नई दिल्ली: ठीक हो गए मरीज़ों के एमआरआई स्कैन्स की एक स्टडी से पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण मस्तिष्क को लंबे समय तक नुक़सान पहुंचा सकता है.
मेडिकल पत्रिका दि लांसेट में छपी स्टडी के अनुसार रिकवरी स्टेज में, ’55 प्रतिशत कोविड-19 मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखे गए.’ ये लक्षण तीन महीने बाद आगे के विज़िट्स के दौरान नोट किए गए.
सेरीब्रल माइक्रो-स्ट्रक्चरल चेंजेज़ इन कोविड-19 पेशेंट्स-एन एमआरआई बेस्ड 3 मंथ फॉलो-अप नाम की स्टडी में 60 कोविड-19 मरीज़ों के मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआईआर) स्कैन्स की स्टडी की गई.
एमआरआई स्कैन्स में ताक़तवर मैग्नेटिक फील्ड्स और रेडियो तरंगों की मदद से, शरीर के अंदर के विस्तृत चित्र लिए जाते हैं.
कोविड-19 मरीज़ों के सर के एमआरआईज़ की, ऐसे मरीज़ों से तुलना करके, जो वायरस से संक्रमित नहीं थे. रिसर्चर्स को ठीक हो गए मरीज़ों में सूंघने और स्मरण शक्ति ग़ायब होने से जुड़े संरचनात्मक परिवर्तन दिखाई दिए.
3 अगस्त को छपी इस स्टडी में कहा गया है, ‘हमारे नतीजों से पता चला कि कोविड-19 की रिकवरी के चरणों में, सूक्ष्म संरचनात्मक और कार्यात्मक मस्तिष्क अखंडता में संभावित बाधाएं देखी गईं, जो सार्स-सीओवी-2 की न्यूरो-आक्रमण की क्षमता की ओर इशारा करती है.’
स्टडी को लिखने वाले 11 चीनी शोधकर्ताओं ने ये भी कहा, ‘मरीज़ निमोनिया की हालत से भले ही अच्छे से ठीक हो जाएं, लेकिन न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन फिर भी उनपर भारी बोझ डाल सकते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘…सार्स-सीओवी-2 के न्यूरो-आक्रमण की क्रियाविधि और रूट को लेकर, और अधिक शोध अपेक्षित है.’
कैसे की गई स्टडी
शोधकर्ताओं ने इस बात पर रोशनी डाली है, कि कैसे बहुत सारी स्टडीज़ द्वारा साबित, सार्स-सीओवी-2 के न्यूरो-आक्रमण को देखते हुए ये अनुमान लगाना मुमकिन है कि सार्स-सीओवी-2 सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर भी हमला कर सकता है.
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उन्होंने 2005 की एक स्टडी का हवाला दिया है, जिसमें पता चला था कि कुछ मरीज़ जिन्हें सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) था, उन्होंने अपनी बीमारी के दौरान सेंट्रल नर्वस लक्षण अनुभव किए थे.
ये देखने के लिए कि क्या ताज़ा संदर्भ में इसी तरह की स्थिति मौजूद है. रिसर्चर्स ने 60 कोविड-19 मरीज़ों के एमआरआई स्कैन्स लिए और उनकी तुलना उसी उम्र और लिंग के 39 ग़ैर-कोविड मरीज़ों से की.
उन्हें पता चला कि ठीक हो गए मरीज़ों में, बढ़े हुए ओलफैक्टरी कॉर्टिकेस, हिपोकैम्पाई, इंसुलास, हेशेल्स गायरस, रोलैण्डिक ओपरकुलम और सिंगुलेट गायरस की संभावना अधिक थी- ये सब इंसानी मस्तिष्क के हिस्से हैं.
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के कई मानदंडों, जैसे कि मीन डिफ्यूज़िविटी, एक्सियल डिफ्यूज़िविटी और रेडियल डिफ्यूज़िविटी के काम में, एक आम गिरावट भी दर्ज की. इनका इस्तेमाल मस्तिष्क की नसों के काम का आंकलन करने के लिए किया जाता है.
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