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Friday, 22 November, 2024
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छत्तीसगढ़ में 80% से अधिक कोरोना संक्रमित केस प्रवासी मजदूरों के, ग्रामीण इलाकों पर अब सरकार का फोकस

राज्य के अधिकारियों के अनुसार ऐसे करीब 50 हजार से भी ज्यादा प्रवासी श्रमिक हैं जिनकी वापसी की जानकारी सरकार द्वारा जुटाई जा रही है.

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रायपुर: कोरोना संक्रमण से आमतौर पर सुरक्षित समझे जा रहे छत्तीसगढ़ में कोविड-19 ने ग्रामीण क्षेत्रों में पैर पसारना शुरू कर दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में पाए गए 214 कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों में 80 प्रतिशत से अधिक करीब 170 प्रवासी श्रमिक या फिर उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति हैं.

स्वास्थ्य विभाग और राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, कोविड-19, के अधिकारियों के अनुसार वर्तमान में 150 एक्टिव कोविड-19 मरीजों में करीब 135 अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक हैं जिनका इलाज रायपुर के एम्स और प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में चल रहा है. ये सभी प्रवासी श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले हैं.

कोरोना से बचाव अभियान में तैनात अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में अब जो पॉजिटव केस मिल रहे हैं वो तकरीबन प्रवासी मजदूर हैं. ये मजदूर ज्यादार रेड जोन वाले राज्यों से लौटे हैं. यही कारण है कि राज्य का पूरा स्वास्थ्य विभाग अब कोरोना की लड़ाई में ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ फोकस कर रहा है.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें राज्य के प्रवासी श्रमिकों की वापसी से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति के बारे में अंदेशा था. यही कारण है कि हमने स्थिति से निपटने की तैयारी भी उसी स्तर से की है. सभी पंचायतों में क्वारेंटाइन सेंटर स्थापित किये गए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की चुनौती का सामना करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ग्रामीण स्तर पर एक मिशनरी अभियान के तहत काम कर रहे हैं.’

रायपुर शहरी क्षेत्र जिसे पहले कोरोना संक्रमित रेड जोन में रखा गया था अब राज्य सरकार द्वारा 22 मई को जारी नई सूची में इसे ऑरेंज जोन कर दिया गया है.
नई सूची के अनुसार 22 मई से पहले प्रदेश में सिर्फ दो रेड जोन क्षेत्र थे- रायपुर शहरी और कोरबा. लेकिन इसके बाद कोरबा के साथ डौंडीलोहारा ब्लॉक जिला बालोद, तखतपुर और मस्तूरी ब्लॉक जिला बिलासपुर को भी रेड जोन में शामिल कर लिया गया है.

50 हजार से अधिक मजदूरों की जानकारी जुटाई जा रही है

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि उनकी कोरोना विरोधी लड़ाई अभी नियंत्रण में है लेकिन उन्हें खतरा उन मजदूरों से ज्यादा दिख रहा है जिनके वापसी का सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं है. ये वे श्रमिक हैं जो सरकार द्वारा प्रायोजित ट्रेनों से न आकर या तो पैदल ही चल पड़े थे या फिर रास्ते में लिफ्ट लेकर ऐसे रास्तों से वापस लौटे हैं, जिसके कारण अधिकारियों को उनकी जानकारी नहीं मिल पाई है.

अधिकारियों के अनुसार ऐसे करीब 50 हजार से भी ज्यादा श्रमिक हैं जिनकी वापसी की जानकारी जुटाई जा रही है.


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स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर और राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर कोविड-19 के डाटा प्रभारी डॉक्टर अखिलेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया कि यद्यपि राज्य में कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ रही है लेकिन स्थिति अभी नियंत्रण में है क्योंकि मरीजों की हिस्ट्री सरकार के पास है.

त्रिपाठी कहते हैं, ‘अभी थोड़ा सा हम अपने आपको बेहतर स्थिति में इसलिए मान रहे हैं क्योंकि वर्तमान में जो पॉजिटिव केस मिल रहे हैं वे या तो माइग्रेंट श्रमिक हैं या फिर वो हैं जो उनके संपर्क में आए हैं. हमें यह पता है की संक्रमण का स्रोत कहां हैं. लेकिन फिर भी स्थिति गंभीर है क्योंकि कुल 2.30 लाख संभावित प्रवासी मजदूरों को वापस आना है और अभी आधे ही आए हैं. वापस लौटे इन श्रमिकों में भी सैंपलिंग की तादात बहुत ही कम है. स्थिति को देखते हुए हम कह सकते हैं कि राज्य में कोरोना संक्रमित श्रमिकों की संख्या 1000 से ज्यादा हो सकती है.’

दस दिनों में बढ़े 50 गुना से ज्यादा एक्टिव केस

सरकार के आंकड़ों पर नज़र डाले तो यह साफ हो जाता है कि पिछले 10 दिनों के दौरान कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या में 50 गुना से भी ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार 13 मई को राज्य में कोविड-19 के कुल 3 एक्टिव केस थे जो 24 मई तक बढ़कर 150 हो गए. वहीं कुल पॉजिटिव पाए गए केस की संख्या तीन गुना बढ़कर 59 से 214 हो गई है. इस दौरान 64 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं.

स्थिति अलार्मिंग नहीं लेकिन तत्पर रहना जरूरी है

डॉक्टर त्रिपाठी ने आगे बताया कि वर्तमान में संक्रमित मरीजों के पूरे ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी होने की वजह से स्थिति नियंत्रण में है. इससे यह कहा जा सकता है कि कोरोना संक्रमण अभी कम्युनिटी स्तर पर नहीं आया है.

डॉक्टर त्रिपाठी कहते हैं, ‘राज्य सरकार के लिए स्थिति अलार्मिंग तब होगी जब संक्रमण के हिस्ट्री की जानकारी हमें नहीं रहेगी. ऐसे में यह पता लगाना कठिन होगा कि संक्रमण का श्रोत क्या है और यह किस दिशा में जाएगा और ये कोरोना की रोकथाम के लिए हमारे किसी भी फार्मूले की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है.’


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उनके अनुसार, ‘यही कारण है की उन श्रमिकों की ट्रैवेल हिस्ट्री की जानकारी एकत्रित की जा रही है जिसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है. पूरे प्रदेश में स्वास्थ्यकर्मी गांवों में घर-घर जाकर ऐसे श्रमिकों का पता लगा रहें हैं.’

बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों की लॉकडाउन के दौरान बड़ी तादाद में वापसी को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 17 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 67 कैंटेनमेंट जोन बनाए हैं. ये 17 वही जिले हैं जहां कोरोना पॉजिटिव श्रमिकों की संख्या अधिक है. इन कैंटेनमेंट जोन में स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घरों में जाकर वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों की खोज की जा रही है.

प्रदेश में पंचायत स्तर पर करीब 18,730 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जहां 1.5 लाख से भी ज्यादा प्रवासी श्रमिक रखे गए हैं.

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