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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशमोदी सरकार एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद का एक ही हेल्थ सिस्टम में विलय चाहती है, 2030 में लांच की योजना

मोदी सरकार एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद का एक ही हेल्थ सिस्टम में विलय चाहती है, 2030 में लांच की योजना

‘वन नेशन, वन हेल्थ सिस्टम’ की परिकल्पना 2017 और 2020 में मोदी सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी शामिल थी. इसे लागू करने के लिए कमेटी बनी हुई है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की 2030 तक ‘वन नेशन वन हेल्थ सिस्टम’ नीति बनाने की योजना है जिसके तहत मेडिकल प्रैक्टिस, शिक्षा और अनुसंधान में एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेद जैसी आधुनिक और पारंपरिक पद्धतियों का एक साथ विलय हो जाएगा.

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नीति का उद्देश्य एक एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करना है, जिसके तहत मरीजों को किसी भी चिकित्सा पद्धति से इलाज मिल सकेगा. चिकित्सा पद्धति चुनना मरीजों की बीमारी और उनकी तत्कालीन स्थिति पर निर्भर करेगा.

एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘उपचार के विभिन्न तरीकों को एक साथ जोड़ने की जरूरत है. सरकार दवा के ‘पैथी’ वाले हिस्से से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, जिसका मतलब है कि जब तक मरीज को इलाज में फायदा मिल रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि यह एलोपैथी, होम्योपैथी है या आयुर्वेदिक है.’

अधिकारी ने स्पष्ट किया, ‘यदि कोई मरीज किसी अस्पताल में पहुंचता है और उसकी हालत गंभीर है तो उसे एलोपैथिक इलाज दिया जा सकता है, लेकिन उसकी स्थिति के अनुकूल होने पर होम्योपैथिक या आयुर्वेदिक इलाज भी उसी अस्पताल में किया जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि यह योजना इस तथ्य की प्रामाणिकता होगी कि भारत में चिकित्सा के परंपरागत तरीके हैं जो ‘वैकल्पिक’ नहीं हैं बल्कि स्वास्थ्य सेवा का एकदम अभिन्न हिस्सा हैं.

दिप्रिंट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की प्रतिक्रिया के लिए फोन कॉल, टेक्स्ट मैसेज और ईमेल के जरिये संपर्क करने की कोशिश की लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक इस पर कोई जवाब नहीं आया.


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भारतीय संदर्भ में चिकित्सा की पुन: परिकल्पना

नई प्रणाली की रूपरेखा तैयार करने के लिए 8 सितंबर को सरकार के नीति निर्धारक थिंक टैंक नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी.

दिप्रिंट को मिले इस बैठक के मिनट्स के मुताबिक, इस पर चर्चा हुई कि आयुष्मान भारत के जरिये एलोपैथिक चिकित्सा और आयुष दोनों पद्धतियों को मुख्यधारा में लाया गया है, लेकिन भारतीय संदर्भ में उनके एकीकरण की संभावनाएं तलाशने की जरूरत है.

‘समावेशी, सस्ती, साक्ष्य आधारित, व्यक्ति केंद्रित स्वास्थ्य सेवा’ का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य के साथ एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली की रूपरेखा तैयार करने के लिए पॉल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. समिति राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत रोगों की रोकथाम और हेल्थ प्रोमोशन के लिए एक रोडमैप भी बनाएगी.

‘वन नेशन, वन हेल्थ सिस्टम’ की परिकल्पना को पूर्व में क्रमशः 2017 और 2020 में मोदी सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी शामिल किया गया था.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में ‘आईएसएम (भारतीय चिकित्सा पद्धति), आधुनिक विज्ञान और आयुर्जीनोमिक्स (जीनोमिक्स यानी एक जीव के सभी जीनों के अध्ययन का आयुर्वेद के साथ संयोजन) के एकीकृत पाठ्यक्रम की जरूरत पर बल दिया गया है.’ साथ ही यह ‘एकीकृत पद्धतियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने’ में आयुष प्रणालियों का योगदान हासिल करने की बात भी करती है.

जैसा दिप्रिंट ने रिपोर्ट किया था राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है, ‘यह देखते हुए कि लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुत सारे विकल्प इस्तेमाल करते हैं, हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली का अभिप्राय यह होना चाहिए कि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुष और इसी तरह आयुष वालों को एलोपैथिक के बारे में बुनियादी समझ होनी चाहिए.’

कार्य समूह बनाए जाएंगे

यद्यपि ‘वन नेशन, वन हेल्थ सिस्टम’ नीति 2030 तक आने की उम्मीद है, शिक्षा, अनुसंधान, क्लीनिकल प्रैक्टिस और सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रशासन आदि अहम क्षेत्रों में अभी चार कार्य समूह बनाए जाएंगे.

ये समूह इसका अध्ययन करेंगे कि दुनियाभर- विशेष रूप से अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों- ने एकीकृत चिकित्सा को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली में कैसे अपनाया है.

समूह आयुष और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के एकीकरण पर भारत के अपने अनुभव, और एकीकृत चिकित्सा पद्धति पर अमल को लेकर कानूनी पहलुओं का भी अध्ययन करेंगे.

8 सितंबर की बैठक में साझा किए गए प्रेजेंटेशन के मुताबिक एक एकीकृत प्रणाली लागू करने का मतलब होगा कि इस विधा में प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की आवश्यकता भी होगी. इसलिए पॉल की अध्यक्षता वाली समिति नर्सिंग शिक्षा और विनियमन में जरूरी सुधारों पर भी विचार करेगी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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