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Monday, 4 November, 2024
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मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के लिए राहत की योजना बनाई, लेकिन किसी बड़े पैकेज की संभावना नहीं

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण बड़े उद्योगों के लिए कोई तत्काल राहत की योजना नहीं है, लेकिन एनबीएफसी को कुछ राहत मिल सकती है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकती है, जिसमें मुख्य रूप से चार क्षेत्रों- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई ), छोटे व्यवसायों, जिनमें दुकानदार और छोटे व्यापारी, असंगठित क्षेत्र, और तेल कंपनियां शामिल हैं. यह अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के संकट से मिली कठिन टक्कर से राहत प्रदान करने के लिए है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सरकार द्वारा गठित 11 अधिकार प्राप्त समितियों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर वित्त मंत्रालय के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर रहा है, ताकि पैकेजों के संदर्भ में रुपरेखा की योजना को तैयार की जा सके.

हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रोत्साहन पैकेजों की राशि ‘बड़ी’ नहीं होगी, क्योंकि सरकार के पास वित्तीय संसाधन सीमित हैं.

एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि परामर्श काफी उन्नत स्तर पर हैं. एक अधिकारी ने कहा, पीएमओ अपने विचार रखने के लिए आर्थिक सलाहकार परिषद सहित विभिन्न हितधारकों से मिल रहा है.

भारत को महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए सरकारी खर्च में तेजी से वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में खर्च के कारण राजस्व में कमी की उम्मीद है.

अर्थशास्त्री सुधार से पहले अनुबंध करने के लिए पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. 2020-21 के लिए पूरे साल की जीडीपी का अनुमान 1-2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि तक हो सकता है.

बड़ी फर्मों के लिए कोई राहत नहीं

सरकारी सूत्रों ने कहा कि पीएमओ 15वें वित्त आयोग के संपर्क में है, जिसने पहले ही कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए विभिन्न समूहों के साथ बैठकें की हैं.

एक दूसरे सरकारी अधिकारी, जो पहचान नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कोई बड़ा धमाकेदार वित्तीय पैकेज घोषित नहीं किया जाएगा. उन क्षेत्रों को लक्षित किया जाएगा, जो छोटे व्यवसायों और दुकानदारों के रूप में सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं. असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ होगा, जिनकी आजीविका देशव्यापी लॉकडाउन के बाद बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

एक अन्य सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए अतिरिक्त राहत पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दी गई राहत के ऊपर चिंतन किया जा रहा है.

अधिकारी ने कहा कि बड़ी कंपनियों को जैसे विमानन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग सहित अब तक परेशानी का सामना कर रहे क्षेत्र में भी कोई राहत मिलने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों के लिए किसी भी तात्कालिक राहत का फैसला करते हुए इसका आकलन बाद में किया जा सकता है.

‘सरकार द्वारा एमएसएमई, एनबीएफसी, असंगठित श्रम और व्यापारियों जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा करने की संभावना है. अधिकारी ने कहा कि यह आबादी के एक बड़े हिस्से को कवर करने और रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों को राहत देने के लिए है.

उन्होंने कहा, ‘इनमें से प्रत्येक क्षेत्र को राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज मिलेगा, लेकिन यह राशि बड़ी नहीं हो सकती है.’ उन्होंने कहा, सरकार के पास उपलब्ध राजकोषीय संसाधनों सीमित है. अधिकारी ने कहा कि सरकार अपने खर्च को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेने और घाटे का मुद्रीकरण देख रही है.

अब तक के आर्थिक राहत के उपाय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्यधिक संक्रामक कोविड-19 रोग के प्रसार की जांच के लिए 25 मार्च से पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी. लॉकडाउन के गुरुवार को 30 दिन पुरे हो गए हैं, इसने आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे कारखानें बंद हुए और मजदूरों को अपने गांवों के लिए जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है

आर्थिक गिरावट से चिंतित केंद्र सरकार ने कुछ चुनिंदा उद्योगों और व्यवसायों को 20 अप्रैल से परिचालन फिर से शुरू करने की अनुमति देकर कुछ आर्थिक ढील देने की घोषणा की थी. सरकार और आरबीआई ने कई हितधारकों को अस्थायी राहत प्रदान करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है.

सरकार ने नकद हस्तांतरण और मुफ्त खाद्यान्न सहित 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की और आरबीआई ने कई उपायों की घोषणा की, जिसमें सभी अवधि के ऋण के लिए 3 महीने का ऋण अधिस्थगन नीतिगत दरों में कटौती और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र जैसे एनबीएफसी बैंकों के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी शामिल है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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