नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अफ्रीका के लिए भारत को एक वैकल्पिक विकास साझेदार के रूप में प्रस्तुत किया और ऐसे भविष्य की बात की जो संवाद, समानता और सहयोग पर आधारित हो. इसे चीन के संसाधन-आधारित दृष्टिकोण के मुकाबले भारत के दृष्टिकोण के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
अफ्रीका में कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में भारत ने 2018 से अब तक वहां 17 नए मिशन शुरू किए हैं और 2023 में जी20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ (AU) को समूह में शामिल करने में भी अहम भूमिका निभाई.
मोदी ने नामीबिया की नेशनल असेंबली में अपने संबोधन में कहा, “21वीं सदी में भारत का विकास एक रास्ता दिखाता है, यह बताता है कि ग्लोबल साउथ भी उठ सकता है, नेतृत्व कर सकता है और अपना भविष्य खुद बना सकता है. यह संदेश है कि आप अपनी शर्तों पर सफल हो सकते हैं, अपनी पहचान खोए बिना.”
उन्होंने आगे कहा, “इस संदेश को और बुलंद करने के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा. आइए ऐसा भविष्य बनाएं जो शक्ति से नहीं, बल्कि साझेदारी से परिभाषित हो. वर्चस्व से नहीं, बल्कि संवाद से। बहिष्कार से नहीं, बल्कि समानता से.”
प्रधानमंत्री एक दिन की यात्रा पर नामीबिया गए थे. यह किसी भारतीय नेता की 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा के बाद पहली यात्रा थी. यह यात्रा मोदी के पांच देशों के दौरे की अंतिम कड़ी थी जिसमें वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राज़ील भी गए.
विंडहोक में मोदी ने नामीबिया की राष्ट्रपति नेतुम्बो नांदी-नडैतवाह से मुलाकात की और बाद में नेशनल असेंबली को संबोधित किया. मोदी को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ दि मोस्ट एंशिएंट वेलविट्सिया मिराबिलिस’ से नवाज़ा गया. यह इस दौरे में मोदी को मिला चौथा राजकीय पुरस्कार था.
घाना और नामीबिया की यात्राएं भारत की उस कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं जो अफ्रीका में चीन और रूस जैसे नए विकास साझेदारों की मौजूदगी के बीच भारत की स्थिति मजबूत करने के लिए है. फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पुराने साझेदारों का प्रभाव हाल के वर्षों में घटा है.
हालांकि मोदी ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन अफ्रीका में चीन की मौजूदगी भारत की कूटनीति पर असर डाल रही है.
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने अफ्रीका में भारत द्वारा किए गए 12 अरब डॉलर के विकास निवेश का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “लेकिन इसकी असली अहमियत साझा विकास और साझा मकसद में है. हम स्थानीय कौशल को विकसित कर रहे हैं, स्थानीय नौकरियां बना रहे हैं और स्थानीय नवाचार को समर्थन दे रहे हैं.” मोदी ने यह भी कहा कि “अफ्रीका केवल कच्चे माल का स्रोत न बने.”
चीन ने लगभग दो दशकों से अफ्रीकी देशों को ऐसे जटिल समझौतों के तहत भारी ऋण दिया है, जिनसे उसे प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच मिलती है. एडडाटा के अनुसार, 2000 से 2021 के बीच चीन ने दुनिया के 19 उभरते देशों को खनिज परियोजनाओं के लिए लगभग 56.9 अरब डॉलर का ऋण दिया. ये खनिज परियोजनाएं तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ तत्वों से संबंधित थीं.
2008 में ही चीन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के साथ एक संसाधन-विकास समझौता किया था, जिसमें चीन के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ने 5.6 अरब डॉलर के विकास फंड का वादा किया था और इसके बदले चीनी कंपनियों को सिकोमाइन्स एसएआरएल (Sicomines SARL) नामक संयुक्त उद्यम में बहुमत हिस्सेदारी मिली.
बाद में एक्सिम बैंक ने लुआलाबा प्रांत में एक तांबा-कोबाल्ट खान के लिए 2 अरब डॉलर का अतिरिक्त फंड भी दिया. एडडाटा के मुताबिक, इस खान में डीआरसी के कुल तांबे और कोबाल्ट भंडार का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है.
ऐसे समझौते अफ्रीका के अन्य हिस्सों में भी आम हैं, और मोदी ने अपने भाषण में इसी तरफ इशारा किया.
उन्होंने कहा, “अफ्रीका को मूल्य निर्माण और टिकाऊ विकास में नेतृत्व करना चाहिए. यही कारण है कि हम अफ्रीका के औद्योगिकीकरण के एजेंडा 2063 का पूरी तरह समर्थन करते हैं. हम रक्षा और सुरक्षा में सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार हैं. भारत अफ्रीका की वैश्विक मामलों में भूमिका को महत्व देता है.”
मोदी ने आगे कहा, “स्वतंत्रता की आग में तपे दो देशों के रूप में, आइए अब गरिमा, समानता और अवसरों से भरे भविष्य का सपना देखें और उसे बनाएं. न सिर्फ अपने लोगों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए.”
रक्षा, यूपीआई और चीता
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नांदी-नडैतवाह के बीच रक्षा एक अहम मुद्दा रहा.
भारत के नामीबिया में उच्चायुक्त राहुल श्रीवास्तव ने बुधवार को एक विशेष प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “प्रधानमंत्री की यात्रा के साथ, मुख्य बातें में से एक यह है कि हम अपने संबंधों को एक उच्च रणनीतिक स्तर पर ले जा रहे हैं. और मेरा मतलब यह है कि रक्षा या महत्वपूर्ण खनिज जैसे क्षेत्रों पर चर्चा हुई. रक्षा के क्षेत्र में, नामीबिया भारत से उपकरण खरीदने में रुचि रखता है. और हमने उन्हें खासकर रक्षा के लिए एक लाइन ऑफ क्रेडिट की पेशकश की है.”
उन्होंने आगे कहा, “रक्षा में कुछ और बिंदु हैं. उदाहरण के लिए, हम कुछ उपकरण दान करेंगे. इनमें उनके प्रशिक्षण स्कूलों के लिए एक सिम्युलेटर शामिल है. साथ ही कुछ बुनियादी ढांचा और आईटी उपकरण उनके प्रशिक्षण स्कूलों के लिए दिए जाएंगे.”
अफ्रीकी देश ने 2022 में अपने चीतों को भारत भेजा था, जब नई दिल्ली ने इस जानवर को अपने पारिस्थितिक तंत्र में वापस लाने की कोशिश शुरू की थी.
भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) इस साल के अंत तक दक्षिण पश्चिम अफ्रीकी देश में शुरू होने वाला है. अप्रैल 2024 में नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नामीबिया के बैंक के साथ एक लाइसेंसिंग समझौता किया, जो अपनी तरह का पहला है. इस यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई कि डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म को जल्द ही अपनाया जाएगा.
उद्यमिता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, वहीं नामीबिया ने घोषणा की कि वह भारत-नेतृत्व वाले दो वैश्विक संगठनों— डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर गठबंधन और ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस— में शामिल होगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: लोकपाल अब ‘छोटी चीजों का भगवान’ बन गया है, यह सिर्फ ‘छोटी मछलियां’ पकड़ रहा है