुश्किल से मुट्ठी भर लोग भीम आर्मी के बैनर तले ये प्रदर्शन कर रहे थे और इसे दलित-मुस्लिम एकता बता रहे थे. इस प्रदर्शन में भीम आर्मी के झंडे-बैनर तो दिखे लेकिन उनके लोग ग़ायब थे. प्रदर्शन करने वालों की संख्या भले ही मुट्ठी भर भी न रही हो, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया था और जिस सड़क पर मंदिर का रास्ता था उसे बैरिकेडिंग से बंद कर दिया था.

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क्या है पूरा मामला

विवाद के केंद्र में नई दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित 15वीं सदी के महान संत रविदास का एक मंदिर है जिसे ढहा दिया गया था. ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर जहां स्थित था वहां संत रविदास तीन दिनों तक ठहरे थे. कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक तुगलकाबाद में मौजूद ये परिसर 12,350 स्क्वॉयर यार्ड का था जिसमें 20 कमरे और एक हॉल भी थे.


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संत रविदास जयंती समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया जिसके बाद मामला हाई कोर्ट में गया. समिति को 20 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट से भी इस पर निराशा हाथ लगी. इस साल 8 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया जिस पर सुप्रीम कोर्ट अंत तक कायम रहा.

डीडीए के मुताबिक मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया था.

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