scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमदेशमहंगाई से बचाने और किसानों की मदद के लिए मोदी सरकार इस साल ज्यादा दाल खरीदने की बना रही है योजना

महंगाई से बचाने और किसानों की मदद के लिए मोदी सरकार इस साल ज्यादा दाल खरीदने की बना रही है योजना

मूल्य स्थिरीकरण कोष प्रबंधन समिति ने- जो केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के अंतर्गत है- पिछले हफ्ते की एक बैठक में पिछले साल के मुकाबले दाल के बफर स्टॉक को बढ़ाने की सिफारिश की.

Text Size:

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार इस साल केंद्रीय बफर स्टॉक को बढ़ाने के लिए पिछले साल के 20 एलएमटी के मुकाबले 23 लाख मेट्रिक टन दाल की खरीद कर सकती है. यह 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस कदम को महंगाई से बचाने और किसानों को फायदा पहुंचाने के रूप में देखा जा रहा है.

दिप्रिंट द्वारा देखे गए दस्तावेजों के मुताबिक मूल्य स्थिरीकरण कोष प्रबंधन समिति ने- जो केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के अंतर्गत है- पिछले हफ्ते की एक बैठक में बीते साल के मुकाबले दाल के बफर स्टॉक को बढ़ाने की सिफारिश की.

बैठक में मौजूद उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘खरीफ की अच्छी फसल के बावजूद दाल की कीमतें बढ़ रही हैं.’

नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘तूर/अरहर जो कि खरीफ की फसल है, उसकी कीमत पहले से ही खुदरा और थोक बाजार में एमएसपी से अधिक है. इसलिए एनएएफईडी बफर स्टॉक के लिए अरहर दाल की खरीद नहीं कर पा रहा है.’

‘अगर क्षेत्रीय तौर पर कीमतें नहीं मिलती हैं तो बफर स्टॉक के लिए खरीदी जा रही दाल, फसल के समय किसानों की मददगार साबित हो सकती हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘यह सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए भी सक्षम करेगा, जो कि बाजार में अत्यधिक अस्थिरता से उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए दालों का बफर स्टॉक जारी कर सकता है जैसा कि 2015 में हुआ था और किसी भी प्राकृतिक आपदा या पिछले साल के लॉकडाउन जैसी स्थिति में लोगों को दाल उपलब्ध कराने के लिए हुआ था.’


यह भी पढ़ें: बंगाल में विपक्षी खेमे में कांग्रेस अलग-थलग, उसका लेफ्ट के साथ जाना भाजपा के लिए फायदेमंद


दाल की कीमतों में वृद्धि

भारत में दाल के कुल उत्पादन में से 45-50 प्रतिशत चना दाल का उत्पादन होता है. जो कि रबी और खरीब दोनों सीजन में होता है. इसका उत्पादन करीब 112.3 एलएमटी प्रतिवर्ष है, जो कि कुल उत्पादन 230 एलएमटी में से है. तूर दाल का 42.5 एलएमटी (16 प्रतिशत) उत्पादन होता है. दोनों दाल मिलाकर भारत में कुल खपत का तीन-चौथाई है.

उपभोक्ता मामलों के विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 1 फरवरी को चना दाल का अधिकतम खुदरा मूल्य 94 रुपये था, जो 1 मार्च को बढ़कर 129 रुपये हो गया. चना दाल की न्यूनतम खुदरा कीमतें भी इसी अवधि में 55 रुपये किलो से 59 रुपये किलो हो गई हैं.

यहां तक ​​कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख बाजारों में अरहर की थोक कीमतें इस समय 6,000 रुपये से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल हैं.

अरहर की खरीफ फसल होने के बावजूद ये महंगाई है. लेकिन इसकी कीमत अभी भी 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से अधिक है.


यह भी पढ़ें: क्यों कॉरपोरेट इंडिया के प्रदर्शन में तेज़ रिकवरी के संकेत दिखने लगे हैं


दाल के उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय के 2020-21 के लिए फसल उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, कुल दालों का उत्पादन 24.42 मिलियन टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के 23.03 मिलियन टन के उत्पादन की तुलना में 1.40 मिलियन टन अधिक है.

हालांकि, तूर/अरहर का उत्पादन 3.88 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो कि 2019-20 के 3.89 मिलियन टन के अंतिम उत्पादन से थोड़ी कम है. लेकिन पल्स मिलिंग उद्योग के सूत्रों के अनुसार, वास्तविक उत्पादन घटकर 3.3 मिलियन टन से 3.5 मिलियन टन के बीच रह सकता है.

कई राज्यों में अरहर दाल की खुदरा कीमत 95-110 रुपए किलो के बीच है और ये कीमतें और भी बढ़ सकती हैं.

सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत अपनी नोडल एजेंसी एनएएफईडी के माध्यम से बफर स्टॉक के लिए दालों की खरीद करती है.

इस फंड के तहत, केंद्र की नोडल एजेंसियां ​​घरेलू बाजारों में गिरती कीमतों और उत्पादों की कीमतों में अचानक वृद्धि का मुकाबला करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद करती हैं और जब कीमतें बढ़ती हैं तब बाजार में बफर स्टॉक जारी करती है.

एनएएफईडी के अलावा, भारतीय खाद्य निगम और छोटे किसानों के कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) भी दाल खरीदते हैं ताकि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके.

हालांकि भारत दुनिया का प्रमुख उत्पादक और दालों का उपभोक्ता है, लेकिन देश में दालों का वार्षिक उत्पादन अपनी मांग यानि की लगभग 26 मिलियन टन से कम है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: दुष्यंत चौटाला क्यों अपने मूल वोट बैंक जाट किसानों को लुभाने के बजाये भाजपा के साथ बने रहेंगे


 

share & View comments