शिमला: इस साल के मानसून ने हिमाचल प्रदेश को हाल की स्मृति में अपनी सबसे बड़ी आपदाओं में से एक में धकेल दिया है. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार 20 जून से अब तक 310 लोगों की जान चली गई है, जबकि राजस्व मंत्री ने भारी बारिश और बाढ़ के कारण 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान बताया है.
इन मौतों में से 158 मौसम संबंधित घटनाओं के कारण हुईं, जैसे भूस्खलन, अचानक बाढ़, मेघवृष्टि, डूबना, बिजली गिरना और करंट लगना, जबकि 152 मौतें फिसलन भरी सड़कों, कम दृश्यता और भूस्खलन के मलबे के कारण हुए हादसों में हुईं.
पर्यटक शहर मनाली ने हाल की बारिश का सबसे अधिक असर झेला है, जहां होटल और घर बह गए और चंडीगढ़-लेह हाईवे कई जगहों पर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया.
सोमवार और मंगलवार को कुल्लु, मंडी, कांगड़ा के कुछ हिस्से, हमीरपुर, ऊना, शिमला और किन्नौर जिलों में रेड अलर्ट के बाद भारी तबाही हुई. कई जिलों में स्कूल, कॉलेज दोनों दिनों के लिए बंद रहे.
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को कांगड़ा, चंबा और लाहौल-स्पीति जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया, संवेदनशील इलाकों में बहुत तेज़ बारिश की चेतावनी जारी की गई, जबकि कुल्लु, मंडी, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन और शिमला के लिए ऑरेंज अलर्ट और अन्य क्षेत्रों के लिए यलो अलर्ट जारी किया.

कुल्लू-मनाली में लगातार बारिश के बाद ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से काफी तबाही हुई. मंगलवार की सुबह मनाली में एक मल्टी-स्टोरी होटल और चार दुकानें बह गईं. नदी का पानी आलू ग्राउंड में और भी फैल गया और मनाली-लेह हाईवे कई जगहों पर अवरुद्ध हो गया.
राष्ट्रीय राजमार्ग-3 का 3 किलोमीटर लंबा हिस्सा बह गया और डवारा के पास एक पैदल पुल नदी की तेज़ धार में समा गया. मंडी के बाली चौकी क्षेत्र में सोमवार देर रात लगभग 40 दुकानों वाले दो भवन गिर गए. हालांकि, समय रहते खाली कर दिए जाने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ. कुल्लू में आवासीय इलाकों में भी पानी घुस गया.
कुल्लू और मंडी के बीच थलोट के पास स्थिति विशेष रूप से गंभीर थी यहां ब्यास नदी कई जगहों पर एनएच-3 के ऊपर बह रही थी, जिससे पुनर्स्थापन प्रयास प्रभावहीन हो गए.
मीडिया से बात करते हुए कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर टोरुल एस. रविश ने कहा कि लगातार बारिश से राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है, कुल्लू में अकेले 130 सड़कें बंद हैं और पूरे राज्य में 900 से अधिक सड़कें अवरुद्ध हैं. इसके अलावा 956 पावर ट्रांसफार्मर और 517 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं और संख्या बढ़ने की संभावना है.

उन्होंने कहा, “लगातार बारिश के कारण हमारा राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है. जल स्तर बहुत अधिक है. मैं सभी से अनावश्यक यात्रा से बचने और सुरक्षित रहने का अनुरोध करता हूं. कुछ क्षेत्रों को कल खाली किया गया और कुछ क्षेत्रों को अभी खाली किया जा रहा है. हमारे सभी अधिकारी फील्ड में हैं.”
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने दिप्रिंट से कहा, “भारी बारिश, बाढ़ और संबंधित तबाही के कारण हिमाचल प्रदेश को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है और आकलन अभी भी जारी है.”
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह आपदा मोड में है, न कि आपदा प्रबंधन में. उन्होंने मीडिया से कहा, “हज़ारों पशु मरे हैं, घर ढह गए हैं और कई जिलों में संपर्क टूट गया है.” ठाकुर ने सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर स्थिति को संभालने में “असफल” रहने का आरोप लगाया.
आईएमडी ने हिमाचल के लिए अगले सोमवार तक लगातार बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है और सप्ताहांत में भारी बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. आईएमडी अधिकारी संदीप कुमार शर्मा के अनुसार, अगले 24 घंटे में और बारिश की संभावना है, जिससे और अधिक तबाही का खतरा बढ़ गया है.
भारी नुकसान
एसडीएमए के आंकड़े मानसून के भयानक प्रभाव को दिखाते हैं. मंडी में बारिश के कारण 29 लोगों की मौत हो गई, इसके बाद कांगड़ा (30), चंबा (14), किन्नौर (14) और कुल्लू में यह संख्या 13 है. भूस्खलन और अचानक बाढ़ में कम से कम 19 लोगों की जान गई, जबकि डूबने से 33 मौतें हुईं. बिजली गिरने और अन्य बारिश से जुड़ी घटनाओं में भी काफी लोगों की जान चली गई.
सड़क हादसे खासकर चंबा और मंडी में (प्रत्येक 22 मौतें), कांगड़ा (19), सोलन (16) और शिमला (15) में जानलेवा रहे, जबकि बिलासपुर (7), किन्नौर (14), कुल्लू (13) और अन्य जिलों में भी मौतें हुईं.
बुनियादी ढांचे और आजीविका को भारी नुकसान हुआ है. सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करोड़ों में आंका गया है. निजी संपत्ति का नुकसान भी व्यापक है, 324 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त, 396 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त और हज़ारों दुकानें, गोशालाएं और अन्य ढांचे प्रभावित हुए हैं. मानसून आपदा ने 1,846 से अधिक पशु और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की जान भी ले ली, जिससे ग्रामीण आजीविका पर गंभीर असर पड़ा.
पुनर्स्थापन का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है, लेकिन समय-समय पर हो रही भारी बारिश और लगातार भूस्खलन कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. विस्थापित परिवारों को भोजन, आश्रय और मेडिकल सहायता देने के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं, जबकि एसडीएमए लगातार जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से ज़्यादा से ज़्यादा सतर्क रहने की अपील कर रहा है.
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