स्कूल में अधिक बच्चे, काम के लिए महिलाओं को कर्ज़ — गुजरात के ‘वेश्याओं के गांव’ से बदलाव की झलक
पीढ़ियों से पारंपरिक रूप से खानाबदोश जनजाति के इस गांव में महिलाओं को देह व्यापार में धकेला जाता रहा है, जबकि पुरुष दलालों के रूप में काम करते थे, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं की बदौलत धीरे-धीरे बदलाव की बयार उठने लगी है.
बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले में वाडिया नामक एक अनोखा गांव है. यह गोपनीयता और अलगाव का स्थान है और आधुनिक प्रतीत होने वाले भारत के विपरीत, यह एक ऐसी जगह है जहां समय पूरी तरह से रुका हुआ दिखाई पड़ता है.
पीढ़ियों से खानाबदोश जनजाति, सरनियास महिलाओं को देह व्यापार में धकेल दिया गया है – जो आय का एकमात्र प्रमुख स्रोत है. व्यवस्थाओं की कमी के कारण अनपढ़ महिलाएं पूरी तरह से पुरुषों की दया पर हैं, जो ज्यादातर बेरोज़गार हैं और दलालों के रूप में काम करते हैं, लड़कियों को कभी-कभी 12 साल की उम्र में देह व्यापार में धकेला जाता है.
गांव का स्पष्ट अलगाव स्वयं को विभिन्न समस्याओं में प्रकट करता है—उनमें से प्रमुख यौन-संचारित बीमारियां जैसे एचआईवी, लगभग अपंग हो जाना और पानी की कमी से जूझना शामिल है.
बदलाव लाने और महिलाओं को देह व्यापार में प्रवेश करने से रोकने के लिए, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. इसके प्रतिकूल परिणाम के रूप में सात वर्ष की कम उम्र की लड़कियों को उनके रिश्तेदारों या आसपास के गांवों के लड़कों से मिलाने की व्यवस्था की जाती है.
लेकिन ज्यादातर सामाजिक कार्यकर्ताओं की वजह से धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. 2012 में उनके हस्तक्षेप के कारण गांव में आठ जोड़ों का विवाह हुआ उस समय गांव में पहली बार विवाह समारोह हुआ था. तब से गांव में हर साल 4-5 सामूहिक विवाह हो रहे हैं, जिससे महिलाएं देह व्यापार में प्रवेश करने से बचती हैं.
यौनकर्मियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए कर्ज़ भी दिया जाता है.
इस बीच बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है: गांव का एकमात्र प्राथमिक विद्यालय प्रवेश द्वार पर एक जर्जर जैसी संरचना में 186 छात्र पढ़ते हैं. कुछ बच्चों को 45 मिनट की दूरी पर स्थित शहर थराड में छात्रावासों और आश्रय गृहों में रहने के लिए घरों को छोड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है.
दिप्रिंट के नेशनल फोटो एडिटर प्रवीण जैन और प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट बिस्मी तसकीन गुजरात के वाडिया गांव से कुछ इसी तरह की झलकियां लेकर आए हैं.