नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मोहाली कोर्ट ने मंगलवार को स्वयंभू ईसाई पादरी बजिंदर सिंह को 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
पीड़िता ने मीडिया को दिए अपने बयान में आरोपी के लिए कम से कम 20 साल की सजा की दृढ़ इच्छा व्यक्त की.
उसने कहा, “मैं चाहती हूं कि उसे कम से कम 20 साल की सजा मिले. वह कानून को अच्छी तरह जानता है और यह सब अपराध स्वेच्छा से करता है. मैं चाहती हूं कि महिलाएं सामने आएं और उसके बारे में खुलकर बोलें. उन्हें अब और डरना नहीं चाहिए.”
पीड़िता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अनिल सागर ने फैसले के महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा, “वह एक आध्यात्मिक नेता के रूप में लोकप्रिय थे. उनके अनुयायी उन्हें ‘पापा जी’ कहकर पुकारते थे. जब इस तरह का अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है, तो उसे कठोर सजा मिलनी चाहिए. हम सजा की मात्रा से संतुष्ट हैं, जो आजीवन कारावास है. उसे अपनी आखिरी सांस तक सलाखों के पीछे रहना होगा…”
इससे पहले, पंजाब पुलिस ने पादरी बजिंदर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जब महिला ने उस पर हमला करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. यह घटना कथित तौर पर एक प्रार्थना सत्र के बाद हुई, जहां पीड़िता ने दावा किया कि उसके साथ-साथ अन्य लोगों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया और शारीरिक रूप से हमला किया गया.
अपनी आपबीती बताते हुए पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उसने सभा में मौजूद एक अन्य व्यक्ति पर हमले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो उस पर हमला किया गया.
उन्होंने कहा, “जब मैंने उन्हें (पादरी बजिंदर सिंह) वहां मौजूद एक व्यक्ति को मारने से रोका, तो उन्होंने मुझे नोटबुक से मारा. उस समय मेरी डेढ़ साल की बेटी मेरे साथ थी. उन्होंने वहां मौजूद लड़के को भी बुरी तरह मारा. सरकार को जांच करनी चाहिए कि फुटेज असली है या एआई द्वारा बनाई गई है. इसके बाद मैंने चर्च से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने मुझे धमकाया भी. मैं वहां भक्ति भाव से गई थी…”
अपने बचाव में स्वयंभू पादरी बलजिंदर सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं. उन्होंने दावा किया कि लड़की ‘बुरी आत्मा’ से पीड़ित थी, उसे दौरे पड़ते थे और वह प्रार्थना के लिए उसके पास आती थी. हालांकि शुक्रवार को अदालत ने उन्हें दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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