नई दिल्ली: सोमवार शाम लाल किले के पास हुए धमाके के पीछे जिस मॉड्यूल का शक है, उसने हरियाणा के गुरुग्राम में कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों (MNCs) के मुख्यालय समेत कई संवेदनशील जगहों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पूछताछ में सामने आया है कि यह लोग पिछले डेढ़ साल से विस्फोटक खरीद और जमा कर रहे थे ताकि “कई जगहों पर धमाके” करके “बड़ा असर” डाला जा सके.
एक सूत्र ने बताया, “इन लोगों ने अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल और अन्य केमिकल्स गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और सहारनपुर की दुकानों से पिछले डेढ़ साल में खरीदे थे, जो केमिकल्स और फर्टिलाइज़र बेचती हैं.”
सूत्रों ने कहा कि योजना में कई जगहों पर एक साथ धमाका करना शामिल था. कुछ जगहें उन्होंने तय कर ली थीं, लेकिन कैसे करना है, इस पर काम चल रहा था.
एक सूत्र ने बताया, “लाल किले के धमाके में सिर्फ 40-50 किलो अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल हुआ, जबकि उन्होंने करीब 2,500-3,000 किलो तक जमा कर लिया था. सोचिए, योजना कितनी बड़ी थी. कई संवेदनशील जगहें, जिनमें MNCs भी शामिल थीं, उनके निशाने पर थीं और वे सिलसिलेवार हमलों की तैयारी में थे.”
जानकारी के अनुसार, यह कथित आतंकी मॉड्यूल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बड़ा असर पैदा करना चाहता था.
शक है कि यह मॉड्यूल छह से सात डॉक्टरों और कम से कम दो ‘प्रोफेसरों’ के साथ मिलकर बनाया गया था.
मंगलवार तक पुलिस ने आठ संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिनमें डॉक्टर आदिल, मुजम्मिल और लखनऊ की रहने वाली शाहीन सईद शामिल है. बताया गया है कि सईद पर आरोप है कि उन्होंने खासतौर पर मुजम्मिल सहित मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की मदद की.
अब तक जिन चार डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, वो हैं — शाहीन सईद, आदिल अहमद राठर, मुजम्मिल शकील और उमर उन नबी. सूत्रों के मुताबिक, शकील, सईद और नबी हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह अस्पताल में काम करते थे, जबकि राठर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक अस्पताल में तैनात था.
एक और संदिग्ध डॉक्टर निसार-उल-हसन, जो पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी में था और फिलहाल फरार है, को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहले कथित आतंकी संबंधों के चलते नौकरी से निकाल दिया था. हालांकि, लाल किले धमाके में उसकी भूमिका साफ नहीं है.
‘चार साल पहले टेलीग्राम पर बने थे कट्टरपंथी’
उपरोक्त सूत्र के अनुसार, इन लोगों पर नज़र रखना मुश्किल था क्योंकि किसी का भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था.
सूत्र ने कहा, “ये हमारे रडार पर नहीं थे.”
सूत्र ने कहा, “ये सभी पढ़े-लिखे लोग हैं जिनके पास मेडिकल डिग्री है; इन्होंने NEET पास किया हुआ है. इनका कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है जो किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि से जुड़ा हो. हालांकि, बाद की बैकग्राउंड जांच में पता चला कि इनमें से कुछ का संबंध जमात-ए-इस्लामी से था.”
दूसरे सूत्र ने बताया कि ये लोग चार साल पहले आपस में जुड़े और एक ऑनलाइन ग्रुप बनाया, जहां वो सारी सामग्री साझा करते थे.
सूत्र ने कहा, “इन लोगों को टेलीग्राम के ज़रिए कट्टरपंथी बनाया गया. सीमा पार से हैंडलर्स ने इन्हें सामग्री भेजी, जिसे उन्होंने आगे समान विचारधारा वाले लोगों के साथ साझा किया और उन्हें मॉड्यूल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.”
माना जा रहा है कि बम गलती से फट गया जब उमर उन नबी — जो अंसर गज़वत-उल-हिंद से जुड़ा था उसे गाड़ी में लेकर घूम रहा था. फरीदाबाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस की छापेमारी में करीब 3,000 किलो विस्फोटक और बम बनाने का सामान मिलने के बाद वह घबरा गया था.
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