लखनऊ: अयोध्या जमीन विवाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मध्यस्थता समिति को इस विवाद का हल निकालने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया है. अयोध्या भूमि विवाद मामले में न्यायमूर्ति कलीफुल्ला, मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मध्यस्थता टीम को और समय दिए जाने की मांग की जिसके बाद सीजेआई ने इसकी तारीख को बढ़ा दिया है.
सीजेआई रंजन गोगोई ने मामले की तारीख को बढ़ा कर 2 अगस्त कर दिया है. सीजेआई ने कहा कि ‘हम मध्यस्थता समिति से अनुरोध करते हैं कि वह 31 जुलाई तक कार्यवाही के परिणाम की सूचना दे.‘
अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित मध्यस्थता समिति को और समय दिया जाना चाहिए जिससे सभी पक्षों के हितों पर विचार किया जा सके. अंसारी की इस मांग को मानते हुए सीजेआई से तारीख को बढ़ा दिया है. अंसारी ने यह बयान ऐसे समय में आया जब दशकों पुराने मामले की शीघ्र सुनवाई और फैसले के लिए दायर याचिकाओं मद्देनजर शीर्ष अदालत के आदेश पर तीन सदस्यीय समिति गुरुवार को मामले की स्थिति रिपोर्ट पेश करने वाली है.
Ayodhya land dispute case: Justice Kalifulla, chairman of mediation committee submits report in Supreme court. CJI says, "We now fix the date of hearing on August 2nd. We request the mediation committee to inform the outcome of the proceedings as of July 31st." pic.twitter.com/fSdvCc47mr
— ANI (@ANI) July 18, 2019
विवादित भूमि के मुद्दई अंसारी ने कहा, ‘मैंने मध्यस्थता समिति बनाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया था और अगर समिति को और ज्यादा समय मिले तो इसका इसका समाधान निकल सकता है. शीर्ष अदालत या समिति जो भी निर्णय लेगी, मैं उसे स्वीकार करूंगा.’
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ मार्च को मध्यस्थों की एक समिति गठित की थी, जिसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफ.एम. खलीफुल्ला हैं.
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि मध्यस्थता फैजाबाद में एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी और समिति अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में दाखिल करेगी.
समिति ने सात मई को सील बंद दस्तावेजों में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी जिसके बाद समिति के आग्रह पर सर्वोच्च न्यायालय ने उसे कोई मैत्रीपूर्ण समाधान निकालने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था.
इसके बाद 11 जुलाई को संविधान पीठ ने मध्यस्थता समिति से 18 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. अंसारी ने कहा कि चूंकि इसमें कई पक्ष हैं और समिति के सदस्यों को सबकी बात सुननी है इसलिए समिति को और ज्यादा समय मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे. उन्होंने कहा, ‘राजनीति के कारण ही इस मामले में देरी हुई जो अब तक सुलझ जाना चाहिए था.’
क्या कहा था 11 जुलाई की सुनवाई में
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 जुलाई को हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले पक्षों में से एक द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा था कि अयोध्या विवाद में अगर मध्यस्थता विफल हो जाती है, तो सर्वोच्च न्यायालय इस मामले पर प्रतिदिन सुनवाई शुरू कर सकता है. मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं होने की बात कहते हुए मामले को सूचीबद्ध करने के लिए गोपाल सिंह विशारद ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में अर्जी दी थी.
उनके वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस.नरसिम्हा ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया.
हिंदू दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने कहा कि यह विवाद पिछले 69 सालों से अटका पड़ा है और मामले को हल करने के लिए शुरू की गई मध्यस्थता का रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है.
बता दें कि अभी तक अयोध्या मंदिर मामले में11 संयुक्त सत्र आयोजित किए जा चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. यह विवाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाना मुश्किल है.’
वहीं मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह आवेदन मध्यस्थता की प्रक्रिया को खत्म करने का एक प्रयास है और अयोध्या विवाद को हल करने के लिए गठित मध्यस्थों की समिति की कार्यप्रणाली की हिंदू पक्षकारों की आलोचना उचित नहीं है.