बिजनौर: 18 वर्षीय सोनू उर्फ शाकिब और उसकी 16 वर्षीय पूर्व सहपाठी के बारे में कहा जा रहा कि वे 14 दिसंबर को बाहर घूमने के लिए निकले थे. उन्होंने एक पिज्जा शेयर किया और थोड़ा सॉफ्ट ड्रिंक पिया और फिर टहलने लगे, और यहीं से उनकी सारी परेशान शुरू हुई.
उनकी यह ‘आउटिंग’ पूरी होती इसके पहले ही एक दलित किसान की यह बेटी एक पुलिस स्टेशन में बैठी थी और सोनू कथित रूप से उसे प्यार का झांसा देकर धर्मांतरण का प्रयास करने के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंच चुका था.
दो किशोरों से संबद्ध यह प्रकरण उत्तर प्रदेश में एक माह पहले ही लागू अध्यादेश से जुड़ा ताजा विवादास्पद मामला है जिसके तहत राज्य में जबरन धर्मांतरण रोकने और इसके लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है. यह कदम तब उठाया गया था जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित दर्जनों भाजपा नेताओं ने हिंदू महिलाओं को इस्लाम धर्म ग्रहण कराने की कथित साजिश नाकाम करने के लिए इसकी जरूरत बताई थी.
सोनू के खिलाफ नाबालिग लड़की को शादी के लिए कथित तौर पर अपने साथ भाग जाने के लिए ‘फुसलाने’ और जबरन धर्मांतरण की कोशिश करने का मामला दर्ज किया गया है. यह एफआईआर कथित तौर पर लड़की के पिता की शिकायत पर दर्ज की गई है जो पश्चिमी यूपी के बरखेड़ा गांव निवासी एक किसान है.
हालांकि, इस मामले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि लड़की के पिता ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस ने खुद बोलकर यह शिकायत दर्ज कराई है और ‘इस पूरे मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर दिया है.’
उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि उनकी बेटी ने भागने की कोशिश की थी, जबकि लड़की ने जोर देकर कहा कि सोनू ने कभी उससे शादी या धर्मांतरण पर कोई चर्चा नहीं की थी.
कुछ अन्य मुद्दे भी हैं.
पुलिस का कहना है कि सोनू 18 साल का है, लेकिन उसके परिवार का दावा है कि वह नाबालिग है. परिवार ने लड़की के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि वह उसके धर्म के बारे में अनजान थी.
धर्मांतरण निरोधक कानून के अलावा पुलिस ने सोनू के खिलाफ अपहरण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधी अधिनियम (पोक्सो) की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया है.
दिप्रिंट द्वारा हासिल की गई पिता की शिकायत में किसी भी यौन हमले का जिक्र नहीं है, लेकिन पुलिस ने लड़की की उम्र का हवाला देकर सोनू के खिलाफ मामले में अपना बचाव करते हुए कहा कि इससे उसके इरादों का पता चलता है. उन्होंने इस आरोप का भी खंडन किया है कि पिता को बोल करके शिकायत दर्ज कराई थी.
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‘एक गलती’
‘गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण’ और ‘किसी लड़की का धर्म बदलने के एकमात्र इरादे से किए गए अंतर-धार्मिक विवाह’ को रोकने और अपराधियों को 10 साल तक की जेल के प्रावधान वाला उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 गत 29 नवंबर को लागू हुआ था.
यद्यपि सोनू के खिलाफ इस कानून को लागू किया गया है, लेकिन लड़की और उसके पिता का कहना है कि ऐसा करने का कोई आधार नहीं था.
लड़की के पिता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘मैंने उन्हें (पुलिस को) बताया कि वह उसके साथ बाहर घूमने गई थी और उसने गलती की है, लेकिन पुलिस और फिर मीडिया ने आकर इसे तिल का ताड़ बना दिया.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने पुलिस से कहा था कि मैं शिकायत नहीं करना चाहता, लेकिन उन्होंने मुझे डांट दिया और कहा कि बाद में वे भाग सकते हैं और मुझे अपनी बेटी के लिए ऐसा करना चाहिए. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कैसे होता है, इसलिए मैं तैयार हो गया.’
उनकी जिस शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसमें लिखा है, ‘सोनू मेरी लड़की…को शादी करने और धर्म परिवर्तन करने के इरादे से बहला फुसलाकर भगा के ले गया.’ लेकिन किसान ने कहा कि उसने पुलिस से ऐसा कभी नहीं कहा था.
लड़की के पिता ने कहा, ‘उसने जब कभी शादी या अपना धर्म बदलने की बात नहीं की, तो मैं अपनी शिकायत में ऐसा क्यों कहूंगा? लेकिन शायद उसका इरादा यही हो, मैं कुछ नहीं कह सकता. उसने सिर्फ अपने नाम के बारे में झूठ बोला था. मेरी बेटी को यह नहीं बताया कि वह मुस्लिम है, लेकिन उसने शादी या अपने धर्म को बदलने के इरादे का उल्लेख नहीं किया. मैंने यह नहीं लिखाया था.’
लड़की ने अपने पिता के दावे को ही दोहराते हुए कहा कि वह दोनों सिर्फ ‘घूमने’ गए थे और सोनू ने कभी उससे शादी करने या अपना धर्म बदलने के लिए नहीं कहा.
उसने कहा, ‘शादी जैसी कोई बात नहीं थी. हम कभी-कभी मिलते थे या फोन पर बात करते थे. उस रात भी मैं उससे मिलने के लिए बाहर गई थी. हम कहीं भागकर नहीं जा रहे थे.’
लड़की ने बताया कि उसने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने भी यही बयान दिया, और स्पष्ट किया कहा कि सोनू ने उस पर कभी शादी या धर्मांतरण का दबाव नहीं डाला.
पिता की शिकायत में किसी भी यौन हमले या अपहरण की कोशिश का उल्लेख नहीं है. हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि अपहरण की धाराएं और पॉक्सो तो लड़की के नाबालिग होने के कारण ‘स्वत: लागू’ होते हैं.
धामपुर के क्षेत्राधिकारी अजय कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘अगर वह स्वेच्छा से भी उसके साथ गई थी तो भी नाबालिग होने के कारण उसे अपहरण माना जाएगा. ऐसे मामलों में हम मानते हैं कि संबंधित व्यक्ति अपराध के इरादे से ही नाबालिग को साथ ले गया होगा और इसीलिए इन धाराओं को लागू किया गया. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लड़की क्या कहती है.’
उन्होंने कहा, ‘कारण जो भी रहा हो लेकिन यह तथ्य कि सोनू एक नाबालिग को उसके घर से लेकर गया था, हमारे लिए मामले को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है.’
पुलिस ने उन आरोपों से भी इनकार किया है कि उन्होंने पिता को ऐसी शिकायत दर्ज कराने के लिए मजबूर किया था.
धामपुर पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस कैसे किसी को शिकायत दर्ज कराने के लिए बाध्य कर सकती है? यह निराधार है. उसने हमारे पास आकर यह शिकायत दी थी. पहले वह शिकायत दर्ज कराने से हिचक रहा था क्योंकि उसे अपनी लड़की की सुरक्षा का खतरा सता रहा था. एक बार जब हमने उसे आश्वस्त किया कि वह सुरक्षित रहेगी, तब उसने शिकायत दर्ज कराई.’
थोड़ी चहलकदमी और पीछा करना
अन्य बातों के अलावा, एफआईआर में लिखा गया है कि 14 दिसंबर की रात तो लड़की किसी तरह सोनू से ‘बचकर’ घर आ गई. लेकिन उसके पिता के साथ उन गांव वालों ने भी इस दावे को गलत करार दिया जिन्होंने सबसे पहले नसीरपुर में रात में दोनों के एक साथ देखकर उन्हें पकड़ा था.
14 दिसंबर को रात के 11 बजे थे, जब लड़की सोनू से मिलने के लिए अपने घर से निकली और दोनों सोनू द्वारा लाया गया पिज्जा खाने के लिए टहलते हुए नसीरपुर गांव पहुंचे. लड़की ने कहा, ‘वह पिज्जा लेकर आया था और हम नसीरपुर गांव (अपने घर से 4 किमी) चले गए.’
हालांकि, ये किशोर उस समय मुसीबत में पड़ गए जब गांव के कुछ स्थानीय निवासियों ने उन्हें वहां साथ टहलते देखा.
नसीरपुर के प्रधान मनोज कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे आधी रात को गांव में घूम रहे थे. किसी ने उन्हें एक मंदिर के पास भोजन करते हुए भी देखा. जब गांव के कुछ लड़कों ने उन्हें रोकने और सवाल पूछने की कोशिश की, तो लड़की एक दिशा में और लड़का दूसरी दिशा में चला गया. लड़कों ने तब और लोगों को बुलाया और उन दोनों का पीछा करना शुरू कर दिया.’
उन्होंने कहा, ‘वे पिछले एक सप्ताह से इस गांव में आ रहे थे, लेकिन उस दिन पकड़े गए.’
प्रधान के अनुसार, स्थानीय निवासियों ने लड़की को पकड़ने के बाद उससे सोनू और उसके पिता को फोन कराया.
उन्होंने कहा, ‘हमने उसे सोनू से यह कहने को कहा कि वह जहां भी छिपा है, बाहर आ जाए और लड़की से अपने पिता को भी बुलाने को कहा. फिर दोनों को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे.’
जब पिता ने उससे पूछा कि क्या वह जानती है कि सोनू मुस्लिम है, तो उसने कहा कि वह नहीं जानती थी.
लड़की ने दिप्रिंट को बताया कि सोनू कक्षा 4 तक उसका सहपाठी था. उसने दावा किया कि वह दो महीने पहले सोनू से फिर से मिली थी और दोनों ने बातचीत करनी शुरू कर दी, लेकिन उसने यह नहीं बताया था कि वह मुस्लिम है.
लड़की ने कहा, ‘मुझे नहीं पता था कि वह मुस्लिम था. उस दिन जब हम बात कर रहे थे, मैंने उससे कहा कि मुझे मुसलमान पसंद नहीं हैं. तभी उसने मुझे अपना नाम शाकिब बताया था. मैंने तब उससे कहा कि मैं अब उसके साथ नहीं रहना चाहती. अगर वह हिंदू होता तो कोई दिक्कत नहीं थी.’
हालांकि, मनोज कुमार ने कहा कि लड़की को सोनू की असली पहचान के बारे में पता था.
उन्होंने कहा, ‘सोनू और लड़की आसपास के गांवों में केवल 1.5 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं और उसे उसकी पहचान के बारे में पता था. किरारखेड़ी (जहां सोनू रहता है) एक मुस्लिम आबादी वाला गांव है, वह जानती थी कि सोनू शाकिब है.’
‘आरोपित’
किरारखेड़ी में काफी परेशान हाल सोनू के परिवार का दावा है कि उनके बेटे को फंसाया गया क्योंकि ‘वह मुस्लिम है.’ उनकी मां संजीदा ने कहा कि वह नाबालिग है, जिसका जन्म 2003 में हुआ था, लेकिन कहा कि उनके पास जन्मतिथि साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘मेरा बच्चा सिर्फ 17 साल का है. सिर्फ इसलिए कि दो किशोरों के बीच बातचीत हो रही थी, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है.’
सोनू की भाभी सबीना ने कहा कि लड़की सोनू से मिलने के लिए मुस्लिम गांव किरारखेड़ी आई थी और उसे उसकी पहचान के बारे में पता था. सबीना ने कहा कि लड़की ने दबाव में अपना बयान बदल दिया है.
सबीना ने कहा, ‘वह लड़की उससे मिलने के लिए इस गांव आ चुकी है और ऐसी कोई वजह नहीं कि उसे यह पता न हो कि वह मुस्लिम है. इसके अलावा, वह तो एक अन्य दोस्त के साथ वहां सिर्फ उससे मिलने गया था. वे कहीं भाग नहीं रहे थे. क्या किसी हिंदू लड़की से मिलना भी अब एक अपराध है?’
सबीना ने आगे कहा, ‘वह अक्सर उस लड़की के साथ फोन पर बात करता रहता था और मैंने उसे चेतावनी भी दी थी. एक बार वह लड़की उससे मिलने हमारे गांव आई थी और मैंने उसे छोड़ने के लिए कहा था. वह जानती थी कि शाकिब एक मुस्लिम है. इस गांव में कोई हिंदू नहीं रहता है. अब वह अपना बयान बदल रही है क्योंकि अपने माता-पिता से डर रही है.’
संजीदा के मुताबिक, सोनू जालंधर में राजमिस्त्री का काम करता था और लॉकडाउन के दौरान किरारखेड़ी स्थित अपने घर लौट आया था. उन्होंने कहा, ‘उसे सलाखों के पीछे डाल दिया गया है क्योंकि वह मुस्लिम है और यही उसकी गलती है.’ साथ ही कहा कि वह अपने परिवार के लिए कमाने वाला एकमात्र सदस्य था. उसने यह कहते हुए बेबसी जताई कि उसके पास तो सोनू के लिए वकील करने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं हैं.
किरारखेड़ी के प्रधान इस्माइल ने कहा कि वे सोनू के दस्तावेज जुटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि साबित हो सके कि वह नाबालिग है.
इस्माइल ने आगे कहा, ‘यह दो बच्चों द्वारा अपने माता-पिता की जानकारी के बिना आपस में मिलने की गलती का नतीजा है. लेकिन क्या किसी 17 वर्षीय किशोर को इस तरह हत्या और बलात्कार जैसे मामलों की सजा काट रहे अपराधियों के साथ सलाखों के पीछे डाला जाना ठीक है?’
इस्माइल ने कहा, ‘यह मामला ग्राम प्रधानों के हस्तक्षेप से सुलझाया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने जोर देकर कहा कि यह एक केस है और अब सोनू जेल में है.’
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