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Friday, 10 May, 2024
होमदेशस्कूल में अधिक बच्चे, काम के लिए महिलाओं को कर्ज़ — गुजरात के ‘वेश्याओं के गांव’ से बदलाव की झलक

स्कूल में अधिक बच्चे, काम के लिए महिलाओं को कर्ज़ — गुजरात के ‘वेश्याओं के गांव’ से बदलाव की झलक

पीढ़ियों से पारंपरिक रूप से खानाबदोश जनजाति के इस गांव में महिलाओं को देह व्यापार में धकेला जाता रहा है, जबकि पुरुष दलालों के रूप में काम करते थे, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं की बदौलत धीरे-धीरे बदलाव की बयार उठने लगी है.

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बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले में वाडिया नामक एक अनोखा गांव है. यह गोपनीयता और अलगाव का स्थान है और आधुनिक प्रतीत होने वाले भारत के विपरीत, यह एक ऐसी जगह है जहां समय पूरी तरह से रुका हुआ दिखाई पड़ता है.

पीढ़ियों से खानाबदोश जनजाति, सरनियास महिलाओं को देह व्यापार में धकेल दिया गया है – जो आय का एकमात्र प्रमुख स्रोत है. व्यवस्थाओं की कमी के कारण अनपढ़ महिलाएं पूरी तरह से पुरुषों की दया पर हैं, जो ज्यादातर बेरोज़गार हैं और दलालों के रूप में काम करते हैं, लड़कियों को कभी-कभी 12 साल की उम्र में देह व्यापार में धकेला जाता है.

गांव का स्पष्ट अलगाव स्वयं को विभिन्न समस्याओं में प्रकट करता है—उनमें से प्रमुख यौन-संचारित बीमारियां जैसे एचआईवी, लगभग अपंग हो जाना और पानी की कमी से जूझना शामिल है.

बदलाव लाने और महिलाओं को देह व्यापार में प्रवेश करने से रोकने के लिए, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. इसके प्रतिकूल परिणाम के रूप में सात वर्ष की कम उम्र की लड़कियों को उनके रिश्तेदारों या आसपास के गांवों के लड़कों से मिलाने की व्यवस्था की जाती है.

लेकिन ज्यादातर सामाजिक कार्यकर्ताओं की वजह से धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. 2012 में उनके हस्तक्षेप के कारण गांव में आठ जोड़ों का विवाह हुआ उस समय गांव में पहली बार विवाह समारोह हुआ था. तब से गांव में हर साल 4-5 सामूहिक विवाह हो रहे हैं, जिससे महिलाएं देह व्यापार में प्रवेश करने से बचती हैं.

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यौनकर्मियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए कर्ज़ भी दिया जाता है.

इस बीच बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है: गांव का एकमात्र प्राथमिक विद्यालय प्रवेश द्वार पर एक जर्जर जैसी संरचना में 186 छात्र पढ़ते हैं. कुछ बच्चों को 45 मिनट की दूरी पर स्थित शहर थराड में छात्रावासों और आश्रय गृहों में रहने के लिए घरों को छोड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है.

दिप्रिंट के नेशनल फोटो एडिटर प्रवीण जैन और प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट बिस्मी तसकीन गुजरात के वाडिया गांव से कुछ इसी तरह की झलकियां लेकर आए हैं.

The parents of Tinkle and Sita got married in 2012. Living away from their parents at a shelter home run by an NGO, the girls want to study to become a doctor and police officer | Photo: Praveen Jain | ThePrint
टिंकल और सीता के माता-पिता की शादी 2012 में हुई थी. अपने माता-पिता से दूर एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृह में रहने वाली लड़कियां डॉक्टर और पुलिस अधिकारी बनने के लिए पढ़ाई करना चाहती हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Children of Vadiya School wave in the air. | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गुजरात के बनासकांठा जिले के वाडिया गांव के एक स्कूल में एक्टिविटिस में भाग लेते बच्चे | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

 

The primary school doesn't have a proper water system. Children here wave their water bottles. | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वाडिया गांव के एकमात्र प्राथमिक विद्यालय में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Enthusiastic kids of Vadiya at their school | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गांव के स्कूल में 186 बच्चे पढ़ते हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
The young girls of Vadiya, at their school, struggling to overcome their struggles through education | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वाडिया के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली युवा लड़कियों के लिए, सभी बाधाओं के बावजूद अपनी शिक्षा पूरी करना एक संघर्ष है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Classes being held in the school in Vadiya | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गांव के स्कूल में कक्षाएं चल रही हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
The only school in Vadiya has been broken down. Students study, as the reconstruction of the school is awaited | Photo: Praveen Jain | ThePrint
छात्र बनासकांठा जिले के वाडिया में गांव के स्कूल में एक अस्थायी शेड में पढ़ते हैं. प्राथमिक विद्यालय की मरम्मत का काम चल रहा है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Children of Vadiya Primary School leave for their homes | Photo: Praveen Jain | ThePrint
स्कूल खत्म हो गया और वाडिया गांव के स्कूल के छात्र घर के लिए जाते हुए | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Kids at the anganwadi in Vadiya | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गुजरात के बनासकांठा जिले के वाडिया गांव में आंगनबाड़ी के सामने तस्वीर खिंचवाते बच्चे | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Classes are held from 8 am to 12 pm from nursery to class 5 | Photo: Praveen Jain | ThePrint
छात्र वाडिया के स्कूल में पढ़ते हुए. स्कूल में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ते हैं. कक्षाएं सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक लगती हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Children's after studing going there home | Photo: Praveen Jain | ThePrint
छात्र गांव के स्कूल में कक्षाओं के बाद घर लौटते हुए | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Sonal, a sex worker hurries to go inside. Beside her is her mother, Suriya, a former sex worker who quit the trade due to kidney ailment | Photo: Praveen Jain | ThePrint
सेक्स वर्कर सोनल गेट बंद करने के लिए अंदर आती हैं. उनके साथ उनकी मां, सूर्या, एक पूर्व सेक्स वर्कर हैं, जिन्होंने गुर्दे की बीमारी के कारण व्यापार छोड़ दिया था | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
The women of Vadiya are grappling for a change | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गुजरात के बनासकांठा जिले के वाडिया गांव में परिवर्तन की रफ्तार बहुत धीमी है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Bhikki Behen lives a life of seclusion after she tested positive for HIV four years ago. Villagers including her own family have all isolated her and she now lives in a one room kuccha house, the sky from which is visible | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वाडिया में भिक्किबेन चार साल पहले एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद से एकांत का जीवन जीती हैं. अपने परिवार सहित पूरे गांव से दूर वे अपनी कुछ संपत्ति के साथ एक कमरे के कच्चे घर में रहती हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Men of this village have always controlled the sex trade and rely on women for income | Photo: Praveen Jain | ThePrint
महिलाएं इस गांव में प्राथमिक रोटी कमाने वाली हो सकती हैं लेकिन पुरुष ही उन्हें नियंत्रित करते हैं जो 12 साल की लड़कियों को देह व्यापार में धकेल देते हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Vadiya suffers from acute water shortage. Women spend hours everyday hunting for water | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वाडिया में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी ही एकमात्र समस्या नहीं है. गांव में पानी की भारी किल्लत है, जिससे महिलाओं को रोजाना घंटों पानी की तलाश में निकलना पड़ता है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Kanti Bhai and Kami Behen, who got married in 2012, have four daughters, the eldest one now studies in class 6 | Photo: Praveen Jain | ThePrint
कांतिभाई और कामिबेन की शादी 2012 में हुई थी – जो गांव की पहली शादियों में से एक थी. उनकी चार बेटियां हैं, जो सबसे बड़ी बेटी छठी कक्षा में पढ़ती है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Women of Vadiya have always been controlled by men, forced into sex trade | Photo: Praveen Jain | ThePrint
वाडिया गांव के पुरुष बेरोजगार हैं और दलालों के रूप में कार्य करते हैं, जो गांव की महिलाओं को देह व्यापार में धकेलते हैं | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

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