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Monday, 7 October, 2024
होमदेशदिल्ली जितनी मुंबई की हवा भी प्रदूषित- ‘सड़क पर बढ़ते वाहन, नए निर्माण और हवा की गति है वजह’

दिल्ली जितनी मुंबई की हवा भी प्रदूषित- ‘सड़क पर बढ़ते वाहन, नए निर्माण और हवा की गति है वजह’

मुंबई के डॉक्टरों का कहना है कि इस बार सर्दी में उनके पास पुरानी खांसी के ज्यादा मामले आ रहे हैं. अगर मौसम का पूर्वानुमान और अन्य स्थितियां बनी रहीं, तो मुंबई वालों को पूरी जनवरी खराब एक्यूआई का सामना करना पड़ सकता है.

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मुंबई: पिछले पांच सालों से मुंबई के पूर्वी उपनगर देवनार में रह रहे प्रकाश चव्हाण अपनी सूखी खांसी से बेहद परेशान हैं. उनके मुताबिक इस बार सर्दी में शहर में धुंध सामान्य से कहीं ज्यादा है. चव्हाण ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुझे लंबे समय से सूखी खांसी ने परेशान किया हुआ है. लगभग दो सप्ताह हो गए हैं, डॉक्टर को भी दिखाया लेकिन आराम नहीं मिल है. यह काफी असामान्य है.’

उधर डॉक्टरों का भी दावा है कि इस सर्दी में पुरानी खांसी की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है. मुंबई के जनरल फिजिशयन डॉ दीपक बैद ने बताया, ‘हम आमतौर पर सर्दियों के दौरान लगभग 5 प्रतिशत पुरानी खांसी के मरीजों को देखते थे, लेकिन इस बार क्लिनिक में 20 प्रतिशत तक मामले पुरानी खांसी से जुड़े हुए आ रहे हैं. और यह खांसी लंबे समय तक बनी रहती है.’

देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में हवा की गुणवत्ता का स्तर दिसंबर के अधिकांश दिनों में ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गया. और यह सिलसिला नए साल में भी लगातार बना हुआ है.

दिसंबर के मध्य में तो एक सप्ताह के लिए मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दिल्ली से भी खराब था.

शहर की प्रसिद्ध तट रेखा ने हमेशा मुंबई को प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद की है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण गतिविधियों (मेट्रो, सड़क निर्माण, भवन) को फिर से शुरू करने, हवा की गति में बदलाव और अन्य कारणों के साथ-साथ गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से इस बार सर्दी के मौसम में शहर के ज्यादातर हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है.

प्रमुख भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसी सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक डॉ. गुफरान बेग ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है. सर्दियों के महीनों के दौरान मुंबई में आमतौर पर ‘मध्यम’ से ‘खराब’ एक्यूआई देखा जा सकता है.

उन्होंने बताया कि लेकिन यह पहली बार है जब शहर ने ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ AQI की लंबी अवधि देखी है. SAFAR ने छह साल पहले वायु की गुणवत्ता को ट्रैक करना शुरू किया था.

फिलहाल बेंगलुरु में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (NIAS) में प्रोफेसर डॉ बेग ने कहा, ‘इस बार यह सूचकांक एक पायदान ऊपर चला गया है. काफी दिनों से यह (AQI)  लगातार बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है.’

वायु प्रदूषण को पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) यानी हवा में मौजूद महीन कणों के रूप में मापा जाता है. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’,  51-100 को ‘संतोषजनक’, 200-300 को ‘खराब’, 300-400 को ‘बहुत खराब’ और 400-500 को ‘गंभीर’ माना जाता है.

गुरुवार (5 जनवरी) की शाम तक मुंबई का एक्यूआई 306 (पीएम 2.5) था, जो दिल्ली के 320 एक्यूआई से ज्यादा कम नहीं था. यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. ऐसे में लंबे समय तक बाहर रहने और भारी काम करने से बचने की सलाह दी जाती है ताकि सेहत दुरुस्त बनी रहे.

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘दो साल के कोविड गैप के बाद, बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट सहित निर्माण गतिविधियां पूरे जोरों पर हैं. इसके अलावा हवा की गति में कमी,  जमीन और हवा के बीच धूल के कणों का फंसना, मुंबई में प्रदूषण में अभूतपूर्व वृद्धि का कारण बन रहा है.’

अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग भी मौसम के मिजाज में बदलाव का कारण बना है.

डॉ बैद के अनुसार, ‘मुंबई में डॉक्टरों को शुरू में संदेह था कि एक नए कोविड-19 वैरिएंट ने इस सर्दी में पुरानी खांसी के मामलों की संख्या में वृद्धि की होगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं निकला. संभव है कि यह कोई अन्य वायरस है और ज्यादातर मामले बढ़ते प्रदूषण से जुड़े है.’

दिप्रिंट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पर्यावरण प्रकोष्ठ के डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर अतुल पाटिल से संपर्क किया था. लेकिन  उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बीएमसी के उप स्वास्थ्य कार्यकारी अधिकारी ने भी फोन नहीं उठाया.


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‘कमजोर लोग ज्यादा प्रभावित’

फैयाज शेख मुंबई के पूर्वी उपनगर गोवंडी में रहते हैं. यह इलाका देवनार डंपिंग ग्राउंड के अंदर आता है, जो कि एक सीमेंट मिक्सिंग यूनिट और एक बायोमेडिकल इंसीनरेटर प्लांट है. फैयाज ने दावा किया कि शहर के इस हिस्से में रहने वाले लोग बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर का खामियाजा भुगत रहे हैं.

गोवंडी न्यू संगम वेलफेयर सोसाइटी चलाने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता शेख ने अपनी छत पर एक एयर मॉनिटरिंग डिवाइस स्थापित किया हुआ है. उन्होंने बताया कि इससे मिले आंकड़ों से पता चलता है कि गोवंडी में वायु गुणवत्ता का स्तर पिछले कुछ हफ्तों में ‘बहुत खराब-अस्वस्थ श्रेणी’ में रहा है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, मुख्यमंत्री, एमपीसीबी, बीएमसी और सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) को लिखा है. लेकिन मुझे अभी भी जवाब का इंतजार है. शहर का यह हिस्सा शहर के बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा खराब हवा का सामना करता है.’

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान 2022 को शुरू किया था. इसके मुताबिक, मुंबई में कुल उत्सर्जन में ठोस अपशिष्ट का हिस्सा 8 प्रतिशत है, जबकि वाहनों का उत्सर्जन 20 प्रतिशत है. रिपोर्ट में वार्ड-वार विश्लेषण से पता चलता है कि एम-ईस्ट वार्ड में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर है, जहां मानखुर्द, गोवंडी और देवनार जैसे क्षेत्र स्थित हैं.

पिछले साल मार्च में जारी रिपोर्ट में लिखा था, ‘बढ़ते यातायात की भीड़, अनियमित निर्माण गतिविधियों और कुप्रबंधित ठोस कचरे के कारण शहर में वायु प्रदूषण के स्तर से वृद्धि हुई है. इससे कमजोर और बीमार लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ने का रिस्क बढ़ गया है.’

हर दिन मुंबई लगभग 7,000-7,500 मीट्रिक टन ठोस कचरा उत्पन्न करता है जो बाद में लैंडफिल के लिए अपना रास्ता बनाता है. इन लैंडफिल से निकलने वाला जहरीला धुआं 5-10 किमी के दायरे में संभावित रूप से खतरनाक हो सकता है.

मुंबई में पूरी जनवरी खराब एक्यूआई बने रहने की संभावना

कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी इस सर्दी में हवा के पैटर्न में बदलाव की ओर इशारा किया है, जो वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकता है.

डॉ बेग ने बताया कि मुंबई में तटीय हवाओं के चलते वायु प्रदूषण ज्यादा समय तक टिका नहीं रह पाता है. उन्होंने कहा, ‘हर तीन से चार दिनों में हवा का रुख उलट जाता है. और यह स्वच्छ हवा जमीन से सभी प्रदूषकों को बहा ले जाती है. हालांकि, ला नीना का यह लगातार तीसरा साल है जहां ये स्थितियां हवा की दिशा और गति को बदल सकती हैं. हमने देखा है कि सतही हवा धीमी हो गई है और यह असामान्य है.’

पहले उद्धृत एमपीसीबी के अधिकारी ने आगे बताया कि ग्लोबल वार्मिंग और बदलते तापमान ने इन स्थितियों में इजाफा किया है. ‘आम तौर पर एक तटीय शहर के लिए, हवा की गति 12-13 किमी प्रति घंटे होती है, जो एयर पोल्यूटेंट और कण पदार्थ को फैलाने में मदद करती है. लेकिन इस बार की सर्दी में बदलते मौसम के मिजाज और हवा की गति 4-5 किमी प्रति घंटे से कम होने के कारण प्रदूषक (पोल्यूटेंट) फंस गए हैं.’

कैसे निर्माण गतिविधियों से उत्सर्जन और रिजल्टंट डस्ट वातावरण में बनी हुई है? डॉ. बेग ने कहा कि यह विंड रिवर्सल साइकिल के बीच लगभग 10 दिनों के अंतराल की वजह से ऐसा हुआ है. भले ही पहले निर्माण गतिविधियों के मानदंडों का पालन नहीं किया गया हो, लेकिन हवा पोल्यूटेंट को दूर बहा ले जाती थी. मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ है. विंड रिवर्सल नहीं हो पाया है और हवा की गति बहुत शांत है.’

मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में इस बार असामान्य रूप से गर्म दिसंबर देखा गया है. अगर मौसम का पूर्वानुमान सही रहता है, तो मुंबई के लोगों को पूरी जनवरी खराब वायु गुणवत्ता के स्तर का सामना करना पड़ सकता है. 17 दिसंबर को मुंबई में पारा 35.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था और अगले दो दिनों तक 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना रहा. पूरे भारत में किसी भी शहर में दर्ज किया गया यह दिन का उच्चतम तापमान था.

एमपीसीबी अधिकारी ने कहा कि सरकार को इस प्रदूषण को आगे बढ़ने से रोकने के लिए समाधान के साथ आने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘चाहे वह ऑड-ईवन नियम हो या कुछ और. सभी उपायों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या | संपादन ऋषभ: राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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