नई दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मौलिक नियम 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार के आरोपों में 22 और अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है.
सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी अधीक्षक और एओ रैंक के हैं. उनमें केके उइके, एसआर परते, कैलाश वर्मा, केसी मंडल, एमएस डामोर, आरएस गोगिया, किशोर पटेल, जेसी सोलंकी, एस मंडल, गोविंद राम मालवीय, एयू छापरगारे, एस असोकराज, दीपक एम ग्यानन, प्रमोद कुमार, मुकेश जैन, नवनीत गोयल, अचिन्त्य कुमार प्रमाणिक, वीके सिंह, डीआर चतुर्वेदी, डी अशोक, लीला मोहन सिंह और वीपी सिंह आदि शामिल हैं.
अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों में भ्रष्टाचार और पूर्ण निष्ठा बनाए रखने, कर्तव्य के प्रति समर्पण और एक सरकारी सेवक के तरीके से काम करने में असफल होना शामिल है.
आदेश में पीएम को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि ‘कर प्रशासन में कुछ ख़राब लोगों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया होगा और उन्होंने मामूली या प्रक्रियात्मक उल्लंघनों के लिए अत्यधिक कार्रवाई करके करदाताओं को परेशान किया होगा.’
सीबीआईसी का सेवानिवृत्ति का आदेश 26 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री के संबोधन और देश के एक प्रमुख आर्थिक दैनिक को दिए साक्षात्कार के अनुरूप है.
उसमें यह भी लिखा था, ‘हमने हाल ही में कर अधिकारियों की अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति करने का साहसिक कदम उठाया है और हम इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’
सेवानिवृत्ति के समय
भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न और पद के दुरुपयोग के आरोप में सीबीडीटी के 12 अधिकारियों सहित सरकार ने 27 उच्च रैंकिंग वाले आईआरएस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के ठीक एक महीने से थोड़े अधिक समय के बाद यह फैसला लिया है.
यह कार्रवाई मोदी सरकार के भ्रष्ट और अयोग्य अधिकारियों से छुटकारा पाने के घोषित उद्देश्य के अनुरूप है. जून में सेवा से वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों को सेवानिवृत्त करने के बाद सरकार ने सभी मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) से कहा था कि वे मौलिक नियम 56 (जे) (1) और सीसीएस के नियम 48 के तहत समय से पहले सेवानिवृत्ति के लिए हर महीने अधिकारियों के नाम की सिफारिश करें. 1972 केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के मौलिक नियम 56 (जे) में सार्वजनिक हित में सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रावधान है.
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