मुम्बई : राज्य में चरम मानसून का मौसम होने के बावजूद महाराष्ट्र में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अधिकारियों के अनुसार, मौसम की स्थिति के कारण अगस्त में औसत वर्षा में लगभग 60 प्रतिशत की कमी हुई है.
महाराष्ट्र में मानसून सीज़न आम तौर पर जून में शुरू होता है और सितंबर में समाप्त होता है. जहां जून एक सूखा महीना था, वहीं जुलाई में अधिक बारिश हुई, लेकिन आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 25 दिनों में राज्य में 100 मिमी से कम बारिश दर्ज की गई है.
1 जून के बाद से राज्य में सीजन की लंबी अवधि के औसत (एलपीए) से 14 प्रतिशत कम बारिश हुई है. आईएमडी की वेबसाइट के अनुसार, वर्षा का एलपीए “किसी विशेष क्षेत्र में एक निश्चित अंतराल (जैसे महीने या मौसम) के लिए 30 साल, 50 साल आदि जैसी लंबी अवधि में दर्ज की गई औसत वर्षा है”. एलपीए किसी विशेष महीने या मौसम के लिए उस क्षेत्र की मात्रात्मक वर्षा का पूर्वानुमान लगाते समय एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है.
कम बारिश का मतलब है कि राज्य भर में जलाशयों में पानी का स्तर कम हो गया है और विभिन्न गांवों और बस्तियों में पानी की आपूर्ति किए जाने वाले टैंकरों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.
जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटिल ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्राथमिकता पीने का पानी होगी और हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं. मैंने विभिन्न जिला प्रमुखों के साथ बैठकें की हैं और स्थिति पर लगातार नजर रख रहा हूं.’
विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र में सूखा घोषित किया जाए. इस सप्ताह की शुरुआत में हिंगोली में एक रैली में, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधा: “हम सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकार सिर्फ ‘शासन अपल्या दारी’ (आपकी सरकार आपके द्वार) के बारे में झूठे वादे कर रही है. डबल ट्रिपल इंजन सरकार सिर्फ खोखली बातें कर रही है.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी सरकार पर तंज कसा: “क्या सरकार को थोड़ा सा भी एहसास है कि ‘उनके दरवाजे पर सूखा पड़ा’ है?”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में पाटिल ने मंगलवार को लिखा कि कोंकण क्षेत्र को छोड़कर राज्य के 18 जिलों में खरीफ की फसलें बर्बाद हो रही हैं और उनका गृह जिला सांगली सबसे ज्यादा प्रभावित है.
उन्होंने आगे लिखा कि किसान अपने पशुओं को बचाने को लेकर भी चिंतित हैं क्योंकि चारे की भारी कमी है.
सद्य:स्थितीत ३२९ महसुली मंडळात पावसाचा २३ दिवसांचा खंड पडल्याने दुष्काळाची छाया गडद झाली आहे. कोकण वगळता राज्यातील १८ जिल्ह्यातील खरीप वाया गेला आहे.
सर्वात कमी पावसाची नोंद सांगली जिल्ह्यात झाली आहे. सरासरीपेक्षा ४५ टक्के कमी पाऊस झाला आहे. राज्यातील बऱ्याचशा भागात दुष्काळजन्य…
— Jayant Patil- जयंत पाटील (@Jayant_R_Patil) August 29, 2023
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जलाशयों में पानी का स्तर गिरा, पानी में कटौती संभव
जल संसाधन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 28 अगस्त तक राज्य के जलाशय लगभग 84 प्रतिशत भरे हुए थे. इसकी तुलना में इस वर्ष यह स्तर 63 प्रतिशत था.
सबसे भयावह स्थिति औरंगाबाद क्षेत्र की है, जहां पिछले वर्ष के 75 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 31 प्रतिशत जल ही संग्रहित है. जयकवाड़ी बांध द्वारा निर्मित जलाशय – जो सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र को पानी की आपूर्ति करता है – में 28 अगस्त को केवल 30 प्रतिशत पानी शेष था, जबकि पिछले साल इसी दिन, जल स्तर 98 प्रतिशत था.
जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 28 अगस्त को समाप्त सप्ताह में राज्य के 363 गांवों और 1,403 बस्तियों में 48 सरकारी और 348 निजी टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही थी.
इनमें से अधिकांश की आपूर्ति नासिक डिवीजन को की जा रही है जिसमें अहमदनगर, पुणे डिवीजन जिसमें सतारा और सांगली और औरंगाबाद डिवीजन (औरंगाबाद और जालना) शामिल हैं.
वर्तमान में, महाराष्ट्र में 386 (338 निजी, 48 सरकारी) टैंकरों के माध्यम से 1,403 बस्तियों और 363 गांवों में पानी की आपूर्ति की जा रही है.
पिछले साल 28 अगस्त तक राज्य में सिर्फ 7 टैंकरों का इस्तेमाल हुआ था.
मंगलवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि फसलों की स्थिति अच्छी नहीं होना एक हकीकत है. “बारिश की कमी के कारण हमने स्थिति का जायजा लिया है लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही फिर से बारिश होगी.”
जल आपूर्ति मंत्री पाटिल ने कहा कि सरकार ने जिला प्रशासन को लंबे समय तक स्टॉक बचाने के लिए जहां भी संभव हो पानी में कटौती करने का निर्देश दिया है. “वर्तमान में राज्य में लगभग 400 पानी के टैंकर हैं. लेकिन हालात को देखते हुए आगे ये संख्या बढ़ सकती है. ” उन्होंने कहा कि, “हम देखेंगे कि अगले चार पांच दिनों तक यह कैसा रहता है.”
फसल का नुकसान
राज्य में कम बारिश के कारण फसल के नुकसान का भी खतरा मंडरा रहा है. कृषि मंत्री धनंजय मुंडे के अनुसार, मराठवाड़ा के आठ में से छह जिले सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं और सरकार फसलों और मवेशियों के चारे के लिए पानी की उपलब्धता का आकलन कर रही है.
उन्होंने शुक्रवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “मराठवाड़ा में केवल हिंगोली और नांदेड़ जिलों में अब तक औसत मौसमी वर्षा हुई है. 21 दिनों की बारिश का अंतर होने पर किसानों को 25 प्रतिशत फसल बीमा राशि देने का प्रावधान है. ”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने जिला कलेक्टरों को हर तालुका का दौरा करने और एक सप्ताह के भीतर फसल की स्थिति की रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है.”
(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)
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