नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. संघप्रमुख का ‘पंडित’ वाला बयान लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोग उनके इस बयान का स्वागत कर रहे हैं तो कुछ विरोध कर रहे हैं.
दरअसल मुंबई में बीते रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई, जाति ‘पंडितो’ की देन है.
संत रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘भगवान ने हमेशा सबको एक माना है. उन्होंने कोई जाति या वर्ण नहीं बनाया, जाति या वर्ण पंडितों की देन है जो गलत था.’
भागवत का बयान और आरएसएस की सफाई
संघ प्रमुख के बयान के बाद लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया जिसके बाद आरएसएस की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘संघ प्रमुख ने पंडित’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ ‘विद्वान’ होता है.’
सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूँ इसलिए रूप नाम कुछ भी हो लेकिन योग्यता एक है,मान सम्मान एक है,सबके बारे में अपनापन हैं।कोई भी ऊँचा नीचा नहीं है।शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान)लोग जो(जातिआधारीत ऊँच-नीच की बात)कहते हैं वह झूठ हैं-डॉ मोहनजी भागवत https://t.co/ZtbHY802kM
— Sunil Ambekar (@SunilAmbekarM) February 6, 2023
पहले भी चर्चा में रहा है संघ प्रमुख का बयान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कई बयान पहले भी चर्चा का विषय रहे हैं. साल 2013 में संघ प्रमुख ने कहा था कि महिलाओं को सिर्फ गृहिणी होना चाहिए. संघ प्रमुख ने कहा था, ‘एक परिवार में पुरुषों को कमाने वाला होना चाहिए जबकि महिलाओं को घर का काम देखना चाहिए.’
भागवत ने कहा था, ‘एक पति और पत्नी एक अनुबंध के साथ घर में रहे जिसमें पति का कर्तव्य पत्नी की देखभाल और उनकी सारी जरूरते पूरा करना हो.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘इसलिए, पति अनुबंध की शर्तों का पालन करता है. जब तक पत्नी अनुबंध का पालन करती है, तब तक पति उसके साथ रहता है, अगर पत्नी अनुबंध का उल्लंघन करती है, तो वह उसे छोड़ सकता है.’
मुस्लिमों पर बयान भी चर्चा में रहा
हाल ही में आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर को दिए एक साक्षात्कार में संघ प्रमुख ने कहा था कि भारत में मुस्लिमों को डरने की जरुरत नहीं है, लेकिन मुस्लिमों को अपने अंदर श्रेष्ठता का भाव छोड़ना होगा.
उन्होंने कहा था, ‘भारत में जो मुसलमान हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. वह अगर वर्तमान में रहना चाहते हैं तो रहें और अगर वह अपने पूर्वजों के पास आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.’
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