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Thursday, 14 November, 2024
होमदेशपंडितों पर भागवत के बयान को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी, पहले भी विवादों में रहे हैं संघप्रमुख

पंडितों पर भागवत के बयान को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी, पहले भी विवादों में रहे हैं संघप्रमुख

बीते रविवार को मुंबई में संत रविदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा था कि जाति व्यवस्था भगवान की नहीं पंडितों की देन है. उनके इस बयान के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. संघप्रमुख का ‘पंडित’ वाला बयान लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ लोग उनके इस बयान का स्वागत कर रहे हैं तो कुछ विरोध कर रहे हैं.

दरअसल मुंबई में बीते रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई, जाति ‘पंडितो’ की देन है.

संत रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘भगवान ने हमेशा सबको एक माना है. उन्होंने कोई जाति या वर्ण नहीं बनाया, जाति या वर्ण पंडितों की देन है जो गलत था.’

भागवत का बयान और आरएसएस की सफाई

संघ प्रमुख के बयान के बाद लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया जिसके बाद आरएसएस की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘संघ प्रमुख ने पंडित’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ ‘विद्वान’ होता है.’

पहले भी चर्चा में रहा है संघ प्रमुख का बयान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कई बयान पहले भी चर्चा का विषय रहे हैं. साल 2013 में संघ प्रमुख ने कहा था कि महिलाओं को सिर्फ गृहिणी होना चाहिए. संघ प्रमुख ने कहा था, ‘एक परिवार में पुरुषों को कमाने वाला होना चाहिए जबकि महिलाओं को घर का काम देखना चाहिए.’

भागवत ने कहा था, ‘एक पति और पत्नी एक अनुबंध के साथ घर में रहे जिसमें पति का कर्तव्य पत्नी की देखभाल और उनकी सारी जरूरते पूरा करना हो.’

उन्होंने आगे कहा था, ‘इसलिए, पति अनुबंध की शर्तों का पालन करता है. जब तक पत्नी अनुबंध का पालन करती है, तब तक पति उसके साथ रहता है, अगर पत्नी अनुबंध का उल्लंघन करती है, तो वह उसे छोड़ सकता है.’

मुस्लिमों पर बयान भी चर्चा में रहा

हाल ही में आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर को दिए एक साक्षात्कार में संघ प्रमुख ने कहा था कि भारत में मुस्लिमों को डरने की जरुरत नहीं है, लेकिन मुस्लिमों को अपने अंदर श्रेष्ठता का भाव छोड़ना होगा.

उन्होंने कहा था, ‘भारत में जो मुसलमान हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. वह अगर वर्तमान में रहना चाहते हैं तो रहें और अगर वह अपने पूर्वजों के पास आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.’


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